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टैक्स बचाने की प्लानिंग में अब और देरी ठीक नहीं रहेगी

नौकरीपेशा लोगों के लिए इंवेस्टमेंट का समय भी यही होता है

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इस साल का अंतिम महीना यानी दिसंबर आ चुका है. बहुत जल्दी नया साल भी दस्तक देने वाला है. अगर आप नौकरीपेशा हैं, तो ये नया साल आपके लिए एक एक्स्ट्रा काम लेकर आएगा. वो काम होगा आपके ऑफिस में इंवेस्टमेंट से जुड़े दस्तावेज जमा करने का.

बड़े पैमाने पर नौकरीपेशा लोगों के लिए इंवेस्टमेंट का समय भी यही होता है, जब दस्तावेज जमा करने होते हैं. और यहीं होती है टैक्स बचाने की हड़बड़ी में इंवेस्टमेंट के फैसले में गड़बड़ी, जब हम ऐसी जगह पैसे लगा देते हैं, जिससे हमें कोई खास फायदा नहीं मिलने वाला है. लेकिन अगर आप थोड़ी सी समझदारी दिखाएं तो आप इस गड़बड़ी से बच सकते हैं.

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अपना टैक्स स्लैब जानिए

शुरुआत अपने टैक्स स्लैब को जानने से करें, ताकि आपको अंदाजा मिल जाए कि टैक्स कितना देना पड़ सकता है. मौजूदा साल के लिए सरकार ने टैक्स स्लैब में थोड़ा बदलाव किया था, जिसके बाद अधिकतर नौकरीपेशा लोगों के लिए टैक्स स्लैब इस तरह होगा.

टैक्स की इन दरों के अतिरिक्त हर करदाता को टैक्स पर 3 फीसदी सेस भी देना होता है. इसी साल से नया नियम आया है कि अगर आपकी आय 50 लाख रुपए से ज्यादा, लेकिन एक करोड़ से कम है तो 10 फीसदी का अतिरिक्त सरचार्ज देना होगा. एक करोड़ रुपए से ज्यादा कमाने वालों को 15 फीसदी का सरचार्ज देना होगा. इन बदलावों के बाद अलग-अलग आय सीमा के लोगों के लिए टैक्स की प्रभावी दर इस तरह होगी.

यहां आय का मतलब है टैक्सेबल इनकम, यानी वो इनकम जो हर तरह की टैक्स छूट के बाद आपको मिलती है.

कम आयवालों को अतिरिक्त छूट

3.5 लाख रुपये तक की टैक्सेबल इनकम वालों को इस बार अधिकतम 2,500 रुपए की अतिरिक्त छूट मिलेगी. पिछली बार सरकार ने 5 लाख रुपये तक की टैक्सेबल इनकम वालों को 5,000 रुपए तक की अतिरिक्त छूट दी थी. ये छूट मिलती है सेक्शन 87ए के तहत और इसे आपके टैक्स की गणना के बाद घटाया जाता है.

उदाहरण के लिए, अगर आपकी टैक्सेबल इनकम 3.5 लाख रुपए है तो स्लैब के हिसाब से आप पर टैक्स की देनदारी बनेगी 5,000 रुपए. लेकिन सेक्शन 87ए की छूट के बाद टैक्स देनदारी हो जाएगी सिर्फ 2,500 रुपए. तीन लाख रुपए तक की टैक्सेबल इनकम वालों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा.

निवेश करके टैक्सेबल इनकम घटाएं

अब तक आप समझ गए होंगे कि अगर आपकी टैक्सेबल इनकम कम होती है, तो आपकी टैक्स देनदारी भी घट जाती है. नौकरीपेशा होने के नाते आपकी टैक्स देनदारी कम करने के कई उपाय हैं. आपकी सैलरी इनकम में बेसिक सैलरी, हाउस रेंट अलाउंस, स्पेशल अलाउंस और ट्रांसपोर्ट अलाउंस जैसे कई कंपोनेंट होते हैं.

इसके अलावा आपको कुछ ऐसे भत्ते मिलते हैं, जिनकी रसीदें देकर आप उनमें टैक्स छूट हासिल करते हैं. जैसे मेडिकल रिइंबर्समेंट, टेलीफोन बिल रिइंबर्समेंट. किराये पर रहनेवालों को हाउस रेंट अलाउंस यानी एचआरए पर एक विशेष फॉर्मूले के तहत टैक्स छूट मिलती है. एचआरए का कैलकुलेशन करें, दूसरे रिइंबर्समेंट और करमुक्त भत्ते इसमें जोड़ें और कुल रकम को अपनी सैलरी इनकम में से घटा दें।

इसके बाद की रकम में से आप अपने निवेश की उन राशियों को घटाएं, जो इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 सी, 80 डी, 80 सीसीडी-1बी और 80 टीटीए में आते हैं. अगर आप अपने घर में रहते हैं, जिसके होम लोन की ईएमआई आप दे रहे हैं तो ब्याज के मद में अधिकतम 2 लाख रुपए तक की राशि पर आपको टैक्स छूट मिलेगी. उसे भी अपनी तनख्वाह में से घटाएं. तो अब आपके पास जो रकम आएगी वो है आपकी टैक्सेबल इनकम.

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अभी तक निवेश नहीं किया है तो...

अगर आपने सेक्शन 80 सी के तहत 1.5 लाख तक का निवेश नहीं किया है तो आपके पास करीब 4 महीने का समय है. पहले गणना करें कि आपको कितना निवेश करने की जरूरत पड़ेगी. याद रखें कि सेक्शन 80 सी में ईपीएफ में आपका कंट्रीब्यूशन, बच्चों की स्कूल फीस और होम लोन का मूलधन वाला हिस्सा भी मान्य होता है. हो सकता है कि इन चीजों से आपकी 80 सी की छूट सीमा पूरी हो जाती हो. अगर इसके बाद भी डेढ़ लाख की सीमा पूरी नहीं होती तो फिर निवेश की तैयारी कर लीजिए.

टैक्स बचाने के लिए इंश्योरेंस पर भरोसा ना करें

अक्सर लोग टैक्स बचाने के मकसद से लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी या यूलिप ले लेते हैं. लेकिन आप ऐसा बिलकुल ना करें. इन पॉलिसीज की मियाद कई सालों की होती है और उनमें मिलने वाला रिटर्न भी कम होता है. टैक्स बचाने के लिए ही निवेश करना है तो भी वहां पैसे लगाएं जहां आपको बेहतर रिटर्न मिल सकता हो, जैसे ईएलएसएस, सुकन्या समृद्धि स्कीम, एनपीएस यानी नेशनल पेंशन सिस्टम और पीपीएफ. डेढ़ लाख की लिमिट पूरी करने के बाद अगर आप एनपीएस में निवेश करते हैं तो 50,000 रुपए तक निवेश पर अतिरिक्त टैक्स छूट भी पाएंगे.

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कहां से करें पैसे का इंतजाम

अगले 4 महीने के दौरान अगर आपके पास निवेश के लिए पैसे का इंतजाम ना हो तो आप इन उपायों की मदद ले सकते हैं:-

1) उन इंश्योरेंस पॉलिसी की पहचान कीजिए, जिन्हें जारी रखने में आपकी दिलचस्पी नहीं है. उन्हें सरेंडर कीजिए और उस पैसे का इस्तेमाल नए निवेश में कीजिए.

2) अगर आपके पास कोई एफडी या आरडी है तो उससे टैक्स सेविंग प्रोडक्ट में निवेश के लिए पैसे निकालिए.

3) अगर आप पहले से ईएलएसएस में निवेश कर रहे हैं तो देखिए कि क्या उस निवेश का लॉक इन पीरियड खत्म हो गया है. आप उस पैसे को निकालकर दोबारा निवेश कर दें. इससे आपको इस साल भी टैक्स छूट मिल जाएगी.

4) पिछले महीनों के रिइंबर्समेंट क्लेम ना किए हों तो उनका क्लेम करके आप निवेश के लिए पैसे का इंतजाम कर सकते हैं.

5) अगर नए साल पर कोई बोनस मिलने वाला हो तो उसे निवेश के लिए सुरक्षित कर लें.

आप इनमें से कोई भी तरीका अपनाइए और निवेश की प्लानिंग कर लीजिए. बाकी खर्चों और निवेश की रसीदें और दस्तावेज अभी से जुटा लीजिए ताकि अंतिम समय में कोई भूल-चूक ना हो.

ये भी पढ़ें- आपके सोशल मीडिया अकाउंट पर टैक्स विभाग की नजर, बचकर कहां जाओगे?

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