हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में कांग्रेस ने जीत दर्ज करते हुए सरकार बनाई है. इस राज्य के लिए कहा जाता है कि 1998 से महिला मतदाताओं ने तय किया है कि हिमाचल प्रदेश की सत्ता का मालिक कौन होगा लेकिन महिला उम्मीदवारों पर इसका असर नहीं देखने को मिलता है. महिला प्रत्याशियों की बात की जाए तो इस बार चुनावी मैदान में कुल 24 महिलाएं उतरी थीं, जो पिछले साल की तुलना में ज्यादा थीं. पिछले विधानसभा चुनाव में केवल 19 महिला प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था. आइए जानते हैं कि राज्य में इस बार के विधानसभा चुनाव में महिलाओं की क्या स्थिति रही.
अगर हम राज्य में शुरुआती चुनाव प्रक्रिया पर नजर डालें तो पता चलता है कि 1967 में जब राज्य में दूसरा विधानसभा चुनाव हुआ तो केवल दो महिला उम्मीदवारों ने अपनी राजनीतिक किस्मत आजमाई थी.
इस बार के चुनाव में तीनों बड़ी पार्टियों ने महिला उम्मीदवारों को उतारा था. बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने 6 महिला उम्मीदवार और कांग्रेस ने तीन महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था.
क्षेत्रीय पार्टियों की ओर से भी महिलाओं को उम्मीदवार बनाया गया. इसके अलावा कई महिलाओं ने निर्दलीय भी चुनाव लड़ा.
हिमाचल प्रदेश की नई विधानसभा के 68 सदस्यों में से केवल एक महिला सदस्य हैं.
आइए जानते हैं कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा के इस चुनाव में अलग-अलग पार्टियों की महिला उम्मीदवारों का प्रदर्शन कैसा रहा है.
बीजेपी की महिला विंग का क्या हाल?
भारतीय जनता पार्टी कुल 6 महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था, जिनमें से सिर्फ एक उम्मीदवार रीना कश्यप ने चुनाव जीता. रीना कश्यप ने पच्छाद विधानसभा सीट से 20630 वोट हासिल करते हुए जीत हासिल की.
उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार दयाल प्यारी को मात दी. दयाल प्यारी ने कुल 16837 वोट हासिल किया था. 2019 में पच्छाद विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने पहली बार रीना कश्यप को टिकट दिया था और वो जीत हासिल करके विधानसभा पहुंची थीं.
कांग्रेस के महिला उम्मीदवारों का प्रदर्शन कैसा रहा?
कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव में 40 सीटें अपने नाम करते हुए जीत तो हासिल की, लेकिन जीतने वाले उम्मीदवारों में कोई भी महिला नहीं है. पार्टी ने कुल तीन महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिन्हें हार का सामना करना पड़ा.
आम आदमी पार्टी की महिला उम्मीदवारों का प्रदर्शन
आम आदमी पार्टी की ओर से चुनावी मैदान में उतारी गईं तीनों महिला उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा. इसके अलावा पार्टी हिमाचल प्रदेश में खाता खोलने में भी कामयाब नहीं हो सकी.
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का वोट प्रतिशत अधिक
हिमाचल प्रदेश के कुल मतदाताओं में करीब 49 प्रतिशत महिलाएं हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 1998 के चुनावों के बाद से पुरुषों की तुलना में महिला मतदाताओं का वोट प्रतिशत ज्यादा रहा है. इस बार के विधानसभा चुनाव में महिलाओं का वोट प्रतिशत 76.8 फीसदी रहा जबकि पुरुषों का मतदान प्रतिशत 72.4 फीसदी था.
अब सवाल ये है कि पर्याप्त रूप में महिला वोटरों की संख्या होने के बाद भी राज्य में क्यों ज्यादातर महिला उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ रहा है.
हिमाचल प्रदेश में क्या रहा है महिला उम्मीदवारों का इतिहास?
1967 से अब तक हुए 15 चुनावों में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए केवल 43 महिलाएं चुनी गईं.
1972 में चार महिलाएं, चंद्रेश कुमारी, सरला शर्मा, लता ठाकुर और पद्मा निर्वाचित हुईं और विद्या स्टोक्स के पति की मृत्यु के बाद ठियोग से उपचुनाव में निर्वाचित होने के बाद यह संख्या बढ़कर पांच हो गई.
1977 के चुनावों में जनता पार्टी की श्यामा शर्मा एकमात्र विजेता थीं, जबकि तीन महिलाओं- श्यामा शर्मा, चंद्रेश और विद्या स्टोक्स ने 1982 में चुनाव जीता था.
1985 के मध्यावधि चुनावों में विद्या स्टोक्स, आशा कुमारी और विप्लव ठाकुर चुने गए, जबकि चार महिला उम्मीदवार- लीला शर्मा, श्यामा शर्मा, सुषमा शर्मा और विद्या स्टोक्स 1990 के चुनावों में विजेता रहीं.
1993 के चुनावों में आशा कुमारी, विप्लोव ठाकुर और कृष्णा मोहिनी ने अपने पुरुष विरोधियों को हराया, जबकि 1998 में अधिकतम 6 महिला उम्मीदवार- सरवीन चौधरी, उर्मिल ठाकुर, विप्लव ठाकुर, विद्या स्टोक्स और आशा कुमारी चुनी गईं, जबकि उपचुनाव में निर्मला जीतीं.
1994 में अनीता वर्मा हमीरपुर में हुए उपचुनाव में भी निर्वाचित हुई थीं.
2003 के चुनावों में चार महिलाएं- विद्या स्टोक्स, अनीता वर्मा, चंद्रेश और आशा कुमारी चुनी गईं.
2007 में पांच महिला उम्मीदवार विद्या स्टोक्स, उर्मिल ठाकुर, सरवीन चौधरी, रेणु चड्डा और विनोद कुमारी विजयी हुईं.
2012 के चुनावों में यह संख्या फिर से घटकर तीन हो गई, जब विद्या स्टोक्स, आशा कुमारी और सरवीन चौधरी फिर से चुनी गईं.
2017 के चुनावों में आशा कुमारी, सरवीन चौधरी, रीता धीमान और कमलेश कुमारी विजेता रहीं, जबकि रीना कश्यप ने उपचुनाव जीतकर विधानसभा में प्रवेश किया.
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