गहरे संकट में फंसे YES बैंक को तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर ) में 18,564 करोड़ रुपये का भारी-भरकम घाटा हुआ है. पिछले साल इसी अवधि में इसे 1000 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था. सितंबर तिमाही में भी बैंक को 629 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था.
एनपीए 40 हजार करोड़ रुपये के पार
चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में बैंक का फंसा हुआ कर्ज 40,709 करोड़ रुपये के बेहद ऊंचे स्तर पर पहुंच गया,जबकि इस साल इस अवधि में यह 5158 करोड़ रुपये था. अक्टूबर-दिसंबर, तिमाही में एनपीए रेश्यो 18.87 फीसदी रहा, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 2.10 फीसदी था.
फंसे हुए कर्ज की वजह से बैंक की प्रोविजिनिंग (अक्टूबर-दिसंबर) बढ़ कर 24,765 करोड़ रुपये हो गई. जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में इसके लिए सिर्फ 548 करोड़ रुपये रखे गए थे.
बैंक की पूंजी में जबरदस्त कमी आई है. कॉमन इक्विटी टियर 1 या सीईटी रेश्यो घट कर 0.06 फीसदी पर पहुंच गया है. जबकि नियमों के हिसाब से इसे कम से कम 7.37 फीसदी पर होना चाहिए
बैंक का कैपिटल एडक्वेसी रेश्यो 4.2 फीसदी था. जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 16.4 फीसदी रहा था. सितंबर तिमाही में ही 16.3 फीसदी था.
बैंक के डिपोजिट में भारी कमी
बैंक के डिपोजिट में भी भारी कमी आई है. बैंक ने अक्टूबर -दिसंबर तिमाही में 40 हजार करोड़ रुपये का डिपोजिट खो दिया. जनवरी से मार्च की अवधि में इसने 30 हजार करोड़ रुपये का डिपोजिट खो दिया.
यस बैंक के गहराते संकट को देखते हुए आरबीआई ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके तहत बैंक के ग्राहकों को 3 अप्रैल तक सिर्फ 50 हजार रुपये ही निकालने की अनुमति दी गई थी. हालांकि अब यह 18 मार्च को खत्म हो जाएगा. विशेष परिस्थितियों में यह राशि पांच लाख रुपये निर्धारित की गई थी. दरअसल बैंक के बड़े कर्जदार एक के बाद एक डिफॉल्ट करने लगे थे. बैंक ने अनाप-शनाप कर्ज दिए थे.
2014 से 2019 तक बैंक की ओर से दिया जाने वाला कर्ज 334 फीसदी बढ़ गया. बैंक का एनपीए अपने समकक्ष बैंकों में सबसे अधिक हो गया और इसके शेयर धड़ाधड़ गिरने लगे. बैंक के प्रबंधन में भारी गड़बड़ी की बातें सामने आने लगीं और आखिरकार आरबीआई को हस्तक्षेप के लिए आगे आना पड़ा.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)