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MP चुनाव: बीजेपी-कांग्रेस में नौकरियों पर खींचतान, लेकिन 39 लाख अभी भी बेरोजगार

मध्य प्रदेश में लगभग 39 लाख बेरोजगार युवाओं में से केवल 21 लोगों को पिछले 3 सालों में राज्य सरकार ने नौकरी दी है.

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विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं और मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में BJP और कांग्रेस, दोनों ने चुनावी बिगुल फूंक दिया है.

230 सदस्यों वाली राज्य विधानसभा के लिए 17 नवंबर को मतदान होगा, जबकि नतीजे 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे. शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार 2008 से 16 सालों तक मध्य प्रदेश की सत्ता में रही है. इसमें बस दिसंबर 2018 से मार्च 2020 के बीच समय को छोड़ दीजिए, जब कांग्रेस सत्ता में आई थी और कमल नाथ मुख्यमंत्री थे.

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इस बार भी राज्य में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है. 17 अक्टूबर को, कांग्रेस ने 25 लाख रुपये के स्वास्थ्य बीमा, जाति जनगणना, सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 27% आरक्षण और राज्य के लिए इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) टीम के वादे के साथ अपना चुनावी घोषणापत्र जारी किया था.

पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने इस साल जून में जबलपुर से चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए राज्य में कथित भ्रष्टाचार और बड़े पैमाने पर बेरोजगारी को लेकर बीजेपी सरकार पर हमला बोला था. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, प्रियंका गांधी ने तब कहा था,

"पिछले तीन सालों में, बीजेपी सरकार की तरफ से राज्य में केवल 21 सरकारी नौकरियां दी गईं. जब ये आंकड़ा मेरे संज्ञान में लाया गया, तो मैंने अपने कार्यालय से तीन बार इसकी जांच कराई और पाया कि यह एक फैक्ट है."

इस बीच, शिवराज सिंह चौहान ने 30 सितंबर को राज्य के आदिवासी बहुल अलीराजपुर जिले में एक रैली के दौरान राज्य में हर परिवार को एक नौकरी देने का वादा किया.

शिवराज सिंह चौहान इस बार पांचवे कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ने जा रहे हैं. द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा,

"मैं (राज्य के लोगों के) जीवन से कठिनाइयों को दूर कर दूंगा. अगर मैं दोबारा सत्ता में आया तो हर परिवार से एक व्यक्ति को रोजगार दिया जाएगा, ताकि उन्हें पलायन न करना पड़े. चाहे वो स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से हो, उद्यम के माध्यम से हो, क्रांति योजना हो या सरकारी नौकरी, हर परिवार से एक व्यक्ति को नौकरी दी जाएगी."

जैसे-जैसे वोटिंग का दिन नजदीक आ रहा है और आरोप-प्रत्यारोप तेज होते जा रहे हैं. चलिए हम मध्य प्रदेश में बेरोजगारी के मुद्दे पर एक नजर डालते हैं.

पिछले 3 साल में सिर्फ 21 युवाओं को नौकरी

पिछले साल राज्य विधानसभा के मानसून सेशन में दिए गए बेरोजगारी के आंकड़ों के अनुसार, 1 अप्रैल, 2022 तक 25.8 लाख से ज्यादा पंजीकृत बेरोजगार युवा थे. 1 जनवरी 2023 को ये आंकड़ा बढ़कर 38,92,949 हो गया.

इसका मतलब है कि मध्य प्रदेश में हर महीने लगभग एक लाख से ज्यादा लोग बेरोजगार होते गए.

हालांकि, इन लगभग 39 लाख लोगों में से सिर्फ 21 को पिछले तीन सालों में राज्य सरकार ने नौकरी दी है. ये चौंकाने वाला आंकड़ा तब सामने आया जब सरकार ने इस साल 1 मार्च को मध्य प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस विधायक मेवाराम जाटव को जवाब दिया.

इसके अलावा, NDTV की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1 अप्रैल 2020 से राज्य भर में 52 रोजगार कार्यालयों को चलाने के लिए 16.74 करोड़ रुपये खर्च किए जाने का अनुमान है. इसका मतलब है कि ये नौकरियां देने के लिए सरकार ने प्रति व्यक्ति लगभग 80 लाख रुपये खर्च किए.

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15 अक्टूबर को नई दिल्ली में AICC मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, कांग्रेस नेता शोभा ओझा ने दावा किया कि "सभी सरकारी नौकरियां घोटालों की भेंट चढ़ गईंहैं." उन्होंने कहा,

"2022 में लगभग 40 लाख युवा रोजगार कार्यालय में पंजीकृत थे और ये शर्मनाक है कि सरकार उनमें से केवल 21 लोगों को ही नौकरी दे पाई."

ओझा ने नौकरियों की कमी के लिए राज्य में नर्सिंग भर्ती घोटाला, पुलिस कांस्टेबल भर्ती घोटाला, शिक्षक भर्ती घोटाला और पटवारी भर्ती घोटाला जैसे कथित घोटालों को जिम्मेदार ठहराया.

उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों में परीक्षाओं के माध्यम से कोई नर्सिंग नौकरी नहीं मिली है और वादा किया कि इस बार सत्ता में आने पर कांग्रेस राज्य में अच्छी शिक्षा और रोजगार देगी.

बाकी राज्यों की तुलना में एमपी ठीक कैसे है?

22 सितंबर को, शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अलग-अलग सरकारी नौकरियों के लिए एक लाख लोगों की भर्ती की गई है, और राज्य में लगने वाले नए मध्यम और कुटीर उद्योग हजारों लोगों को नौकरी देंगे.

राज्य आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, 2022 को छोड़कर मध्य प्रदेश में हर साल बेरोजगारी में वृद्धि देखी गई है. 2022 में राज्य में बेरोजगार युवाओं की संख्या लगभग पांच लाख कम हो गई थी.

मध्य प्रदेश में लगभग 39 लाख बेरोजगार युवाओं में से केवल 21 लोगों को पिछले 3 सालों में राज्य सरकार ने नौकरी दी है.

2022 में मध्य प्रदेश में बेरोजगारी दर 3.2 प्रतिशत थी. इसकी अन्य चुनावी राज्यों से तुलना करें तो ये छत्तीसगढ़ में 3.4 और तेलंगाना में 4.5 था. इसी दौरान हरियाणा में बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा 37.4 जबकि, राजस्थान में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा 28.5 है.

मध्य प्रदेश में लगभग 39 लाख बेरोजगार युवाओं में से केवल 21 लोगों को पिछले 3 सालों में राज्य सरकार ने नौकरी दी है.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के अनुसार, जुलाई 2023 तक देश की कुल बेरोजगारी दर 7.95 प्रतिशत है. 2020 में महामारी के दौरान बेरोजगारी दर अपने चरम पर थी और तब से इसमें गिरावट देखी जा रही है.
मध्य प्रदेश में लगभग 39 लाख बेरोजगार युवाओं में से केवल 21 लोगों को पिछले 3 सालों में राज्य सरकार ने नौकरी दी है.
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मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा OBC युवा बेरोजगार

विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल के जवाब में राज्य सरकार की तरफ से पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 1 अप्रैल, 2022 तक 25.81 लाख पंजीकृत बेरोजगार युवा थे. इन बेरोजगार युवाओं में से ज्यादातर ओबीसी समुदाय के थे.

न्यूजक्लिक की एक रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से 30 प्रतिशत (7.72 लाख) पंजीकृत बेरोजगार अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) से हैं. ये दोनों समुदाय मिलकर MP की कुल आबादी का लगभग 36 प्रतिशत हिस्सा हैं.

बाकी 70% बेरोजगार लोग OBC और सामान्य वर्ग के हैं.

आंकड़ों से पता चलता है कि 2011 से 2021 के बीच रोजगार मेलों से 8.25 लाख से अधिक लोगों को ऑफर लेटर दिए गए हैं. इसमें 2.89 लाख ओबीसी, 2.69 लाख अनारक्षित, 1.54 लाख SC और 1.11 लाख ST है.

न्यूजक्लिक के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि ग्वालियर में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है, जहां करीब 1.55 लाख पंजीकृत बेरोजगार युवा हैं. इसके बाद भोपाल में 1.31 लाख, रीवा में 1.09 लाख और मुरैना में 1.02 लाख पंजीकृत युवा बेरोजगार है.

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