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34 साल के निचले स्तर पर कच्चा तेल, कनाडा में कीमत शून्य से नीचे

कोरोना वायरस के चलते भी मांग में भारी कमी आई है

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कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन और ऑयल स्टोरेज कैपेसिटी के न होने की वजह से अमेरिकी कच्चा तेल 20 अप्रैल को करीब 34 साल से अधिक के निचले स्तर पर पहुंच गया. कच्चे तेल का भाव गिरकर 10 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया. इसके पहले ब्रेंट क्रूड 27.66 डॉलर प्रति बैरल पर था. कनाडा में तो कुछ उत्पादों की कीमत शून्य से नीचे चली गई.

भारतीय समय के मुताब़िक, सोमवार रात 8.30 बजे के करीब इसमें मामूली सुधार देखा गया और यह 10.82 डॉलर प्रति बैरल पर चल रहा था.फिर भी यह शुक्रवार के मुकाबले 41फीसदी कम था.

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अमेरिकी बेंचमार्क वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) 20 अप्रैल को शुरुआती कारोबार में एशियाई बाजार में 19 फीसदी से अधिक की गिरावट के साथ 14.73 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर आ गया, हालांकि, बाद में इसमें कुछ सुधार हुआ और यहा 15.78 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया.

कनाडा में कुछ तेल उत्पादों की कीमत माइनस में चली गई. कनाडा के तेल और गैस उद्योग ने तबाही से बचने के लिए सरकार से आर्थिक मांगी है.मांग है नहीं और आलम ये है कि इन कंपनियों के पास अब स्टोरेज कैपेसिटी खत्म हो गई है. समस्या ये भी है कि इनके प्रोडक्शन बंद करना भी मुश्किल है क्योंकि एक बार काम बंद होने के बाद दोबारा शुरू करना बहुत खर्चीला है.

प्रोडक्शन कम करने के बाद भी कमजोरी

बीते दिनों ऑयल उत्पादन करने वाले देशों के संगठन OPEC और इसके सहयोगियों के प्रोडक्शन घटाने के ऐलान के बावजूद भी ऑयल की कीमतों जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है. कोरोना वायरस के चलते भी मांग में भारी कमी आई है इसके चलते भी क्रूड के दामों में भारी कमजोरी देखने को मिल रही है.

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आखिर क्यों गिर रहे हैं कच्चे तेल के दाम

कच्चे तेल के दाम गिरना कोई चौंकाने वाली बात नही हैं. कोरोना वायरस में लॉकडाउन के चलते गैसोलीन और डीजल जैसे प्रोडेक्ट की मांग गिर रही है. परिवहन बंद, कामकाज बंद, कारोबार बंद होने की वजह से ऑयल प्रोडक्ट की खपत में खासी कमी आई है.

भारत पर क्या होगा असर?

भारत क्रूड ऑयल का बड़ा इंपोर्टर है, जब भी क्रूड सस्ता होता है भारत सरकार फायदे में रहती है. इससे हमें अपने ऑयल इंपोर्ट को कम नहीं करना पड़ता और साथ में ही भारत का बैलेंस ऑफ ट्रेड भी कम होता है. इससे डॉलर के मुकाबले रुपया भी मजबूत रहता है और महंगाई भी काबू में रहती है.

किन कंपनियों को मिलेगा फायदा?

कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि क्रूड अगली 2-3 तिमाहियों में फिर से तेजी लौटेगी. कंपनियों के लिहाज से देखें तो ऑयल की कीमतों में गिरावट का सबसे ज्यादा फायदा एयरलाइंस, पेंट्स कंपनियों को होता रहा है. क्रूड में कमजोरी का फायदा ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को भी मिल सकता है.

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