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इकनॉमी सुस्त, बाजार चुस्त:इस अबूझ हालत में पैसा बचाने वाले 3 मंत्र

एक साफ नजरिए की जरूरत है जो इस उथल-पुथल के दौर में निवेशकों को सही रास्ता दिखाए

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शेयर बाजार में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए इन दिनों यह समझना मुश्किल हो रहा है कि आखिर माजरा क्या है. एक तरफ भारत और अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस लगातार फैल रहा है, दूसरी तरफ इक्विटी मार्केट में मार्च 2020 में गिरावट के बाद तेजी आ रही है. डेट इन्वेस्टमेंट की ब्याज दरें लगातार गिर रही है, जिससे निवेशकों की फिक्स्ड इनकम पर रिटर्न घट गया है. इससे ठीक उलट, भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोल्ड की कीमतें आसमान छू रही हैं.

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इस कठिन स्थिति में एक साफ नजरिए की जरूरत है जो इस उथल-पुथल के दौर में निवेशकों को सही रास्ता दिखाए. हम ऐसे तीन तरीके बताते हैं जो इस संकट काल में निवेशकों को बता सकते हैं कि इस दौर में क्या किया जाना चाहिए.

गोल्ड में लॉन्ग टर्म में निवेश करने से बचें

सोना एक ऐसा एसेट है जो भारतीय और इंटरनेशनल बाजार में अच्छा रिटर्न देता है. जो लोग सोने के बाजार में पहले से निवेश कर चुके हैं, उनके लिए यह अच्छी स्थिति है. ऐसे कई तरीके हैं जिनसे सोने के बाजार में निवेश किया जा सकता है, जैसे एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स यानी ईटीएफ. इसके अलावा गोल्ड सेविंग फंड्स और सोवरेन गोल्ड बॉन्ड्स भी हैं, जिसे सरकार कई सीरीज में जारी करती रहती है. ताजा सरकारी गोल्ड बॉन्ड सीरीज 10 जुलाई, 2020 तक निवेश के लिए खुली हुई है.

इन योजनाओं में गोल्ड के कीमत में जो बदलाव आता है उसके साथ 2.5 परसेंट की एक्सट्रा ब्याज दर दी जाती है. यह लॉन्ग टर्म का निवेश है, जिसकी मैच्योरिटी पीरियड 8 साल है. फिलहाल निवेशकों को इन इंस्ट्रूमेंट्स के लालच में नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि अभी यह तय नहीं कि आने वाले वर्षों में सोने की कीमत क्या होगी.

अगर कोई गोल्ड बॉन्ड्स को रिडंप्शन से पहले बेचना चाहता है तो ये बांड्स लिस्टेड हैं लेकिन यह लिक्विडिटी की उपलब्धता पर निर्भर करता है. अगर कोई शॉर्ट टर्म या मिड टर्म के लिए निवेश करना चाहता है तो गोल्ड ईटीएफ एक बेहतर विकल्प है. हर पोर्टफोलियो में सोने में लगभग 5 से 10 परसेंट निवेश होना चाहिए और अगर फिलहाल ऐसा नहीं है तो भी निवेशक धीरे-धीरे नियमित निवेश करके ऐसा पोर्टफोलियो बना सकता है.

इक्विटी की क्वालिटी पर ध्यान दें

इस साल मार्च महीने में इक्विटी बाजार की हालत खस्ता थी, लेकिन अब इसमें तेजी आ रही है. जुलाई के पहले हफ्ते के आखिर तक अहम इंडेक्स में 40 परसेंट से अधिक की बढ़ोतरी हुई. इससे ऐसा महसूस होता है कि अर्थव्यवस्था में कोई समस्या नहीं है और सब कुछ एकदम सामान्य है. लेकिन खतरे के संकेत हर तरफ से आ रहे हैं. एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि एवरेज इनकम की तुलना में इंडेक्स 10 वर्षों में सबसे अधिक है जो कि लॉन्ग टर्म औसत से भी अधिक है. कई एनालिस्ट को इस बात की चिंता है कि कंपनियों के फंडामेंटल्स और उनकी कमाई इस तरह के उछाल को नहीं झेल सकतीं.

ऐसी स्थिति में निवेशकों को समझना होगा कि कौन सी कंपनियां इस संकटकाल के बाद सर्वाइव करेंगी और अपना कामकाज बढ़ा पाएंगी. यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि क्वालिटी निवेश से ही मजबूत पोर्टफोलियो तैयार होगा और इक्विटी बाजार के बेतहाशा उतार-चढ़ाव के बीच कायम रहेगा. इसके लिए सतर्क रहना भी जरूरी है. वही निवेशकों को बदलाव के दौर में सहारा देगी.

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म्यूचुअल फंड्स में सही एसेट एलोकेशन बैलेंस बरकरार रखना

म्यूचुअल फंड्स में निवेशकों को दोहरे खतरे का सामना करना पड़ रहा है. इस समय डेट फंड्स बुरी तरह प्रभावित हैं क्योंकि कंपनियों को अपनी वित्तीय स्थिति डांवाडोल लग रही है. वे या तो डिफॉल्ट करेंगी या अपनी क्रेडिट रेटिंग में जबरदस्त कटौती करेंगी. इसलिए निवेशकों को डेट म्यूचुअल फंड्स को पूरी तरह से सेफ इंस्ट्रूमेंट नहीं मानना चाहिए. उन्हें किसी फंड में निवेश करने से पहले पोर्टफोलियो होल्डिंग्स के बारे में पूरी रिसर्च करनी चाहिए. अच्छी क्वालिटी की होल्डिंग्स रखने से डिफॉल्ट का असर निवेशक के डेट फंड्स पर नहीं पड़ेगा.

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इक्विटी फंड्स में निवेश करने के लिए नियमितता और अनुशासन भी जरूरी है. निवेशकों को तुरंत फायदे की उम्मीद नहीं करनी चाहिए और कई तरह के फंड्स में रिटर्न मिलने में लंबा वक्त लगता है. निवेशकों को मानसिक रूप से लंबे दांव के लिए तैयार रहना चाहिए. जरूरी यह है कि बाजार की स्थिति जो भी हो, वे अपने निवेश को जारी रखें. कई बार निवेशक एसेट की कीमत के गिरने पर निवेश करना बंद कर देते हैं, यही वह स्थिति है, जिससे उन्हें बचना चाहिए.

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