ADVERTISEMENTREMOVE AD

ऑस्ट्रेलिया में बिन लाइसेंस वित्तीय सलाह दी तो होती है जेल,भारत में भी नियम जल्द

वीडियो बना कर शेयर बाजार का ज्ञान देने वाले Finfluence पर सेबी ला सकती है नियम

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा

सोशल मीडिया पर आपको ऐसे पोस्ट देखने को मिलते होंगे जो दावा करते हैं कि, "अगर आप फलाने स्टॉक में निवेश करेंगे तो आपका पैसा दो गुना हो जाएगा" या "इस स्कीम में पैसा लगाने पर डबल हो जाएंगे आपके पैसे". ऐसा पोस्ट करने वालों में से कुछ चिंताजनक है. सोशल मीडिया पर ऐसे कई फाइनेंशियल एक्सपर्ट इंवेस्टमेंट को लेकर सलाह दे रहे हैं जिन्हें मान्यता प्राप्त नहीं है. इन्हें आप कथित रूप से फाइनेंशिय इंफ्लूएंसर भी कह सकते हैं जो सेबी (SEBI) यानी सिक्यॉरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया के लिए सिरदर्द बन गए हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, सेबी इन 'फिनफ्लूएंसर' (फाइनेंशियल इंफ्लूएंसर) के लिए कड़े नियम लेकर आएगी.

मनीकंट्रोल ने सेबी के एक पर्मानेंट सदस्य एसके मोहंती के हवाले से लिखा कि, "हम गाइडलाइंस पर काम कर रहे हैं."

लेकिन कौन होता हैं "फिनफ्लूएंसर"? सेबी इन पर नियम क्यों लाना चाहता है? समझते हैं.

0

कौन होते हैं "फिनफ्लूएंसर"?

प्रांजल कामरा के यूट्यूब (जो कि इन फाइनेंशियल एक्सपर्ट का पसंदीदा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है) चैनल पर एक नजर डालने पर अनुमान लगा सकते हैं कि लोग बड़ी संख्या में फिनफ्लूएंसर के पास क्यों आ रहे हैं.

ये एक्सपर्ट एक 20 मिनट के वीडियो या 20-30 सैकेंड के शॉर्ट्स को इतनी शानदार तरीके से एडिट करते हैं, ग्राफिक्स का इस्तेमाल करते हैं जो देखने वाले को समझने में मदद करता है.

कामरा और बाकी के फिनफ्लूएंसर दरअसल फाइनेंस से जुड़े बोरिंग और मुश्किल विषय को इतनी खूबसूरती से पेश करते हैं कि वो देखने वाले को ना तो बोरिंग लगता है और जिसे फाइनेंस की बिल्कुल जानकारी ना हो उसे भी समझ आ जाता है.

उदाहरण के तौर पर कामरा ने 2023 के लिए बेस्ट म्यूचुअल फंड के बारे में एक वीडियो डाला है जिसे 7 लाख 90 हजार से ज्यादा लोग देख चुके हैं. कामरा के अलावा अंकूर वारिकू, शरण हेगड़े, रचना रनाडे, अक्षत श्रीवास्तव जैसे कई फिनफ्लूएंसर को बड़ी संख्या में लोग देखते हैं और पसंद करते हैं.

हालांकि ये बाकी इंफ्लूएंसर से अलग हैं क्योंकि बाकी लाइफस्टाइल, ब्यूटी जैसे विषयों पर वीडियो बनाते हैं, लेकिन फाइनेंस पर वीडियो बनाने वालों को इससे जुड़े विषय पर गहरी समझ होना जरूरी है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

फिनफ्लूएंसर की लोकप्रियता इतनी बढ़ क्यों रही है?

इनकी लोकप्रियता के बढ़ने का एक कारण तो ये समझ आता है कि इनके वीडियो बनाने का तरीका और कंटेंट काफी अलग होता है.

और फिर ये कभी ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते ही नहीं जो समझने में मुश्किल हो. इनकी भाषा आमतौर पर अंग्रेजी होती है जिसमें ये बीच बीच में अपनी क्षेत्रीय भाषा इस्तेमाल करते हैं जिसकी वजह से लोगों को आसानी से समझ आ जाता है.

बता दें कि भारत में वित्तीय साक्षरता दर (Finacial Literacy Rate) बहुत कम है. नेशनल सेंटर फॉर फाइनेंशियल एजुकेशन 2019 के सर्वे के मुताबिक भारत की वित्तीय साक्षरता दर केवल 27 फीसदी है.

फिनोवेट फाइनेंशियल सर्विस की को फाउंडर नेहल मोटो ने क्विंट से बातचीत में कहा कि, "पैसा और स्वास्थ्य ये दोनों ऐसे विषय हैं जिनमें काफी समानताएं हैं. दोनों विषयों में हमारे ज्ञान और एक एक्सपर्ट के ज्ञान में जमीन आसमान का अंतर होता है. इस अंतर को कम करने के लिए कई बार हम ऑनलाइन वीडियोज देखते हैं या तो किसी वेबसाइट पर एक्सपर्ट द्वारा लिखे गए आर्टिकल पढ़ लेते हैं."

अधिकतर फिनफ्लूएंसर की पसंद यूट्यूब है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

फिनफ्लूएंसर को देखने-सुनने वालों की संख्या कितनी है?

ये जानने के लिए किसी भी फिनफ्लूएंसर के यूट्यूब चैनल पर कितने सब्सक्राइबर हैं उस पर नजर डालनी होगी.

यूट्यूब पर प्रांजल कामरा के 47,90,000 सब्सक्राइबर्स के साथ सबसे ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं. फिर रचना रानाडे के 41,60,000 सब्सक्राइबर्स हैं, मुकुल मलिक एसेट योगी के पास 35,00,000 सब्सक्राइबर्स हैं और अंकुर वारिकू के पास 24,50,000 सब्सक्राइबर्स हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

फिनफ्लूएंसर पर नियम लाने की जरूरत क्यों हैं?

नेहल मोटो बताती हैं कि, "फिनफ्लूएंसर फाइनेंस की सलाह देते हैं जैसे की हेल्थ एक्सपर्ट किसी बीमारी के बारे में और उसके इलाज के बारे में बताते हैं. अब अगर इंटरनेट और सोशल मीडिया पर फाइनेंस से जुड़ी सलाह देने वालों पर नियम नहीं लागू किए गए तो कोई भी आकर कुछ भी सलाह दे जाएगा और देखने वाला ये कैसे तय करेगा कि एक्सपर्ट सर्टिफाइड है या नहीं.

नेहल बताती हैं कि, "वहीं सेबी द्वारा रजिस्टर्ड फाइनेंशियल एक्सपर्ट सर्टिफाइड होते हैं, ये सर्टिफिकेट भी ऐसे ही जारी नहीं होता है, उसके लिए कुछ प्रक्रियाओं से गुजरना होता है. अब सोशल मीडिया के एक्सपर्ट के लिए नियम लाने से सेबी का मतलब है कि उन्हें कम से कम कुछ ज्ञान होना तो जरूरी है."

नेहल कहती हैं कि, "जाहिर तौर पर हर एक की सलाह में अंतर तो होगा ही. लेकिन कम से कम देखने वालों को पता तो होगा कि जो सलाह दे रहा है वह व्यक्ति सलाह देने के योग्य है. यही कारण है कि सेबी जो नियम लाएगा वो जरूरी है और सही कदम है. यह निवेश करने वालों के लिए सही रहेगा."

Finscholarz की को फाउंडर और सेबी रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार रेणु माहेश्वरी ने क्विंट से बातचीत में कहा कि, क्योंकि वित्तीय साक्षात्कार की कमी है इसलिए सोशल मीडिया पर हर कोई आ कर सलाह दे जा रहा है.

माहेश्वरी ने कहा कि, "निवेश करने वाले तो मुफ्त की सलाह और मार्केट को समझने के लिए इंटरनेट पर आते हैं लेकिन उन्हें क्या मालूम मुफ्त में कुछ नहीं मिलता. उन्हें नहीं मालूम कि जिस स्टॉक के लिए एक्सपर्ट सलाह दे रहे है उसके पीछे कि क्या कहानी है, कई एक्सपर्ट को इसके लिए पैसा मिलता है."

माहेश्वरी ने कहा कि, वित्तीय साक्षरता की बेहद जरूरत है और इसके संबंधित थोड़ा ज्ञान स्कूल या कॉलेज स्तर पर दिया जाना चाहिए. किसी भा सलाहकार को सलाह देने से पहले उसका पूरा ज्ञान होना जरूरी है, अनुभव होना चाहिए और सलाह देने का लाइसेंस भी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

सेबी द्वारा दी जानी वाली गाइडलाइन में क्या होना चाहिए?

प्रांजल कामरा ने क्विंट हिंदी से बातचीत में कहा कि, "फिनफ्लूएंसर के लिए नियम कायदे होने ही चाहिए. जब 2013-14 में रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट एडवाइजर (RIA) के लिए नियम आए थे तो उसका उद्देश्य सलाह देने के जरिए पर ही था कि किस माध्यम से सलाह दी जा रही है. 10 साल पहले तक तो ये सलाह ऑफलाइन ही दी जाती थी. लेकिन आजकल ऐसी सलाह के लिए लोग सोशल मीडिया पर ही आते हैं. अगर इनके लिए कोई नियम नहीं लाए गए तो जो रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट एडवाइजर (RIA) के लिए लाए गए नियमों का कोई मतलब नहीं होगा."

कामरा ने आगे बताया कि, "हालांकि फिनफ्लूएंसर के लिए नियम लाना आसान नहीं होगा, अब देखिए RIA से जो लोग सलाह लेते हैं उनका सारा ब्यौरा सेबी के पास होता है लेकिन फिनफ्लूएंसर के ग्राहक कौन हैं ये तो नहीं पता लगाया जा सकता. साथ ही अगर नियम कड़े हुए तो ये उनके कंटेंट को सेंसर भी कर सकता है जो कि बोलने की स्वतंत्रता के खिलाफ जा सकता है."
ADVERTISEMENTREMOVE AD

फिर क्या रास्ता है?

कामरा ने सलाह दी कि या तो इन्ही में से किसी को नियामक के तौर पर तैनात किया जाना चाहिए या तो कोई एसओपी (दिशा-निर्देश) तैयार कर दिए जाने चाहिए. अब सोशल मीडिया पर कड़े नियम ला दिए गए तो वीडियो बनाने वाला तो अन्य तरीको से भी ये काम कर ही लेगा. इसलिए एसओपी तैयार करना ही सही है...जैसे अगर कोई पैसे लेकर स्टॉक्स की सलाह दे रहा है तो उसे वीडियो में इस बात को उजागर करना चाहिए.

वहीं माहेश्वरी का मानना है कि, कम से कम कुछ तो क्वालिफिकेशन होना ही चाहिए. वीडियो बनाने वाले को कम से कम इसकी जानकारी तो देनी चाहिए कि वो और क्या काम करता है और कितना जानता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या दूसरे देशों में फिनफ्लूएंसर के लिए नियम कायदे हैं?

ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने अप्रैल में कहा था कि बिना लाइसेंस के वित्तीय सलाह देने वाले क्रिएटर्स को पांच साल की जेल हो सकती है साथ ही भारी जुर्माना भी लग सकता है. सिंगापुर और चीन में भी फिनफ्लूएंसर के लिए दिशानिर्देश हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×