रुपये में गिरावट लगातार जारी है. बुधवार को रुपया 43 पैसा गिर गया और यह डॉलर की बढ़ती मांग के बीच यह 70.32 के नए स्तर पर पहुंच गया. इससे पहले रुपया गिर कर 69.89 पर पहुंच गया था लेकिन बुधवार को इसमें और गिरावट दर्ज हुई. टर्किश लीरा में भारी गिरावट और तुर्की के खिलाफ स्टील और एल्यूमीनियम पर टैरिफ बढ़ाने से हालात और बिगड़ गए हैं.
इस महीने अब तक डॉलर में 2.51 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं में गिरावट का असर रुपये पर पड़ा है. इस साल सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी भी रुपया भी शामिल हो गया है.
रुपये में गिरावट से आ रही मुश्किलें
- आयातकों का बिल बढ़ा
- सरकार का आयात बिल भी बढ़ा
- विदेश यात्रा का खर्चा बढ़ा
- विदेश में एजुकेशन की लागत बढ़ी
- चालू खाते में घाटे में हो रही बढ़ोतरी
रुपये में गिरावट की वजह से जुलाई में आयात और निर्यात का गैप बढ़ कर 18 अरब डॉलर का हो गया. आयात बिल बढ़ने से चालू खाते का घाटे पर और दबाव बढ़ गया है.
तुर्की-अमेरिकी रिश्तों में कड़वाहट का नतीजा ?
रुपये में इस भारी गिरावट में सबसे ज्यादा हाथ तुर्की की मुद्रा लीरा की है. बाजार के कॉन्फिडेंस को इसने हिला कर रख दिया है. शुक्रवार को तुर्की से धातुओं के आयात पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से तुर्की के स्टील और एल्यूमीनियम के आयात पर टैरिफ दोगुना बढ़ाने को को मंजूरी मिलने के बाद ही तुर्की की मुद्रा लीरा में 20 फीसदी की गिरावट आ गई.
तुर्की की अर्थव्यवस्था इन दिनों बेहद लड़खड़ाई हुई है. साथ ही अमेरिका के साथ इसके खराब रिश्ते ही इकनॉमी को मुश्किल में डाले हुए है. तुर्की भारी कर्ज के बोझ से दबा है. चालू खाते का घाटा जीडीपी के 5 फीसदी तक पहुंच चुका है. तुर्की में महंगाई दर 15.9 फीसदी पहुंच चुकी है.
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