रामविलास पासवान नहीं रहे. बिहार की राजनीति से निकले से एक कद्दावर नेता जो राज्य से लेकर केंद्र तक मौजूं बने रहे. रामविलास से क्विंट ने अभी 2019 के सितंबर में ही बात की थी. इस इंटरव्यू से पता चलता है कि किस तरह तालमेल बिठाकर अपने लिए जगह बना लेते थे रामविलास..
क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया की रामविलास पासवान से बातचीत.
आज चिराग पासवान बिहार NDA से बगावत कर चुके हैं लेकिन महज एक साल पहले उनके पिता ने क्विंट से खास बातचीत में कहा था कि नीतीश के नेतृत्व में ही बिहार चुनाव लड़ेंगे. तो क्या वाकई में रामविलास के हाथ से LJP का मैनेजमेंट चला गया था और चिराग के नेतृत्व में पार्टी ने फैसला किया कि नीतीश का करना है? और क्या वाकई में बीजेपी के इस बात में दम है कि - आज अगर रामविलास पासवान होते तो बिहार NDA में ये नौबत नहीं आती.
दरअसल रामविलास पासवान के नेतृत्व में LJP ने अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया है. पार्टी JDU के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारेगी. हालांकि, उसने कहा है कि जहां भी बीजेपी के उम्मीदवार होंगे वहां वो अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी. उधर बीजेपी ने कह दिया है कि पासवान की पार्टी मोदी के पोस्टर का इस्तेमाल नहीं कर पाएगी.
ये भी चौंकाने वाली बात है कि जब चिराग पासवान ने बिहार एनडीए में खुली बगावत कर दी, तब भी क्योंकि बीजेपी केंद्र में LJP से गठबंधन नहीं तोड़ रही. कुछ सियासी पंडितों का मानना है कि दरअसल बिहार में LJP की बगावत के पीछे बीजेपी का ही बैकअप है और ये सब इसलिए किया जा रहा है ताकि नीतीश को काबू में रखा जा सके.
बहरहाल, चिराग का ये पैंतरा पार्टी के लिए कितना कारगर होगा, ये तो वक्त ही बताएगा. ये चुनाव के बाद में पता चलेगा कि रामविलास ने क्विंट से ऊपर दिए गए इंटरव्यू में जो कहा था कि नीतीश की सीएम उम्मीदवार हैं, वो सही रणनीति थी या फिर चिराग की नई चाल
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