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कांग्रेस पर सिद्धू का सितम- ‘खुद तो डूबेंगे सनम, तुमको भी ले डूबेंगे हम’

पंजाब में कांग्रेस 16 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है. 2017 में उसे 77 सीटें हासिल हुई थीं.

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पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election) में कांग्रेस की करारी हार को लेकर सिद्धू पर एक कहावत याद आ रही है. “ना खेलेंगे, ना खेलने देंगे...खेल बिगाड़ेंगे”. जी हां पंजाब में कांग्रेस के कैप्टन यानी नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया है. चुनाव से पहले जहां सिद्धू ने कांग्रेस के जहाज के असली कैप्टन अमरिंदर सिंह के हाथ से पतवार छिन ली वहीं, नतीजों में साफ दिख रहा है कि कांग्रेस की सिद्धू ने मटिया पलीत कर दी है.

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पंजाब चुनाव के नतीजों की मानें तो अभी शुरुआती रुझानों में कांग्रेस 16 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है. कांग्रेस के सीएम उम्मीदवार चरणजीत सिंह चन्नी भी अपनी दोनों सीटों से पीछे चल रहे हैं. इसके अलावा खुद नवजोत सिंह सिद्धू भी अपनी सीट से करीब 5 हजार वोटों से पीछे चल रहे हैं. सिद्धू अमृतसर ईस्ट से चुनावी मैदान में हैं. यहां से आम आदमी पार्टी के जीवन ज्योत कौरा 22012 वोटों के साथ पहले स्थान पर हैं. जबकि, 17745 वोटों के साथ नवजोत सिंह सिद्धू दूसरे स्थान पर हैं.

सिद्धू की सीट अमृतसर ईस्ट की बात करें तो यहां कांग्रेस को अभी करीब 30 फीसदी वोट शेयर के साथ दूसरे स्थान पर हैं. वहीं, इस सीट पर 37 फीसदी वोट शेयर के साथ आम आदमी पार्टी पहले स्थान पर है.
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सिद्धू ने डुबो दी पंजाब कांग्रेस की नाव

117 विधानसभा सीटों वाले पंजाब में कांग्रेस को साल 2017 के चुनाव में 77 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. लेकिन, इस बार के चुनाव में शुरुआती रुझान के अनुसार कांग्रेस 16 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है. इसका पूरा श्रेय नवजोत सिंह सिद्धू को जाता है. क्योंकि, अमरेंदर सिंह के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही सिद्धू के रिश्ते ठीक नहीं रहे, लिहाजा सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह में और दूरियां बढ़ने लगीं. ये दूरियां इतनी बढ़ीं की चंडीगढ़ से दिल्ली की दूरी भी कम लगने लगी. दोनों नेताओं ने दिल्ली में आलाकमान के सामने हाजिरी लगानी शुरू कर दी. अंतत: कैप्टन अमरेंदर ने सीएम पद से इस्तीफा देकर अपनी अलग राह चुन ली.

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सिद्धू की महत्वाकांक्षा कांग्रेस पर भारी पड़ी

कैप्टन अमरिंदर सिंह को साइडलाइन करवाने के बाद सिद्धू खुद को सीएम के तौर पर पंजाब में अपने को स्थापित करना चाहते थे. लेकिन, कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें सांत्वना दी और चरणजीत सिंह चन्नी के नाम को आगे बढ़ाया. फिर एक बार सिद्धू के अरमानों पर पानी फिर गया. चन्नी के सीएम बनने के बाद सिद्धू ने अब दूसरा रास्ता अपनाया. सिद्धू को लगा कि वही पंजाब कांग्रेस में सर्वमान्य नेता हैं, ऐसे में सीएम चन्नी उनकी बातों को प्राथमिकता देंगे. लेकिन, यहां भी सिद्धू फेल हो गए. चन्नी ने सिद्धू से हटकर अपना नई लीक बनाई. उसके बाद से सिद्धू की चन्नी से भी अदावतें शुरू हो गई.

कांग्रेस में अंदरूनी कलह चल ही रही थी कि पंजाब में विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी गई. चुनाव आयोग ने पांच राज्यों के साथ पंजाब में भी चुनाव का ऐलान कर दिया. कांग्रेस के अंदरूनी कलह से परेशान जनता ने 20 फरवरी को वोट का चोट देकर कांग्रेस और सिद्धू दोनों को क्लीन बोल्ड कर दिया.

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