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गुजरात एग्जिट पोल: बीजेपी की की सरकार के आसार से उछला शेयर बाजार 

निफ्टी और सेंसेक्स में इस उछाल में है कितना है दम कहीं कोई खतरा तो नहीं

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गुजरात में एग्जिट पोल में गुजरात में फिर बीजेपी की सरकार बनने के अनुमान का शेयर बाजार ने उछाल के साथ स्वागत किया. वैसे तो नतीजे 18 दिसंबर को आएंगे पर सभी एग्जिट पोल का कहना है कि हिमाचल प्रदेश और गुजरात दोनों जगह बीजेपी की सरकार बनेगी.

शुक्रवार को बाजार ने जोरदार शुरुआत की और निफ्टी सेंचुरी और सेंसेक्स ने ट्रिपल सेंचुरी लगाने के करीब है. सेंसेक्स अभी 33,557.70 और निफ्टी भी 10,346.00 तक पहुंच गया है.

बीजेपी की जीत के अनुमान से बाजार में तेजी इसलिए है क्योंकि किसी भी तरह की राजनीतिक अस्थिरता को शेयर बाजार को पसंद नहीं. जानकार कहते हैं कि ऐसे में केंद्र के लिए बड़े आर्थिक सुधार करना आसान होगा.

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अडानी ग्रुप के सभी शेयरों में तेजी है.  अडानी पावर, अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड और अडानी ट्रांसमीशन में 3 से 5 परसेंट तक उछाल है. 

रुपया भी करीब आधा परसेंट का उछाल के साथ अमेरिकी डॉलर के मुकाबले तीन महीने की ऊंचाई पर पहुंच गया है. अभी एक अमेरिकी डॉलर के दाम 64.10 के आसपास हैं.

लेकिन इस तेजी में सिर्फ एग्जिट पोल के अनुमान का ही नहीं बल्कि अमेरिकी बाजार और वहां के सेंट्रल बैंक का रुख भी जिम्मेदार है. आइए आपको बताते हैं तेजी की मुख्य वजह

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अमेरिका में ब्याज दरों में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होगी

अमेरिका के सेंट्रल बैंक ने हाल की बैठक में ऐलान किया है कि वो 2018 में ब्याज दरों में बड़ी बढ़ोतरी नहीं करेगा. इससे भारत जैसे इमर्जिंग देशों से विदेशी निवेशकों का तेजी से पैसा निकलने की आशंका काफी कम हो गई हैं.

पुराने अनुमान के मुताबिक 2018 में अमेरिका में ब्याज की दर 1.5 परसेंट रहने का अनुमान था पर ताजा बैठक के बाद यह सिर्फ 1.25 परसेंट के आसपास ही रहेगा.

भारत में आर्थिक स्थिरता

जानकारों का कहना है कि राजनीतिक स्थिरता का आर्थिक स्थिरता से सीधा रिश्ता है. आगे चलकर जीएसटी और नोटबंदी की वजह से इंडस्ट्री में आई थकावट भी दूर होने की संभावना उन्हें दिख रही हैं. हालांकि फिच और दूसरी रेटिंग एजेंसियों ने जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7 परसेंट से नीचे ही रखा है.

लेकिन दो मोर्चों पर शेयर बाजार को खतरा भी ज्यादा है. महंगाई दर में उछाल और क्रूड के दाम में तेजी का खतरा.

रिटेल महंगाई दर 15 महीने के शिखर पर है और थोक महंगाई दर 8 महीने की ऊंचाई पर है. ऐसे में तय है कि ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश कम है. जबकि जीडीपी ग्रोथ के मामलों में संघर्ष करना पड़ रहा है. क्रूड 65 डॉलर तक पहुंच गया है ऐसे में अगर क्रूड महंगा हुआ तो सरकार को पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने पर सकते हैं जो महंगाई को और बढ़ा सकता है.

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