रिटेल कारोबारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने सोमवार को वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट सौदे के विरोध में प्रदर्शन किया. दिल्ली-मुंबई समेत देश के कई शहरों में धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया. संगठन का आरोप है कि पिछले कुछ साल में बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों ने भारी छूट और कम कीमत जैसे गलत तरीकों को अपनाकर ई-कॉमर्स मार्केट को खराब किया है. दावा किया जा रहा है कि ऐसे में जब वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट को खरीद लिया है अब रिटेल कारोबारियों के लिए और मुश्किलें खड़ीं होंगी. CAIT की मांग है कि फ्लिपकार्ट-वॉलमार्ट डील को रद्द किया जाए.
मांग नहीं मानी गई तो जारी रहेगा प्रदर्शन
CAIT का कहना है कि वास्तव में इस सौदे के जरिए वॉलमार्ट खुदरा कारोबार पर कब्जा करने के अपने छिपे एजेंडा को पूरा करेगी. कैट ने कहा कि वॉलमार्ट कोई ई-कॉमर्स कंपनी नहीं है और इस क्षेत्र में उसकी कोई विशेषज्ञता नहीं है. फिर भी वॉलमार्ट ने अपने असीमित संसाधनों के बल पर फ्लिपकार्ट से यह करार किया है, जिसके जरिये वह खुदरा बाजार में विदेशी उत्पादों का विशाल जाल बिछाएगी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, CAIT के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल का दावा है कि सोमवार को देश के कई शहरों के 10 लाख से ज्यादा लोग प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे हैं. खंडेलवाल का कहना है कि ये प्रदर्शन का पहला फेज है, अगर सरकार ने मांगें नहीं मानी तो तय करेंगे कि आगे क्या करना है
कई संगठन कर रहे हैं विरोध
RSS से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच समेत व्यापारियों के दूसरे संगठन भी इस सौदे का विरोध कर रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि इससे छोटे विक्रेताओं के कारोबार को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है. अमेरिका की सबसे बड़ी रिटेल चेन वॉलमार्ट ने पिछले दिनों भारतीय ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट को खरीदने की एक डील की है. वॉलमार्ट फ्लिपकार्ट में 77 फीसदी हिस्सेदारी 16 अरब डॉलर में खरीदेगी. इस सौदे के बाद फ्लिपकार्ट 20 अरब 80 करोड़ डॉलर यानी 1 लाख 30 हजार करोड़ रुपए की कंपनी हो जाएगी.
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