रुपया (Rupee) सोमवार, 26 सितंबर को एक बार फिर अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया है. लगातार तीसरे सत्र के दौरान भी यह कमजोर हुआ. वैश्विक स्तर पर मंदी की आशंका और लगातार अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी डॉलर (Dollar) इंडेक्स को मजबूत कर रहा है और रुपया फिसल रहा है.
गिरता रुपया आपकी जिंदगी पर क्या असर डाल सकता है ये समझते हैं.
ब्लूमबर्ग के अनुसार, रुपया जो पहले 81.5675 पर था वह सोमवार को कारोबार के दौरान 81.5225 के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर गिरकर 81.6612 पर आ गया. यह भी रुपये का अब तक का सबसे निचला स्तार है.
वहीं पीटीआई के अनुसार, रुपया 54 पैसे गिरकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 81.63 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ. पिछले हफ्ते गुरुवार और शुक्रवार रुपया अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर ही बंद हुआ था और आज यह लगातार तीसरे सत्र में रिकॉर्ड निचले स्तर पर जा पहुंचा है.
ईकॉनमिक टाइम्स से बातचीत में हेम सिक्यॉरिटीज के मोहित निगम ने कहा कि "रुपये में अभी और गिरावट देखने को मिलेगी, अमेरिकी फेड ने महंगाई को कंट्रोल में लाने के लिए ये साफ कर दिया है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी होगी. ऐसे में रुपया 83 के आंकड़े को भी छू सकता है."
क्या है रुपये की स्थिति?
रुपया 81.5 के स्तर को पार कर चुका है. अप्रैल 2022 तक रुपया 76 के आसपास कारोबार कर रहा था जो मई में 77, जून में 78, जुलाई में 79 और सितंबर में रुपया 80 के आंकड़े को पार गया.
क्यों गिर रहा है रुपया?
रुपये के गिरने की कहानी कोरोना में शुरू हो गई थी. जब दुनियाभर में कारोबार-उद्योग सब ठप हो गया था जिसके बाद से सप्लाय चेन में बाधा आ गई थी. लॉकडाउन हटने के बाद जब सप्लाय मांग को पूरा नहीं कर पाई तो कीमतों में बड़ा उछाल आया.
अमेरिका जैसा विकसित देश भी इस महंगाई को नियंत्रित नहीं कर पाया तो अमेरिकी फेड ने ब्याज दरों को बढ़ा दिया. बस इसके बाद से विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं और अमेरिका में निवेश कर रहे हैं.
भारतीय बाजार और दुनियाभर के बाजारों से पैसा खींचते निवेशकों ने डॉलर की मांग बढ़ा दी जिससे दुनियाभर की करेंसी कमजोर होने लगी. कई निवेशकों ने डॉलर में निवेश करना शुरू किया जिसके बाद डॉलर अपने 20 साल के उच्चतम स्तर पर आ गया है. मजबूत होते डॉलर ने रुपये को कमजोर किया. क्योंकि जब डॉलर की मांग बढ़ी तो रुपये की मांग घटी और उसका डॉलर के मुकाबले मूल्य भी.
गिरते रुपये का रोजमर्रा की जिंदगी पर क्या असर पड़ेगा?
आयात (इंपोर्ट) महंगा होगा- रुपये की वैल्यू गिरने से आयात महंगा होगा. किसी भी सामान का इंपोर्ट होगा तो उसपर लगने वाला शुल्क बढ़ जाएगा. मान लीजिए कि आप विदेश से 1 डॉलर में एक पेन पहले 75 रुपये में खरीद रहे थे. अब क्योंकि डॉलर के मुकाबल रुपया 81.5 पर आ गया है तो वही 1 डॉलर का पेन आपको 81.5 रुपये में पड़ेगा.
विदेश यात्रा महंगी होगी- विदेशों में घूमने का सपना रखने वालों को अपना बजट और बढ़ाना पड़ सकता है क्योंकि जब वे रुपये को डॉलर में बदलने जाएंगे तो उन्हें ज्यादा रुपये देने होंगे.
विदेश में पढ़ाई महंगी होगी- विदेशों में पढ़ने वालों की फीस और वहां रहने का खर्च बढ़ जाएगा. इलाज के लिए विदेश जाने वालों को भी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा.
रुपया गिर रहा है तो क्या कर सकते हैं निवेशक?
रुपया 81.5 के आंकड़े को पार कर चुका है. ऐसे में निवेशकों के लिए क्या सलाह है इससे पहले ये जान लीजिए की आम आदमी कैस बच सकता है. गिरते रुपये का सबसे बड़ा असर महंगाई पर पड़ता है. भारत अपने एक्सपोर्ट से ज्यादा इंपोर्ट करता है और रुपया फिसलने के मामले में इंपोर्ट किया गया सामान महंगा हो जाता है.
अर्थशास्त्री शरद कोहली कहते हैं वैसे तो आम आदमी के लिए इस महंगाई से बचना आसान नहीं है लेकिन अगर वे स्वदेशी सामानों का इस्तेमाल करते हैं तो कुछ हद तक महंगे सामानों को खरीदने से बचा जा सकता है, हालांकि वे कहते हैं कि कई स्वदेशी सामान में इस्तेमाल हुआ कच्चा माल भी विदेशों से आता है.
Fixed रिटर्न देने वाले निवेश की तरफ लौटना होगा- शरद कोहली
क्विंट हिंदी से बातचीत में शरद कोहली कहते हैं कि इस वक्त ना तो शेयर मार्केट से पैसा कमाने का मौका है ना ही गोल्ड में निवेश का लेकिन ऐसे समय में निवेशक एक बार फिर फिक्स रिटर्न देने वाले इंवेस्टमेंट की तरफ बढ़ सकते हैं.
फिक्स रिटर्न देने वाले प्रोडक्ट जैसे कि सरकारी या कॉर्पोरेट बॉन्ड या फिर बैंक डिपोसिट्स. बैंक सीनियर सिटिजन को इस समय एफडी पर 7 से 8 फीसदी तक का रिटर्न दे रह हैं. आने वाले दिनों में रिजर्व बैंक एक बार फिर ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगा ऐसे में बैंक की स्कीम्स निवेश करना भी बुरा विकल्प नहीं है.शरद कोहली, अर्थशास्त्री
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