बिहार में NDA एक बार फिर सरकार बनाने जा रही है. जहां NDA की जीत में कई फैक्टर्स अहम माने जा रहे हैं, वहीं एक खास तबका भी है, जिसने इस चुनाव में अहम भूमिका निभाई है. वो हैं- बिहार की महिलाएं.
5 नवंबर को बिहार के पूर्णिया में नीतीश कुमार ने हाथ जोड़कर कहा था, “अब देखिए, बहनों को हम कहेंगे, आप ही के लिए तो सबसे ज्यादा काम किया है, तो आपसे आग्रह है, परसों सुबह पहले वोट दे दीजिएगा...”
इस अपील पर जोरों-शोर से नारे नहीं लगे. लेकिन नीतीश कुमार के 'साइलेंट वोटर्स', जिसे विशेषज्ञ उनका कोर सपोर्ट बेस कहते हैं, ने 10 नवंबर को नतीजों में NDA की जीत का रास्ता साफ कर दिया.
महिलाओं ने किया ज्यादा वोट
चुनाव आयोग (EC) के डेटा के मुताबिक, बिहार चुनाव में महिला वोटर टर्नआउट 59.7% रिकॉर्ड किया गया. ये टर्नआउट कुल मतदान (57.05%) और पुरुष मतदान (54.7%), दोनों से ज्यादा है.
बिहार के 38 जिलों में, 23 में पुरुष से ज्यादा महिला वोटर टर्नआउट रिकॉर्ड किया गया.
ये बिहार के लिए नया नहीं है. पिछले दो विधानसभा चुनावों में भी, ज्यादा महिलाओं ने वोट दिया था. 2010 में महिला वोटर टर्नआउट 54.5% था. वहीं, पुरुष वोटर टर्नआउट केवल 51.1% था.
2015 के चुनाव में, जहां पुरुष टर्नआउट 53.3% था, तो वहीं, महिला वोटर टर्नआउट 60.5% का रहा था.
हालांकि, इसकी सीमाएं भी हैं क्योंकि बिहार में कई महिलाएं मतदाता सूची से गायब हैं. पर्सेंटेज टर्म में अधिक मतदान के बावजूद, मतदान करने वाली महिलाओं की संख्या मतदान करने वाले पुरुषों की संख्या से कम है.
ज्यादा महिला वोटर मतलब NDA को फायदा
बिहार की सभी 243 सीटों पर किए गए हिंदुस्तान टाइम्स के एनालिसिस के मुताबिक, NDA के पास उन सभी सीटों पर स्ट्राइक रेट में 19 पर्सेंटेज प्वॉइंट की बढ़त थी, जहां महिला वोटर, पुरुष वोटर्स से ज्यादा थीं. 243 में से 118 सीटों पर, पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाओं ने मतदान किया.
EC के आंकड़ों से, एक रिपोर्ट से पता चलता है कि महिलाओं की संख्या जितनी अधिक होगी, NDA के जीतने की संभावना भी उतनी ही ज्यादा होगी. उदाहरण के लिए, जब महिला वोटरों की हिस्सेदारी बढ़ी, तो NDA के जीतने की संभावना भी बढ़कर 62% हो गई.
जब महिलाओं की संख्या कम हो गई, तो NDA की जीत की संभावना 26.5 प्रतिशत तक कम हो गई.
द इंडियन एक्सप्रेस के एक एनालिसिस के मुताबिक, अपर कास्ट, कुर्मी, कोइरी और ईबीसी महिलाओं ने NDA को ज्यादा वोट दिया.
नीतीश कुमार को महिलाओं ने क्यों दिया वोट?
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि नीतीश कुमार ने 2005 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद से इस वोट बैंक का 'खास खयाल' रखा है. उन्होंने महिलाओं के बीच RJD के 15 साल के असंतोष को अपने पक्ष में कर लिया.
2005 में स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए फ्री साइकिल प्रोग्राम, और पंचायत चुनाव में महिलाओं के लिए 50% कोटा ने उनके पक्ष में काम किया. अपने दूसरे कार्यकाल में भी, उन्होंने 12वीं कक्षा की छात्राओं के लिए स्कॉलरशिप की घोषणा की, साथ ही सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 50% आरक्षण दिया.
अपने तीसरे कार्यकाल में उन्होंने राज्य में शराबबंदी कर, बिहार को एक ड्राई स्टेट बना दिया. विशेषज्ञों का कहना है कि 2015 में उनकी जीत का एक बड़ा कारण ये भी था.
एग्जिट पोल ने क्या मिस किया?
इंडिया टुडे TV लोकनीति-CSDS के एक ओपिनियन पोल में देखा गया कि बिहार में महिलाओं ने NDA को आगे रखा, क्योंकि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले गठबंधन को महिला वोटरों में लीड हासिल है.
ओपिनियन पोल में बताया गया, "41% महिलाए NDA को वोट देती दिख रही हैं, वहीं RJD के नेतृत्व वाले महागठबंधन को 31% और 28% अन्य को."
हालांकि, अधिकतर एग्जिट पोल में 'साइलेंट महिला वोटरों' को फैक्टर नहीं माना गया.
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