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MP: कांग्रेस का हिंदुत्व 'तड़का', BJP के रास्ते में खड़े नाराज पुजारी + बागी बजरंगी

MP Congress Election Strategies: पार्टी के वादों से आश्वस्त पुजारी श्रद्धालुओं से कांग्रेस को वोट देने के लिए कह रहे हैं.

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MP Election 2023: 58 साल के सीताराम बैरागी लंबे समय से बीजेपी समर्थक हैं; उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी बीजेपी का समर्थन करता आ रहा है. दूसरी चीज जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है, वह है परिवार की मंदिर की जमीन. लेकिन अब, जबकि बैरागी को लग रहा है कि उनके परिवार की मंदिर की जमीन खतरे में है, तो उन्होंने बीजेपी के लिए अपना पुश्तैनी समर्थन भी छोड़ने का पक्का इरादा कर लिया हैं. चेहरे पर तिरस्कार के भाव के साथ वह कहते हैं. “बीजेपी फेल हो गई है. मुझे उससे बहुत उम्मीदें थीं. लेकिन उन्होंने निराश किया है,”

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बता दें कि बैरागी ने मध्य प्रदेश के देवास में कांग्रेस पुजारी प्रकोष्ठ या पुजारी सेल की ओर से आयोजित कार्यक्रम में गुस्से में ये बात कही. संयोग से देवास मंदिरों के लिए लोकप्रिय भी है.

जैसे ही राज्य में चुनाव नजदीक आ गए हैं, अगस्त 2022 में गठित पुजारी प्रकोष्ठ ने राज्यभर में पुजारी समुदाय (MP Congress Election Strategies) तक पहुंच बनाने के लिए अपनी कमर कस ली है.

कांग्रेस पुजारी प्रकोष्ठ के यूथ प्रेसिडेंट सुधीर भारती ने विभिन्न जिलों से आए 150 से ज्यादा पुजारियों को संबोधित करते हुए कहा “30-40 साल पहले बनी एक राजनीतिक पार्टी हिंदू आस्था की रक्षक नहीं है. आप हिंदू आस्था के रक्षक हैं.’'

संदेश साफ है: जो लोग हिंदू धर्म पर एकाधिकार का दावा करते हैं, उन्होंने निराश किया है. यही वह संदेश है, जो कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं के जरिए फैलाने की कोशिश कर रही है. पुजारी प्रकोष्ठ के कार्यक्रम इसी तरह की पहल है.

वहीं, राइट विंग यानी दक्षिणपंथी संगठन जो बीजेपी जैसा ही सुर अलापते हैं, जैसे बजरंग सेना, उनको कांग्रेस अपनी छत्रछाया में लाने की कोशिश कर रही है. इन्हीं सब प्रयास से मध्य प्रदेश में कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस हिंदुत्व पर फोकस कर रही है.

मंदिर की जमीन पर मालिकाना हक के मुद्दे से पुजारियों को साधने की कोशिश

‘नहीं हैं मठ-मंदिर सरकारी

इनके रक्षक संत-पुजारी'

मंदिर और मंदिर की जमीन सरकार की नहीं होती, पुजारी ही उसके रखवाले हैं. यह कांग्रेस पुजारी प्रकोष्ठ कार्यक्रम का लोकप्रिय नारा है, कार्यक्रम स्थल पर लगे कई पोस्टरों में भी इसे ही बताया गया है.

लेकिन दूसरा, नारा जो कांग्रेस के अभियान के दौरान अक्सर सुनाई देता रहता है, वो भी प्रासंगिक है. ‘जो संत पुजारी की बात करेगा, वही देश (मध्य प्रदेश) में राज करेगा.’

भारती अपने भाषण में दर्शकों में मौजूद लगभग 150 पुजारियों से, जिनमें से कुछ देवास से हैं और कुछ पड़ोसी जिलों से आए हैं, कहते हैं कि सिर्फ एक राजनीतिक दल है, जो मंदिर की जमीन को सरकारी कब्जे से मुक्त कराएगा. और सिर्फ एक राजनीतिक दल को सत्ता में लाने के लिए वोट दिया जाना चाहिए. वह कहते हैं, ‘'सरकार ने आपके मंदिरों में जिला कलेक्टरों को बैठा दिया है, वे आपके मंदिर आपसे छीन रहे हैं.’’

वहां मौजूद लोग भारती की बात का समर्थन करते हुए नजर आते हैं. बैरागी पिछले कुछ महीनों से जब भी घर से बाहर निकलते हैं, अपने फटे झोले में एक दस्तावेज लेकर साथ चलते हैं. उस कागज के अनुसार, जिस मंदिर में वो पुजारी हैं, कई दशक पहले वो उनके दादा के पास था, उसके बाद उनके पिता के पास और उसके बाद उसकी जिम्मेदारी उन्हें दे दी गई.

इस साल के शुरुआत में मंदिर से लगी जमीन पर "अतिक्रमण" कर लिया गया था, तब से जमीन वापस पाने के लिए वो दर-दर भटक रहे हैं. यह वह जमीन है जहां सब्जियां उगाते हैं और उसे बेचकर होनेवाली कमाई से अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं लेकिन अब यह जमीन जिला प्रशासन ने किसी और को बेच दी है, अब जमीन उनकी नहीं रह गई.

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कई और पुजारी बताते हैं कि वे जमीन पर पीएम आवास योजना जैसी योजनाओं का लाभ नहीं उठा सकते हैं, क्योंकि तकनीकी रूप से वे इसके मालिक नहीं हैं. एक अन्य पुजारी ने बताया कि उनका मंदिर बस स्टॉप के बगल में था, इसलिए उनकी जमीन पर यात्रियों के लिए वेटिंग रूम बना दिया गया. वहां पर उन्होंने अपने रहने के लिए जो कमरा बनवाया था, उसे तोड़ दिया गया.

मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता और राज्य के जमीन से जुड़े दूसरे कानूनों के तहत, पुजारियों को सिर्फ मंदिर की जमीन के केयरटेकर बताया गया है, जबकि भगवान मालिक है. राज्य में जिला मजिस्ट्रेट कई मंदिरों के प्रबंधन की अध्यक्षता कर कर रहे हैं. इसी बात पर पुजारियों को आपत्ति है.

भारती कहती हैं...

“हम चाहते हैं कि भगवान मालिक बने रहें, लेकिन हम चाहते हैं कि प्रबंधन से जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) का नाम हटा दिया जाए. मंदिर सरकारी संपत्ति नहीं है, इसलिए उन्हें यह तय करने का कोई अधिकार नहीं है कि इसके साथ क्या करना है.’'

‘बीजेपी चाहती है कि मंदिर सिर्फ उनका अड्डा हों’: पुजारी

लेकिन यहां सबसे बड़ा आरोप सिर्फ यह नहीं है कि सरकार का मंदिरों पर नियंत्रण है, बल्कि इससे भी ज्यादा यह है कि एक राजनीतिक दल के रूप में बीजेपी, मंदिरों के माध्यम से अपना वर्चस्व बनाने की कोशिश कर रही है.

पंडित आत्माराम वैष्णव कहते हैं...

“खुद को हिंदुओं की पार्टी कहकर, बीजेपी असल में मंदिरों को अपनी राजनीति का ‘अड्डा’ बनाने की कोशिश कर रही है. वे चाहते हैं कि RSS, VHP और ऐसे दूसरे संगठनों का मंदिर पर मजबूत पकड़ हो."
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इस साल अप्रैल में सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने ऐलान किया था कि मंदिरों पर अब सरकारी नियंत्रण नहीं होगा और पुजारी मर्जी से अपनी जमीनें बेच सकेंगे. लेकिन पुजारियों का कहना है कि इस ऐलान के बाद भी समितियां या मंदिर समितियां बनाई जा रही हैं, जो उनको व्यावहारिक रूप से शक्तिहीन बना रही हैं.

पंडित आत्माराम कहते हैं, “अगर हम उनका आदेश नहीं मानेंगे तो हमें मंदिर से पूरी तरह हटाया जा सकता है.”

पुजारी यह भी सवाल उठाते हैं कि बीजेपी ने हिंदुओं और हिंदू धर्म के लिए अब तक क्या किया है? पंडित जगदीश बैरागी कहते हैं, "वे कहते हैं वही राम मंदिर बना रहे हैं. लेकिन राम मंदिर हमारे पैसे, पुजारियों के पैसे और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बन रहा है. उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है.’’

जहां पुजारी प्रकोष्ठ की कोशिश राज्य के ज्यादा से ज्यादा पुजारियों तक पहुंचना है, वहीं पार्टी के वादों से आश्वस्त लोग श्रद्धालुओं से कांग्रेस को वोट देने के लिए कह रहे हैं.

जगदीश कहते हैं, “मैं अपने मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं से कहता हूं कि उनके परिवार से एक वोट मेरी भिक्षा के रूप में जरूर कांग्रेस को मिले. परिवार के दूसरे वोट जिसे चाहें उसे दे सकते हैं, लेकिन एक वोट निश्चित रूप से कांग्रेस के लिए हो.”

बीजेपी के वफादार वोट बैंक रहे हैं पुजारी

इन कोशिशों के बावजूद मध्य प्रदेश में बीजेपी के पारंपरिक वोट बैंक रहे पुजारियों की पसंद को बदलना आसान काम नहीं होगा.

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कांग्रेस के इस कार्यक्रम में भी जब चर्चा चल रही थी, एक पुजारी एक समर्पित बीजेपी समर्थक निकला, जो यहां किए जा रहे वादों से असहमत था.

“मैं यहां अपने पुजारी परिवार की तरफ से आया हूं. लेकिन मैं देख सकता हूं कि कांग्रेस जो वादा कर रही है वह सिर्फ वोट हासिल करने की कवायद है. बीजेपी ही एक ऐसी पार्टी है, जो सभी हिंदुओं को एकजुट रखने में सक्षम है और अब कांग्रेस झूठे वादे करके उस एकता को तोड़ने की कोशिश कर रही है. मेरी जमीन नहीं बेची गई है, मेरे मंदिर की जमीन मेरे पास है, इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है.”

पुजारी के विरोध को कांग्रेस-समर्थक भीड़ के बाकी लोग सही नहीं मानते. मगर भारती भी मानते हैं कि पुजारी परंपरागत रूप से बीजेपी समर्थक रहे हैं. वह कहते हैं, “वे बीजेपी के वफादार समर्थक रहे हैं. लेकिन उनमें से बहुतों को अब सच्चाई का एहसास हो रहा है.’’

कमलनाथ की हिंदू समर्थक छवि

मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेतृत्व ने अपनी हिंदू समर्थक छवि पेश करने की कोशिश में कोई कसर नहीं छोड़ी है. पूर्व सीएम कमलनाथ ने विवादास्पद स्वघोषित धर्मगुरु धीरेंद्र शास्त्री से तीन दिन की ‘हनुमान कथा’ कराई. शास्त्री ने कई बार हिंदू राष्ट्र की मांग उठाई है.

क्या वे धीरेंद्र शास्त्री की मांग का समर्थन करते हैं, इस सवाल के जवाब में कमलनाथ ने कहा कि अगर देश की 82% आबादी हिंदू है, तो ये कौन सा राष्ट्र हुआ?” हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जो संविधान से चलता है.

हनुमान की प्रतिमा के साथ कमलनाथ

कमलनाथ ने कई साल पहले अपने गृह क्षेत्र छिंदवाड़ा जिले के सेमरिया गांव में भगवान हनुमान की 101 फुट ऊंची प्रतिमा बनवाई थी. फिर, जब 2020 में अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखी जा रही थी, तब भी कमलनाथ इसका समर्थन और स्वागत करने वाले बड़े कांग्रेसी नेताओं में से थे.

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2018 के चुनाव के बाद 15 महीने के दौरान जब कांग्रेस सत्ता में थी, कमलनाथ ने उज्जैन में 300 करोड़ के महाकालेश्वर कॉरिडोर की आधारशिला रखी, जिसका 2022 में पीएम मोदी ने उद्घाटन किया. कांग्रेस ने बीजेपी पर इसका श्रेय लूटने का आरोप लगाया है.

इसके अलावा, कांग्रेस पार्टी ने पुजारियों के वेतन में बढ़ोत्तरी की और 2018 में कंप्यूटर बाबा और मिर्ची बाबा जैसे हिंदू संतों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया. 2018 में कांग्रेस के घोषणापत्र में नर्मदा परिक्रमा मार्ग और राम वन गमन पथ (भगवान राम जिस रास्ते से वनवास गए थे) के विकास का भी वादा किया गया था.

दक्षिणपंथी बजरंग सेना ने कांग्रेस से क्यों हाथ मिलाया?

जून 2023 में दक्षिणपंथी संगठन बजरंग सेना ने कांग्रेस से हाथ मिला लिया. जोरदार हनुमान चालीसा पाठ के बीच, बजरंग सेना के सदस्यों ने कमलनाथ का स्वागत किया और उन्हें गदा सौंपी.

अब कांग्रेस में आ चुके बीजेपी के पूर्व नेता दीपक जोशी ने बजरंग सेना को कांग्रेस के साथ लाने में अहम भूमिका निभाई. जोशी बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश चंद्र जोशी के बेटे हैं.

बजरंग सेना का 2013 में गठन हुआ था और इसके राष्ट्रीय संयोजक रघुनंदन शर्मा राज्य में बीजेपी के वरिष्ठ नेता रहे हैं.

द क्विंट से बात करते हुए शर्मा कहते हैं...

"हाल में उत्तर प्रदेश में 2022 के चुनावों तक बजरंग सेना ने हमेशा बीजेपी के लिए प्रचार किया लेकिन बीजेपी ने हमें इसका इनाम हमारे अध्यक्ष और हमारे गोरक्षक कार्यकर्ताओं पर मामले दर्ज करवाकर दिया.”

रघुनंदन शर्मा का मानना है कि बीजेपी ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वे बजरंग सेना को अपना आधार बनाते नहीं देख सकते थे. शर्मा कहते हैं, “उनमें सत्ता का अहंकार आ गया है. ‘मोदी है तो मुमकिन है’ बयान उस घमंड को दर्शाता है. उन्होंने खुद को भगवान समझना शुरू कर दिया है.”

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बजरंग सेना के सदस्य चुनाव की तैयारियों में अपना ज्यादातर वक्त भोपाल में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्यालय में बिताते हैं और रणनीति बनाते हैं कि पार्टी के लिए प्रचार करने को अपने संगठन का किस तरह इस्तेमाल किया जाए.

बजरंग सेना के मध्य प्रदेश अध्यक्ष अमरीश राय का कहना है कि यह संगठन कांग्रेस के लिए “ठीक वैसे ही काम करेगा, जैसे RSS बीजेपी के लिए काम करता है.”

राय कहते हैं, “मध्य प्रदेश में हमारे सात लाख बजरंग सेना कार्यकर्ता हैं. वे हर निर्वाचन क्षेत्र में जाएंगे और कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगे.”

कांग्रेस का साथ देने पर, बजरंग सेना पार्टी की हिंदू साख, हनुमान की मूर्ति के साथ ही गोरक्षा के लिए किए गए वादों के उदाहरण गिनाती है.

साल 2018 में कमलनाथ ने राज्य भर में 1,000 गौशालाओं के निर्माण के लिए 450 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया और गाय के चारे के लिए धनराशि 5 रुपये रोजाना से बढ़ाकर 20 रुपये कर दी थी.

“बीजेपी के शासन में, भारत से गोमांस निर्यात बढ़ा है. वे कहते हैं कि वे गायों की रक्षा करते हैं, लेकिन हर एक किलोमीटर पर आपको सड़क किनारे एक मरी हुई गाय पड़ी मिलेगी. यह है उनकी कथनी और करनी का अंतर.”
रमाशंकर मिश्रा, बजरंग सेना के सदस्य

‘बजरंग सेना का हाथ, कमल नाथ के साथ.’ यह नारा सड़कों पर गूंज रहा है.

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