IT सेक्टर में काम कर रहे लोगों के लिए सिलिकॉन वैली बरसों से पहली और आखिरी पसंद रही है, लेकिन ब्लूमबर्ग की हाल ही में आई रिपोर्ट के मुताबिक ये ट्रेंड अब कुछ बदल रहा है. अब लोग सिलिकॉन वैली छोड़कर कुछ और जगहों की तरफ रुख कर रहे हैं. ऐसे में इस बदलाव की वजह जानना दिलचस्प होगा.
दुनियाभर के करोड़ों लोगों की ड्रीम डेस्टिनेशन सिलिकॉन वैली 'आईटी सेक्टर का मक्का' कही जाती है. यहां गूगल, फेसबुक जैसी करीब 30 हजार बड़ी कंपनियां हैं और दुनिया के ज्यादातर IT वर्कर्स भी यहीं हैं.
कुल IT वर्कर्स की एक-चौथाई आबादी सिलिकॉन वैली में काम करती है और यहां उन्हें बेहतर मौके भी दिए जाते हैं. सैलेरी की बात करें, तो यहां लोगों का औसत मासिक वेतन 6.38 लाख रुपए है, जो US में बाकी लोगों की औसत मासिक सैलरी से करीब दोगुना है.
लेकिन ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट बताती है कि ट्रेंड अब बदल रहा है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक कई इंजीनियर अब सिलिकॉन वैली की जगह जापान का रुख कर रहे हैं.
हाल ही में आई इस रिपोर्ट में जापान को IT सेक्टर के लिए एक उभरती डेस्टीनेशन बताया गया है, ये थोड़ा चौंकाने वाला इसलिए है, क्योंकि जापान बाहर से आए लोगों के लिए थोड़ा मुश्किल देश रहा है. यहां अंग्रेजी बोलने वालों की तादाद बेहद कम है, साथ ही कर्मचारियों को सिलिकॉन वैली से कम सुविधाएं मिलती हैं. लेकिन यहां आने वालों के पास कारण सिर्फ जापान की बड़ी अर्थव्यवस्था या बेहतर मौके नहीं, कारण कुछ अलग भी हैं.
जापान ज्यादा घंटों की नौकरी और कम तनख्वाह के लिए जाना जाता है. वहां सिलिकॉन वैली की तरह कर्मचारियों के लिए स्टॉक ऑप्शन भी नहीं है.
तमाम मुश्किलों के बावजूद वहां जाने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है. कारण है, वहां हाल ही में हो रहे कल्चरल बदलाव. कई एक्सपर्ट का मानना है कि जापान एक तरह के रेनेसा, यानी नवयुग में जी रहा है.
जापान के कॉमिक्स, वीडियो गेम्स और कार्टून पहले ही दुनियाभर में लोगों को पसंद आते रहे हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कई लोगों ने कहा कि वो वहां सिर्फ इसलिए जाना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें बचपन से ही जापान के वीडियो गेम का शौक रहा है. और अब जापान का पॉप कल्चर भी लोगों को आकर्षित कर रहा है.
जापान में युवाओं के मुकाबले उम्रदराज लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. यही कारण है कि वहां की सरकार भी अब इमीग्रेशन को आसान बनाने के लिए कदम उठा रही है. हाल ही में जापान ने स्किल्ड कर्मचारियों के लिए सिटिजनशिप आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए थे, लेकिन फिर भी उतने लोग जापान की तरफ नहीं आए, जितने अब आ रहे हैं. अब जापान की प्राइवेट कंपनियां भी बाहर से आ रहे लोगों को मौके देने के लिए तैयार दिख रही हैं.
ज्यादातर जापानी कंपनियां दूसरी भाषा के लोगों को बराबर मौके इसलिए नहीं दे पातीं, क्योंकि वहां हर काम सिर्फ एक भाषा में होता है. लेकिन अब जो कंपनियां बाहर से आए लोगों को बुलाना चाहती हैं, उनके लिए जापान का ये पॉप कल्चर और लोगों का इसके प्रति झुकाव मदद कर रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक जापान की कंपनी मर्करी इंक ने इस साल IIT के 33 ग्रेजुएट को नौकरी दी थी.
तो US समेत ज्यादातर देशों में मुश्किल होते वीजा नियमों के बीच जापान IT कर्मचारियों के लिए एक नया विकल्प बन रहा है.
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