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AAP-कांग्रेस का दिल्ली, हरियाणा में गठबंधन! पंजाब पर नहीं बनी बात

दिल्ली और हरियाणा के लिए आप-कांग्रेस ने किया गठबंधन

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चुनाव
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आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में गठबंधन पर अंतिम फैसला हो चुका है. सूत्रों के मुताबिक आखिरकार दोनों पार्टियों ने एक साथ चुनाव लड़ने का फैसला ले लिया है. बताया जा रहा है कि कांग्रेस और आप के बीच दिल्ली और हरियाणा में एक साथ चुनाव लड़ने पर सहमति बन चुकी है. हालांकि अभी सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर अंतिम मुहर लगना बाकी है. दिल्ली और हरियाणा के बाद पंजाब में भी साथ लड़ने को लेकर दोनों पार्टियों में बातचीत चल रही थी, लेकिन कहा जा रहा है कि यहां गठबंधन पर बात नहीं बन पाई.

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घोषणा पत्र में पूर्ण राज्य का दर्जा

आम आदमी पार्टी के साथ हुए इस गठबंधन के बाद अब कांग्रेस अपने मेनिफेस्टो में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को शामिल कर सकती है. इस मांग को लेकर आम आदमी पार्टी पिछले लंबे समय से आंदोलन कर रही है. बताया जा रहा है कि घोषणा पत्र में जीत के कुछ ही महीने बाद दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की बात शामिल की जाएगी.

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कुछ ही दिन पहले राहुल गांधी ने गठबंधन को लेकर संकेत दिए थे. उन्होंने कांग्रेस का मेनिफेस्टो जारी करने के दौरान कहा कि अभी आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की संभावना खत्म नहीं हुई है. हम लोग अभी भी इसे लेकर काफी पॉजिटिव हैं

सीट शेयरिंग का क्या होगा फॉर्मूला

दिल्ली में सीट शेयरिंग को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में काफी माथापच्ची हुई. पहले आप ने कांग्रेस को 5-2 का फॉर्मूला दिया था. लेकिन कांग्रेस दो सीटों पर लड़ने को तैयार नहीं थी. कांग्रेस ने तीन से कम सीटों पर किसी भी हालत में समझौते से साफ इनकार कर दिया था. जिसके बाद आम आदमी पार्टी भी इस पर सहमत हो गई. लेकिन फैसला पार्टी हाईकमान को करना था. हालांकि अब अंतिम फैसला हो चुका है. दिल्ली में आप 4 और कांग्रेस तीन सीटों पर चुनाव लड़ सकती है.

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गठबंधन को लेकर कांग्रेस में चला लंबा मंथन

आम आदमी पार्टी के साथ चुनावी मैदान में उतरने को लेकर दिल्ली कांग्रेस में काफी दिनों तक मंथन चलता रहा. कभी गठबंधन को लेकर नेता पॉजिटिव नजर आए तो किसी ने इससे साफ इनकार कर दिया. राहुल गांधी के साथ भी खूब बैठकों का दौर चला. कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी पीसी चाको आप के साथ गठबंधन को लेकर पक्ष में थे. वो काफी पहले से ही दिल्ली में गठबंधन की बात कर रहे थे. लेकिन दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित केजरीवाल के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं थीं. शीला के इनकार के बाद पार्टी के अंदर भी एक सर्वे करवाया गया. जिसमें ज्यादातर नेता गठबंधन क पक्ष में दिखे.

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