ADVERTISEMENTREMOVE AD

Himachal Pradesh Election: हर चौथा वोटर SC, फिर भी BSP हर चुनाव में क्यों फेल?

Maths of SC/ST voters in Himachal: 1990 से अब तक बीएसपी मात्र एक विधानसभा सीट जीत पाई है.

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव (Himachal Pradesh) के लिए 12 नवंबर यानी आज वोट डाले जा रहे हैं. मतगणना 8 दिसंबर को होगी और नतीजे भी उसी दिन आएंगे. प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां चरम पर हैं. राजपूत- ब्राह्मण का गढ़ कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश में 2011 की जनगणना के अनुसार, दूसरी सबसे बड़ी अनुसूचित आबादी है. जो कि कुल आबादी का 25% से अधिक है. वहीं अनूसूचित जाति और अनूसूचित जनजाति (SC and ST Population in Himachal) को मिला दें तो ये आंकड़ा 30% से ज्यादा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हिमाचल में इतनी बड़ी अनुसूचित आबादी होने के बावजूद आज तक हिमाचल में कोई दलित नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठा है. वहीं माना जाता है कि बीएसपी दलित राजनीति करती है, लेकिन प्रदेश में उसका भी कोई खास जनाधार नहीं दिखता है.

हिमाचल में UR, SC/ST और OBC

सबसे पहले जान लेते हैं कि हिमाचल मे किस जाति के कितने लोग हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, हिमाचल प्रदेश की 50.72 प्रतिशत आबादी सवर्णों की है. इनमें से 32.72 फीसदी राजपूत और 18 फीसदी ब्राह्मण हैं. 25.22 फीसदी अनुसूचित जाति, 5.71 फीसदी अनुसूचित जनजाति, 13.52 फीसदी ओबीसी और 4.83 प्रतिशत अन्य समुदाय से हैं. हिमाचल प्रदेश में मुसलमानों की आबादी न के बराबर है, इसलिए यहां हिन्दुत्व की राजनीति का जोर नहीं है.

हिमाचल प्रदेश में अनूसूचित जाति (SC) की सबसे ज्यादा आबादी सिरमौर जिले (30.34%) में रहती है. इसके बाद मंडी (29.38%), सोलन (28.35%), कुल्लू (28.01%), शिमला (26.51%), बिलासपुर(25.92%), हमीरपुर (24.02%), ऊना (22.16 %) चम्बा (23.81%), कांगड़ा (21.15%) और किन्नौर (17.53 %) जिले में आती है. वही लाहौल स्पीति में राज्य की अनुसूचित जाति की आबादी महज 7.08 % है.

वहीं जिले वार SC/ST आबादी देखें तो प्रदेश के लाहौल स्पीति में 81.44% और किन्नौर में 57% आबादी एसटी है. इसके अलावा चम्बा में भी 26.1% आबादी अनुसूचित जनजाति (ST) से संबंध रखती है.

विधानसभा चुनाव में बीएसपी का प्रदर्शन

हिचालच प्रदेश में बड़ी दलित आबादी होने के बावजूद बहुजन समाज पार्टी (BSP) कोई खास कमाल नहीं दिखा पाई है. 1990 से पिछले 7 चुनावों में मात्र एक उम्मीदवार ने ही जीत हासिल की है. अगर वोटिंग परसेंटेज की बात करें तो 2007 विधानसभा चुनाव में बीएसपी को 7.3 फीसदी वोट मिले थे. वहीं 2012 में ये आंकड़ा गिर कर 1.2 फीसदी पर पहुंच गया. 2022 आते-आते पार्टी 0.79 फीसदी वोटों पर सिमट गई.

चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी का ही बोल-बाला रहा है. 2017 में बीजेपी को 49.53 फीसदी वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस के खाते में 42.32 फीसदी वोट आए थे. इससे पहले 2012 के चुनावों में बीजेपी ने 38.83 फीसदी वोटों पर कब्जा जमाया था. वहीं कांग्रेस ने 43.21 वोट हासिल किए थे. 2007 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 43.78 फीसदी वोट और कांग्रेस 39.54 फीसदी वोट पाए थे.

1990 से अब तक वोट पर्सेंटेज के आधार पर कहा जा सकता है कि अनुसूचित वोट भी बीजेपी और कांग्रेस के खाते में जा रहे हैं. इसके साथ ही इसका यह भी मतलब है कि यहां सर्वण राजनीति ही हावी है. दलित राजनीति का प्रदेश में कोई खास बजूद नहीं है.

आरक्षित सीटों का ट्रेंड

हिमाचल में अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए तीन निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित हैं- भरमौर, किन्नौर, लाहौल और स्पीति. वहीं 17 निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित हैं- अन्नी, बैजनाथ, बल्ह, भोरंज, चिंतपूर्णी, चुराह, इंदौर, जयसिंहपुर, झंडुता, करसोग, कसौली, नाचन, पछड़, रामपुर, रोहड़ू, सोलन और श्री रेणुकाजी.

पिछले चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो हिमाचल में आरक्षित सीटों पर कोई ट्रेंड नहीं देखने को मिलता है. SC/ST सीटों पर हमेशा जीतने वाली पार्टी का ही कब्जा रहा है. 1977 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी को 16 आरक्षित सीटें मिली थीं. वहीं 1985 के चुनावों में कांग्रेस ने 19 में से 17 आरक्षित सीटों पर कब्जा जमाया था.

1990 से अब तक के चुनाव परिणामों पर नजर डालें तो पता चलता है कि बीजेपी और कांग्रेस में पारी-पारी से सीटें बंटी है. 1990 से अब तक बीजेपी को कुल 61 सीटें और कांग्रेस को कुल 63 सीटें मिली हैं. बीएसपी आज तक एक भी आरक्षित सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई है. 2007 में उसे कांगड़ा सीट पर जीत मिली थी जो कि गैर-आरक्षित है.

इन आंकड़ों से साफ है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में 'हाथी' पहाड़ चढ़ने में नाकाम रही है. अगर 2022 की बात करें तो बहुजन समाज पार्टी ने इस बार विधानसभा की 68 सीटों में से 53 सीटों पर उम्मीदवार उतारा है. अब देखना होगा कि कितने उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचते हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

0
Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×