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Share Market Crash: भारतीय निवेशकों को 1 दिन में किसने लगाया 6 लाख करोड़ का चूना

Share Market Crash: अमेरिका में बढ़ती महंगाई और US FED द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना ने डर पैदा किया है.

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भारतीय शेयर मार्केट (Share Market Crash) के आज खुलते ही हाहाकार मच गया. सेंसेक्स और निफ्टी लाल निशान में खुले. सोमवार, 13 जून को BSE के सेंसेक्स (Sensex) में 1456 अंकों की गिरावट दर्ज हुई और यह 52,846 पर आकर बंद हुआ यानि 2.5% से ज्यादा की गिरावट. उधर निफ्टी (Nifty) का हाल भी बुरा रहा. 400 से ज्यादा अंको की गिरावट के साथ खुला और 15700 के आसपास कारोबार करते हुए ये बंद हुआ. इधर भी 2.5% से ज्यादा की गिरावट. यहां तक कि निफ्टी मिड और स्मॉल कैप में भी 3% की गिरावट हुई.

आज निवेशकों के 6 लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं.

लेकिन शेयर मार्केट में अचानक हो क्या गया. बाजार को ऐसी कौन सी चिंताएं सता रही हैं जिसकी वजह से इसमें लगातार गिरावट देखने को मिल रही है? आइए आपको बताते हैं, इसके पीछे की पांच वजहें.

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1. अमेरिका में बढ़ती महंगाई

मई में अमेरिका में महंगाई (Inflation) 40 साल के नए उच्च स्तर पर पहुंच गई है. पिछले साल कि तुलना में अमेरिका में महंगाई 8.6% तक पहुंच गई है. इसका सीधा असर 10 जून को वॉल स्ट्रीट पर देखने को मिला. अमेरिकी इक्विटी मार्केट में तेज गिरावट आई. निवेशकों को चिंता है कि इस महंगाई से लड़ने के लिए यूएस फेड ब्याज दरों में जरूर बढ़ोतरी करेगा.

2. US फेड द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी

अमेरिका में महंगाई के आंकड़े बढ़ने के बाद यूएस फेड बुधवार, 15 जून को अपनी 2-दिवसीय फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक में बढ़ती महंगाई को शांत करने के लिए ब्याज दरों में फिर वृद्धि जारी रखेगा. माना जा रहा है साल के अंत तक यह वृद्धि जारी रख सकता है क्योंकि अमेरिका चाहता है कि महंगाई दर 2-3 फीसदी के आसपास रहे.

रॉयटर्स के मुताबिक यूएस फेड जून, जुलाई और सितंबर में 0.5 फीसदी से ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकता है.

क्रैश हुए शेयर मार्केट ने लगभग हर सेक्टर को लाल निशान में धकेला. बैंक, मेटल या प्रॉपर्टी सभी सेक्टर्स को इसका भुगतान करना पड़ा. एक्सपर्ट्स का मानना ​​​​है कि विदेशी निवेशक लगातार भारतीय शेयर बाजार से अपना पैसा निकाल रहे हैं, उधर अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US FED) द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी का खतरा बना है जिसकी वजह से वैश्विक बाजार भी दबाव में है. साथ ही साथ डॉलर के मुकाबले कमजोर रुपया निवेशकों के निराशा की वजह बन रहा है.

क्विंट हिंदी से बातचीत में सेबी रजिस्टर्ड फाइनेंशियल एडवाइजर जितेंद्र सोलंकी ने बताया-

अमेरिका में बढ़ती महंगाई ने एक डर पैदा कर दिया है कि आने वाले समय में यूएस फेड और कठोर कदम उठाएगा. इससे अर्थव्यवस्था को भी चोट पहुंचेगी और वैश्विक विकास सुस्त पड़ेगी. इसके परिणामस्वरूप विदेशी निवेशक बाजार से पैसा निकाल रहे हैं. ऐसे ही हालत बने रहे तो आगे भी अभी और गिरावट देखने को मिलेगी.
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3. कच्चे तेल की कीमत

अमेरिका में बढ़ती महंगाई की वजह से अमेरिकी ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना और चीन में आने वाले समय में लॉकडाउन लगने की चिंता की वजह से ब्रेंड क्रूड और WTI क्रूड में 1.4 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. ब्रेंट क्रूड की कीमत अब 120 डॉलर प्रति बैरल है और WTI क्रूड की कीमत 118 डॉलर प्रति बैरल. कच्चे तेल में हुई गिरावट की सबसे बड़ी वजह चीन में फैलता कोरोना वायरस है जिसकी वजह से चीन में कई प्रकार की बाधाएं बढ़ रही है.

4. भारत में बढ़ती महंगाई (Inflation)

भारत जल्द ही खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी करने वाला है. ये आंकड़े मई के होंगे. रॉयटर्स के मुताबिक इसमें बढ़ोतरी होने की संभावना है. खुदरा महंगाई दर 6.7 - 8.3 फीसदी के बीच हो सकती है. आरबीआई ने हाल ही में 0.5 फीसद से ब्याज दरों में बढ़ोतरी की और महंगाई दर इस साल दिसंबर तक 6 फीसदी से ऊपर रहने वाली है जो कि अच्छी खबर नहीं है.

5. कमजोर होता रुपया और बाहर निकलते विदेशी निवेशक

डॉलर के मुकाबले लगातार रुपया कमजोर होता जा रहा है. सोमवार को रुपया 78 को पार गया. यह अबतक का सबसे निचला स्तर है. मार्केट में डॉलर की डिमांड ज्यादा है. विदेशी मुद्रा भंडार में कमी होते जा रही है. भारतीय बाजार से विदेशी निवेश निकलने की वजह से निवेशक काफी निराश हैं.

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