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सोना न सही,आपकी हो सकती है चांदी: क्यों बढ़े दाम, क्या करें निवेशक

चांदी के दाम 75 हजार रुपये प्रति किलो के पार जा चुके हैं

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महंगी धातुओं जैसे सोना-चांदी के भाव में पिछले दिनों अच्छी तेजी देखने को मिली है, खासतौर पर चांदी ने खासा प्रदर्शन किया है. चांदी के दाम 75 हजार रुपये प्रति किलो के पार जा चुके हैं, इसी के साथ चांदी के भाव में तेज उतार-चढ़ाव भी देखने को मिला है. इस वक्त सोना भी दिन-ब-दिन कीमत के नए रिकॉर्ड बना रहा है. सोने-चांदी को एक ही तरह से देखा जाता है लेकिन दोनों धातुओं के उतार-चढ़ाव के पीछे अलग-अलग कारण होते हैं.

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हम यहां चांदी को लेकर कुछ सवालों के जवाब दे रहे हैं-

आपको पता है चांदी की कीमतों में इतनी तेजी क्यों दिख रही है?

ऐसा है कि किसी भी कमोडिटी की कीमत इस बात पर तय होती है कि उसकी कितनी मात्रा का क्या भाव है. सिल्वर के लिए उसका भाव किलो में तय किया जाता है, वहीं सोने के लिए प्रति 10 ग्राम भाव प्रचलित है. यही कारण है कि चांदी का भाव तेजी से बढ़ते हुए नजर आ रहा है लेकिन असल में ये दूसरी महंगी धातुओं के मुकाबले सस्ती है.

लेकिन कोरोना के बीच ऐसा क्या हुआ कि सिल्वर की डिमांड बढ़ने लगी?

सिल्वर का इस्तेमाल ज्वेलरी के अलावा इंडस्ट्रीयल उपयोग में भी होता है. इंडस्ट्रियल उपयोग में कई चीजें जैसे एलईडी चिप, फोटो वोलेटिक एनर्जी, RFID चिप वगैरह बनाने में इसका उपयोग होता है. इसलिए अगर इकनॉमिक ग्रोथ की बेहतरी को लेकर कोई भी खबर आती है तो सिल्वर की कीमत में उछाल देखने को मिलेगा क्यों कि लोग उम्मीद करते हैं कि इंडस्ट्रियल सेक्टर में चांदी की खपत बढ़ेगी. चीनी इकनॉमी में रिकवरी और यूरोपीय यूनियन के दिए स्टिम्यूलस के बाद इंडस्ट्रियल ग्रोथ अभी के स्तरों से बढ़ने की उम्मीद की जा रही है. इसलिए चांदी के भाव में उपरी स्तरों पर सपोर्ट बनते हुए नजर आ रहा है.

दुनियाभर के देशों के जो सेंट्रल बैंक हैं, क्या उनके फैसलों का भी चांदी पर असर पड़ा है?

दुनियाभर के सेंट्रल बैंक ने बाजारों में भर-भरकर पैसा झोंका है. इससे बाजार में लिक्विडिटी बढ़ी है, जिसका मतलब है कि लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा आया है और अब लोग उस पर रिटर्न कमाने के लिए निवेश कर रहे हैं. इस लिक्विडिटी का एक बड़ा हिस्सा इन महंगी धातुओं में निवेश किया जा रहा है. आपदा के वक्त में धातुओं में निवेश को सुरक्षित समझा जाता है. डॉलर की मजबूती भी चांदी को महंगा कर रही है.

अब लोग सिल्वर में निवेश को सेफ क्यों देख रहे हैं?

एक्सचेंज ट्रेडेट फंड के जरिए (ETF) के जरिए चांदी में भी इनवेस्टमेंट डिमांड देखने को मिल रही है. इंटरनेशनल मार्केट में भी ये ट्रैंड देखने को मिल रहा है. कोरोना संकट की वजह से लोग सुरक्षित निवेश के ठिकाने तलाश रहे हैं इसलिए इन फंड्स में तेजी से निवेश आते हुए दिख रहा है.

डिजिटल तो ठीक है मान लिया, लेकिन क्या फिजिकल सप्लाई पर भी कोई असर पड़ा है?

सिल्वर की तेजी में कोरोना वायरस का बड़ा हाथ है. महंगी धातुओं का उत्पादन अहम रूप से मैक्सिको, पेरू, बोलीविया और कुछ और दक्षिण अमेरिकी देशों में होता है. कोरोना वायरस की वजह से ये देश बुरे तरीके से संकट के दौर से गुजर रहे हैं. इसका असर ये हुआ है कि वहां के धातु उद्योगों ने प्रोडक्शन बंद कर दिया है और इससे सप्लाई पर बुरा असर पड़ा है. चांदी की कीमतें बढ़ने में ये भी एक अहम कारण है.

अब बात मेरी, धातुओं में निवेश करने के लिए मेरी क्या पंसद है?

जैसे गोल्ड में ETF का ऑप्शन मौजदू है, इसके अलावा इस तरह का कोई ऑप्शन भारत में मौजूद नहीं है. अब निवेशक के पास विकल्प बचता है कि उसे या तो फ्यूचर में खरीदे या फिर फिजिकल रूप में सिल्वर खरीदे. तो जो छोटे निवेशक जो फ्यूचर मार्केट नहीं समझते उनके लिए सलाह है कि वो इस मार्केट से दूर ही रहें और फिजिकल तरीके से ही ईंट या सिक्कों के रूप में चांदी में निवेश करें.

(लेखक Moneyeduschool के संस्थापक हैं.)

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