MP Congress Candidate List: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने गुरुवार (19 अक्टूबर) की देर रात 88 नामों की नई लिस्ट जारी की. इसमें बीजेपी से आए पांच नेताओं को भी टिकट दिया गया है. वहीं दिमनी विधानसभा सीट पर केंद्रीय कृषि मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता नरेंद्र सिंह तोमर के खिलाफ रवींद्र सिंह तोमर को मैदान में उतारा है. वहीं 15 अक्टूबर को जारी 144 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट के तीन उम्मीदवारों के टिकट अब बदल दिए गए हैं.
MP की VIP सीटों पर कौन किसके सामने?
किसको मिला टिकट?
कांग्रेस की तरफ से जारी प्रत्याशियों की दूसरी सूची में 10 महिलाएं, 13 एससी, 17 एसटी को टिकट दिया है. हालांकि, पहली लिस्ट की तरह दूसरी सूची में सिर्फ एक मुस्लिम को टिकट मिला है. कांग्रेस ने भोपाल उत्तर से आरिफ अकील को टिकट दिया है, जो वर्तमान विधायक आतिफ अकील के बेटे हैं.
229 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान
अब तक पार्टी ने कुल 229 सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी, जबकि एक सीट पर अभी नाम का ऐलान बाकी है.
कांग्रेस ने बैतूल की आमला सीट पर उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. सूत्रों के अनुसार, यहां से एसडीएम निशा बागरे टिकट मांग रही हैं. लेकिन उनका इस्तीफा अब तक मंजूर नहीं किया गया है. इसलिए पार्टी ने इस सीट का टिकट रोका है.
दिग्विजय के करीबियों को टिकट
कांग्रेस ने दक्षिण पश्चिम से पीसी शर्मा, गोविंदपुरा से रविंद्र साहू, भोजपुर से राजकुमार पटेल को टिकट दिया है. तीनों दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं. एनपी प्रजापति का टिकट काट दिया गया था लेकिन दलित वोट बैंक के चलते उन्हें वापस टिकट मिला है.
बीजेपी से आए नेताओं को कांग्रेस ने दिया टिकट
कांग्रेस ने बीजेपी से आए 6 नेताओं को टिकट दिया है. इसमें बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी को खातेगांव से टिकट मिला है, तो वहीं, होशंगाबाद से गिरजा शंकर शर्मा और सिमरिया से अभय मिश्रा को टिकट दिया गया है. तीनों नेता हाल ही में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे.
गिरजा शंकर शर्मा वर्तमान विधायक सीता शरण शर्मा के भाई हैं. जबकि अभय मिश्रा बीजेपी और कांग्रेस में आते-जाते रहते हैं.
किन सीटों पर उम्मीदवार बदले?
कांग्रेस ने दतिया से मध्य प्रदेश के गृह मंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा के सामने पहले अवधेश नायक को मैदान में उतारा था लेकिन अब वहां से उम्मीदवार बदल दिए गए हैं. अवधेश नायक की जगह राजेंद्र भारती को टिकट दिया है. राजेंद्र भारती इससे पहले भी नरोत्तम मिश्रा के सामने चुनाव लड़ चुके हैं.
इसके अलावा पिछोड़ से शैलेंद्र सिंह की जगह अरविंद सिंह लोधी और गोटेगांव से शेखर चौधरी की जगह नर्मदा प्रसाद प्रजापति को उम्मीदवार बनाया है.
सूत्रों के अनुसार, नायक को टिकट दिया जाने का पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ता विरोध कर रहे थे, जिसके कारण उम्मीदवार बदलना पड़ा.
कई विधायकों के टिकट कटे
कांग्रेस ने अपनी दूसरी लिस्ट में चार मौजूदा विधायकों के टिकट काटे हैं. कांग्रेस ने सुमावली विधानसभा सीट से अजब सिंह कुशवाह, मुरैना विधानसभा सीट के राकेश मावई, गोहद विधानसभा सीट से मेवाराम जाटव और सेंधवा विधानसभा सीट से ग्यारसी लाल रावत को दोबारा मौका नहीं दिया है.
हिंदू, OBC और SC-ST पर फोकस
कांग्रेस की अब तक जारी हुई दोनों सूची को देखें तो साफ समझ आता है कि पार्टी का विशेष फोकस ओबीसी और SC-ST के साथ हिंदू मतदाताओं पर है. कांग्रेस ने अब तक कुल 47 एसटी और 35 एससी को टिकट दिया है. यानी 229 सीट में से 82 पर SC-ST को टिकट दिया है. इसके अलावा, अब तक कुल 29 सीटों पर महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है.
वहीं, दोनों लिस्ट को मिलाकर देखें तो 40 से अधिक ओबीसी को टिकट दिया गया है. जबकि सामान्य को भी दोनों सूची में अच्छी भागीदारी दी गई है. पहली लिस्ट में 47 उम्मीदवार सामान्य सीट से हैं और 39 सीटों पर OBC उम्मीदवार उतारे गए हैं.
सिंधिया के गढ़ में सुनील शर्मा को टिकट
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ मानी जाने वाली ग्वालियर विधानसभा सीट से कांग्रेस ने सुनील शर्मा को मैदान में उतारा है, जिन्होंने मौजूदा विधायक और मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के खिलाफ उपचुनाव लड़ा था, जो सिंधिया के वफादार माने जाते हैं. पिछले विधानसभा चुनाव के बाद प्रधुम्न सिंह तोमर सिंधिया के साथ बीजेपी में चले गए थे.
हालांकि, टिकट वितरण की झलक कांग्रेस के 'घोषणा पत्र' में भी दिखी, जहां पार्टी ने हिंदू और ओबीसी को अपने पाले में करने के लिए कई बड़े ऐलान किये. इसमें ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण और जातीय जनगणना शामिल है, जबकि हिंदुओं के लिए पिछली सरकार में शुरू की गई 1 हजार गोशालाएं फिर से खोलने और नंदिनी गोधन योजना के तहत 2 रुपये प्रति किलो गोबर खरीदने का ऐलान शामिल है.
हिंदू, OBC और SC-ST पर क्यों फोकस?
राजनीतिक जानकारों की मानें तो, हिंदुओं, ओबीसी, एससी-एसटी पर फोकस की मुख्य वजह इनकी आबादी और सीटों पर प्रभाव है. एमपी में ओबीसी 50 फीसदी के करीब है, जबकि 2011 की जनगणना के मुताबिक, राज्य में 90 फीसदी के करीब हिंदू आबादी हैं.
चुनाव आयोग के डेटा के अनुसार, 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 21 ओबीसी, एससी के 15 और 30 एसटी विधायक बने थे. यानी राज्य की 142 सीटें, जिसमें 82 एससी-एसटी और 60 ओबीसी पर कांग्रेस के 66 विधायक चुनकर आये थे.
कुल मिलाकर देखें, एमपी की सत्ता में वापसी की कवायद में जुटी कांग्रेस हर मोर्चे पर जीत का प्लान बनाने में जुटी है. टिकट वितरण से लेकर घोषणा पत्र तक कांग्रेस का एजेंडा साफ है कि जीत किसी भी कीमत पर हासिल करना है. हालांकि, रणनीति के अलावा बगावत और गुटबाजी पर भी कांग्रेस को विजय हासिल करना होगा, तभी "बढ़ाइये हाथ, फिर कमलनाथ” का सपना साकर हो पाएगा.
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