ADVERTISEMENTREMOVE AD

अब रफ्तार पकड़ रहा ऑटो सेक्टर, पुरानी कार की बढ़ी मांग

भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर इस साल में एक के बाद एक लगे झटकों के बाद रिकवरी के रास्ते पर है

Published
story-hero-img
छोटा
मध्यम
बड़ा

भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर इस साल एक के बाद एक लगे झटकों के बाद अब रिकवरी के रास्ते पर लौटता हुआ दिख रहा है. ताजा बिक्री के आंकड़ों को देखकर लगता है कि सेक्टर में बेहतरी की उम्मीद अब की जा सकती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

टू-व्हीलर और फोर-व्हीलर वाहन बनाने वाली कंपनियों ने जून महीने के लिए ठीक-ठाक बिक्री के आंकड़े जारी किए हैं . इसके पहले कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते इंडस्ट्री का बुरा हाल हो गया था और अप्रैल महीने में तो कई कंपनियों का एक भी व्हीकल नहीं बिका था.

कारों की बिक्री सड़क पर लौटी

अब जब देश के ज्यादातर हिस्से से लॉकडाउन हट गया है और लोग घरों से बाहर निकलकर अपने काम धंधे पर लौट रहे हैं. आम जनजीवन रास्ते पर लौट रहा है.

भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर इस साल में एक के बाद एक लगे झटकों के बाद रिकवरी के रास्ते पर है
कारों की बिक्री सड़क पर लौटी
(Photo: Quint Hindi)
कार की बिक्री बढ़ने का बड़ा कारण ये है कि अब कोरोना वायरस संकट के बाद से पब्लिक ट्रांसपोर्ट का चलन कम हुआ है. सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए लोगों ने अपने पर्सनल व्हीकल को तरजीह देना शुरू किया है. एनालिस्ट जो इस सेक्टर पर पैनी नजर रखत हैं, उनका कहना है ग्रामीण भारत में भी अच्छी फसलें आयी हैं और ये भी कारों की अच्छी बिक्री का अहम कारण है.
इस साल जून के महीने में 1,16,928 पैसेंजर व्हीकल्स की बिक्री हुई है. हालांकि ये पिछले साल जून में हुई बिक्री से 46% कम है. पिछले साल जून में 2,16,877 यूनिट की बिक्री हुई थी.
भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर इस साल में एक के बाद एक लगे झटकों के बाद रिकवरी के रास्ते पर है
इस साल जून के महीने में 1,16,928 पैसेंजर व्हीकल्स की बिक्री हुई है
(Photo: Quint Hindi)

अगर आप मई महीने से जून महीने की तुलना करके देखें तो रिकवरी के काफी अच्छे आंकड़े हैं. मई महीने में 36,576 चार पहिया वाहनों की बिक्री हुई थी, वहीं अप्रैल में तो भयानक हालत थी जहां एक भी व्हीकल नहीं बिका था.

कंसल्टिंग फर्म डेलॉइड ने एक ताजा सर्वे किया है जिसके मुताबिक 77% कंज्यूमर अपने पब्लिक ट्रांसपोर्ट को कम करना चाहते हैं. 70% लोग किराए पर कार नहीं लेना चाहते हैं और 79% लोग चाहते हैं कि उनकी खुद की कार हो.

कार के कलपुर्जे बनाने वाली कंपनियों ने भी बढ़ती डिमांड को देखते हुए अपनी कमर कस ली है.

आपका कोई भी अपना नहीं चाहेगा कि आप सार्वजनिक बस में सफर करें. उसी बस में कई कोरोना पॉजिटिव केस हो सकते हैं. तो हमें खुद को सुरक्षित रखने के लिए खुद की कार, मोटरसाइकिल, स्कूटर खरीदना होगा. तो हम इसके लिए खुद को तैयार कर रहे हैं.
रोहित भाटिया, MD, ओनेसिस ऑटो लिमिडेट
ADVERTISEMENTREMOVE AD

संघर्ष कर रहा इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट

भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट अभी बिक्री के मामले में संघर्ष करता हुआ दिख रहा है. EV सेक्टर पर कोरोना वायरस संकट की भारी मार पड़ी है.

फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) ने नीति निर्माताओं को अपने सुझाव बताए हैं कि वो कैसे इलेक्ट्रिक व्हीकल को आकर्षक बनाएं. साथ ही इस सेक्टर में निवेश को भी कैसे प्रोत्साहित किया जाए, ये भी सुझाव दिए गए हैं.

FICCI ने कहा है कि सरकार इस क्षेत्र को पटरी से उतरने से बचाने के लिए जरूरी कदम उठाए और बाजार में डिमांड बढ़े इसके लिए प्रयास करे.

सेकंड-हैंड कार की डिमांड बढ़ी

सैकेंड-हैंड कार डीलर कार्स 24 के मुताबिक ये पहली बार है जब फर्स्ट टाइम का खरीदने वाले लोग भी सैकेंड हैंड कार का रुख कर रहे हैं और पिछले महीने में डिमांड 134% थी.

भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर इस साल में एक के बाद एक लगे झटकों के बाद रिकवरी के रास्ते पर है
सैकेंड-हैंड कार की डिमांड बढ़ी
(Photo: Quint Hindi)
ADVERTISEMENTREMOVE AD

एक और सेकंड हैंड कार सेलिंग प्लेटफॉर्म मारुति सुजुकी ट्रू वैल्यू के मुताबिक उन्होंने 2019-20 में 4.19 लाख यूनिट कारों का ट्रांजैक्शन किया है जबकि 2018-19 में 4.22 लाख कारों का ट्रांजैक्शन हुआ था.

भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर इस साल में एक के बाद एक लगे झटकों के बाद रिकवरी के रास्ते पर है
मारुति सुजुकी ट्रू वैल्यू के मुताबिक उन्होंने 2019-20 में 4.19 लाख यूनिट कारों का ट्रांजैक्शन किया है
(Photo: Quint Hindi)
अभी हम सेकंड हैंड कार की डिमांड में 10-15 परसेंट की बढ़ोतरी देख रहे हैं. एंट्री सेगमेंट की कारों में खास तौर पर मांग ज्यादा है.
मारुति सुजुकी ट्रू वैल्यू

इस मार्केट का एक और बड़ा प्लेयर स्पिनी होम टेस्ट ड्राइव और डिलेवरी की सर्विस दे रहे हैं. उनके मुताबिक अब बिक्री कोरोना के पहले जैसी होने लगी है. वो लॉकडाउन के बाद से 1200 से ज्यादा कार खरीद-बेच चुके हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

टू-व्हीलर मार्केट में भी लौटी तेजी

दुनियाभर के सबसे बड़े टू-व्हीलर मैन्यूफैक्चरर्स भारत में ही हैं. ये भी एक कारण है भारत में टू-व्हीलर सेगमेंट में बिक्री में तेजी आई है. भारत में कार खरीदने वालों से ज्यादा टू व्हीलर खरीदने वाले हैं.

भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर इस साल में एक के बाद एक लगे झटकों के बाद रिकवरी के रास्ते पर है
टू-व्हीलर मार्केट में भी लौटी तेजी
(Photo: Quint Hindi)
ADVERTISEMENTREMOVE AD

दिग्गज टू व्हीलर बनाने वाली कंपनियां जैसे हीरो मोटोकॉर्प, बजाज, टीवीएस और होंडा ने भी व्हीकल बिक्री के अच्छे आंकड़े पेश किए हैं. वहीं पिछले महीनों में इनके आंकड़े गिर रहे थे.

भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर इस साल में एक के बाद एक लगे झटकों के बाद रिकवरी के रास्ते पर है
टू व्हीलर बनाने वाली कंपनियों ने बिक्री के अच्छे आंकड़े पेश किए हैं
(Photo: Quint Hindi)
भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर इस साल में एक के बाद एक लगे झटकों के बाद रिकवरी के रास्ते पर है
हीरो मोटोकॉर्प, बजाज, टीवीएस और होंडा ने भी व्हीकल बिक्री के अच्छे आंकड़े पेश किए हैं
(Photo: Quint Hindi)
भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर इस साल में एक के बाद एक लगे झटकों के बाद रिकवरी के रास्ते पर है
जून महीने में टू व्हीलर बनाने वाली कंपनियों ने बिक्री के अच्छे आंकड़े पेश किए हैं
(Photo: Quint Hindi)
ADVERTISEMENTREMOVE AD

हालांकि सालाना तौर पर तुलना करके देखें तो टू-व्हीलर्स भी 2020 की पहली तिमाही में संघर्ष करता दिख रहा है लेकिन राहत की बात ये है कि अब लोगों ने व्हीकल्स की खरीदारी शुरू कर दी है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

आगे क्या होगा?

कोरोना वायरस का संकट अभी टला नहीं है. भारत में अभी भी हर दिन नया रिकॉर्ड बन रहा है. भारत सबसे ज्यादा केस के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर का देश बन गया है. अभी तक ऑटो कंपनियां 100% क्षमता के साथ काम नहीं कर रही हैं या काम करने से बच रही हैं. इसका साफ मतलब है कि रिकवरी की प्रक्रिया वक्त लेगी.

कैब सर्विस देने वाली कंपनियों जैसे ओला, ऊबर ने अपनी सेवाएं देनी शुरू कर दी हैं. कई लोग तो इन सर्विसेज को हायर करने से एहतियात बरत रहे हैं लेकिन अब धीरे-धीरे लोगों ने इन सर्विसेज का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. आने वाले दिनों में हो सकता है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे लोकल और मेट्रो शुरू हो जाएंगी लेकिन कितने लोग इनको इस्तेमाल करना जारी रखते हैं ये देखना अहम होगा. लेकिन जाहिर है पहले की तुलना में लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट से काफी हद तक दूरी बनाए रखना चाहेंगे और इस वजह से वो लोग अपनी खुद की व्हीकल खरीदना शुरू करेंगे.

ऑटो इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स का मानना है कि बिक्री के आंकड़े इस साल की तीसरी और चौथी तिमाही तक पटरी पर लौट आएंगे. हालांकि ये सब कुछ आर्थिक स्थिरता और लोगों की परचेजिंग पावर पर निर्भर करेगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×