नीदरलैंड (Netherlands) की एक सॉफ्टवेयर कंपनी के कर्मचारियों ने 20 करोड़ रुपए कीमत से तैयार हुए सॉफ्टवेयर का सोर्स कोड दुबई (Dubai) की एक कंपनी को बेच दिया. नोएडा पुलिस ने नीदरलैंड के स्वामित्व वाली कंपनी के छह कर्मचारियों और दुबई की कंपनी के खिलाफ एक केस दर्ज किया है.
"कर्मचारियों ने हेरफेर कर कंपनी के सोर्स कोड की नकल की और बेच दिया"
नोएडा के सेक्टर 127 में मैसर्स सोलुलेवर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है, कंपनी का प्रतिनिधित्व करने वाले आकाश दीप शर्मा ने बताया कि, हमारी कंपनी नीदरलैंड्स की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है. इसके ग्राहक नई दिल्ली, अहमदाबाद, मुंबई, बैंगलुरू सहित भारत के अन्य शहरों और विदेशों में भी हैं जो मुख्य रूप से मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्रों में काम कर रहे हैं.
आकाश दीप के अनुसार, "हमारी कंपनी ग्राहकों के लिए सॉफ्टवेयर बनाती है. सॉफ्टवेयर बनाने के लिए हमारे द्वारा नियुक्त इंजीनियर/एम्प्लॉय इस सॉफ्टवेयर के लिए एक सोर्स कोड जेनरेट करते हैं. इस सोर्स कोड के बिना कोई आदमी उस तरह का दूसरा सॉफ्टवेयर नहीं बना सकता. सॉफ्टवेयर और सोर्स कोड कंपनी की संपत्ति है. इसे किराए पर देने, बेचने या अधिकृत करने का पूरा अधिकार सिर्फ कंपनी के पास है. सभी सॉफ्टवेयर कंपनी के Gitlab खाते में संग्रहित किए गए थे."
कंपनी के छह कर्मचारियों ने पूरे सोर्स कोड को दूसरे निजी Gitlab खाते में ट्रांसफर कर दिया. वहां से उन्होंने हेरफेर किया और कंपनी के सोर्स कोड की नकल की और इस सोर्स कोड को दुबई की कंपनी मैसर्स नेटिक्स ग्लोबल के साथ साझा किया है.आकाश दीप
"दो साल की मेहनत, 20 करोड़ रुपए का सोर्स कोड"
पीड़ित आकाश दीप ने बताया कि, हमने दो साल की मेहनत से 20 करोड़ रुपए खर्च करके इस सोर्स कोड को विकसित किया था. हमने कंपनी के कर्मचारियों/इंजीनियरों को सोर्स कोड का इस्तेमाल करने की इजाजत अमानत के तौर पर दी थी, लेकिन उन्होंने हमारे साथ विश्वासघात किया है.
नोएडा की थाना सेक्टर 126 पुलिस ने आकाश दीप की शिकायत पर इस मामले में कंपनी के कर्मचारी रजत सभरवाल, प्रखर शुक्ला, आशीष कपूर, अपूर्व गोयल, अभिषेक अग्रवाल, अर्चित गर्ग सहित दुबई की मैसर्स नेटिक्स ग्लोबल कंपनी के खिलाफ आईपीसी सेक्शन 420, 468, आईटी एक्ट की धारा 66डी और कॉपीराइट एक्ट की धारा 63बी में मुकदमा दर्ज करते हुए जांच शुरू कर दी है.
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