इकनॉमी में स्लोडाउन की बढ़ती चिंताओं के बीच आरबीआई ने अगले वित्त वर्ष ( 2020-21 ) के लिए 6 फीसदी जीडीपी ग्रोथ अनुमान लगाया है. आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष में 5 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट के अपने अनुमान को बरकरार रखा है. केंद्रीय बैंक ने कहा है इकनॉमी में कमजोरी बरकरार रहेगी और उत्पादन में नकारात्मक गैप बरकरार रहेगा.
खुदरा महंगाई दर में कमी का अनुमान
आरबीआई ने खुदरा महंगाई दर के अपने आकलन को संशोधित कर 6.5 फीसदी कर दिया है. उसके मुताबिक चालू वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही के दौरान खुदरा महंगाई दर 6.5 फीसदी रहेगी. चालू वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में खुदरा महंगाई दर बढ़ कर 7.35 फीसदी दर्ज की गई थी.
मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के मुताबिक दिसंबर, 2019 में मंहगाई ने अपर टॉलरेंस बैंड को छू लिया. प्याज की महंगाई की वजह से यह स्थिति आई. हालांकि आने वाले दिनों में प्याज के दाम गिरने की उम्मीद है. इसके बावजूद महंगाई का दबाव बना रहेगा क्योंकि दालें, दूसरे खाद्य प्रोटीन, दवाओं और टेलीकॉम दरें महंगी होती जाएंगीं.
महंगाई के दबाव में रेपो रेट में कटौती नहीं
पिछले कुछ महीनों में बढ़ती महंगाई की वजह से आरबीआई ने मौद्रिक नीति में रेपो रेट में कटौती नहीं की. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान 4.9 फीसदी ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया है. यह सरकार के आकलन पांच फीसदी से कम है. दिसंबर की मॉनेटरी पॉलिसी ऐलान में आरबीआई ने पांच फीसदी के ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया था.
आरबीआई ने ग्रोथ आउटलुक कई चीजों से प्रभावित होगा. आरबीआई को उम्मीद है रबी की फसल अच्छी होने से प्राइवेट कंजम्पशन को बढ़ावा मिलेगी. रबी की फसल अच्छी होने से ग्रामीण इलाकों में आय में बढ़ोतरी होगी और इसका खपत पर असर पड़ेगा. ग्रामीण इलाकों में आय बढ़ने से कंजम्पशन को रफ्तार मिल सकती है. इसका अर्थव्यवस्था पर पॉजीटिव असर होगा.
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