बिहार से दूर राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है, लेकिन उसकी तपिश बिहार की सियासत में भी देखा जा रहा है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी सहित राज्य के सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक के नेताओं ने दिल्ली चुनाव में मतदाताओं को रिझाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रखी हैं.
कहा तो यहां तक जा रहा है कि दिल्ली का यह चुनाव बिहार में इस साल होने वाले चुनाव का सेमीफाइनल है, वैसे, दिल्ली में हो रहे चुनाव में देखा जाए तो एनडीए जहां एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरा है, वहीं बिहार के विपक्षी दलों का महागठबंधन दिल्ली पहुंचते-पहुंचते बिखर गया है.
बिहार के सभी बड़े दल मैदान में
आरजेडी ने अपनी सहयोगी पार्टी कांग्रेस के साथ चार सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, लेकिन हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) दिल्ली में महागठबंधन से अलग 'अपनी डफली अपना राग' गा रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार करने भी दिल्ली पहुंचे हैं. हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान कहते हैं कि उनकी पार्टी ने छह सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं. इनमें से चार से पांच सीटों पर पार्टी की स्थिति अन्य पार्टी के प्रत्याशियों से अच्छी है.
बिहार की करीब सभी प्रमुख पार्टियां एक-दूसरे से बढ़त लेकर बिहार चुनाव में मनोबल ऊंचा रखकर मनोवैज्ञानिक लाभ लेने की कोशिश में हैं. आरजेडी के लिए दिल्ली चुनाव कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि महज चार सीटों के लिए पार्टी ने राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, मीसा भारती और तेज प्रताप यादव जैसे 36 स्टार प्रचारकों को चुनावी मैदान में उतारा है.
पार्टी इसे बिहार विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल मानकर प्रचार के लिए उतरी है. तेजस्वी अपनी सीटों के अलावा कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए भी प्रचार कर रहे हैं.
दिल्ली के चुनाव को बिहार का सेमीफाइनल मानने पर आरजेडी हालांकि खुलकर नहीं बोल रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधने से नहीं चूक रहा है. आरजेडी के विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि 'बिहार की जनता तय कर चुकी है कि नीतीश सरकार को उखाड़ फेंकेगी. बिहार में बस इसकी घोषणा बाकी है.' उन्होंने कहा कि दिल्ली में 'नीतीश का क्या हाल होगा यह तो अभी देखने की बात है. जद (यू) को एक भी सीट नहीं आने वाली है.
प्रचार-प्रसार से लेकर बिहारी वोटरों को लुभाने की कोशिश हर क्षेत्रीय पार्टियां कर रही हैं. बिहार चुनाव 2020 के पहले दिल्ली चुनाव को सेमीफाइनल बताए जाने पर जद (यू) सही नहीं मान रहा.
पार्टी के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि
दिल्ली चुनाव को बिहार के लिए सेमीफाइनल कहे जाने जैसी कोई बात नहीं है. हर राज्य की परिस्थिति अलग होती है, लेकिन दिल्ली के चुनाव से एनडीए ज्यादा मजबूत और एकजुट हुई है, जबकि महागठबंधन में विखराव फिर से सामने नजर आ गया है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) को एनडीए से ही चुनौती मिल रही है. इधर, राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) महासचिव माधव आनंद ने कहा कि 'निश्चित रूप से एनडीए के लिए यह सेमीफाइनल है. महागठबंधन का सारा कुनबा यहां चुनाव नहीं लड़ रहा है, यहां तो सिर्फ आरजेडी और कांग्रेस ही चुनाव लड़ रही है.'
उन्होंने कहा, "इस चुनाव में लग रहा है कि पूरा बिहार खाली हो गया है. दिल्ली में महागठबंधन की ओर से सिर्फ कांग्रेस और आरजेडी ही चुनावी मैदान में उतरे हैं. नीतीश कुमार बिहार की जनता का समर्थन खो चुके हैं, वैसे ही दिल्ली में भी 11 को उन्हें अपनी जमीन का पता चलेगा. बीजेपी की वजह से दिल्ली में भी जद (यू) को नुकसान होने जा रहा है."
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बहरहाल, दिल्ली चुनाव से एनडीए की एकजुटता का एक और संदेश लोगों को मिल रहा है, जबकि महागठबंधन में अभी भी बिखराव दिख रहा है. वैसे, दिल्ली के करीब सभी विधानसभा क्षेत्र में बिहार के मतदाता हैं, मगर संगम विहार, बदरपुर, किरारी, बुराड़ी, उत्तमनगर और विकासपुर ऐसे कई विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां बिहार के मतदाता निर्णायक माने जाते हैं.
(इनपुट IANS से)
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