संसद के विशेष सत्र में लोकसभा के अंदर बीएसपी विधायक दानिश अली के खिलाफ अपमानजनक और अभद्र भाषा का प्रयोग करने वाले सांसद रमेश बिधूड़ी (Ramesh Bidhuri) को बीजेपी ने एक नई और अहम जिम्मेदारी सौंपी है. बीजेपी ने बिधूड़ी को राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले टोंक जिले का प्रभारी नियुक्त किया है.
इसपर TMC की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा,"बीजेपी ने बिधूड़ी को मुसलमानों के खिलाफ बोलने का इनाम दिया है. जिस व्यक्ति को कारण बताओ नोटिस दिया हुआ हो उसे बीजेपी नई जिम्मेदारी कैसे दे सकती है?"
महुआ मोइत्रा के अलावा विपक्ष के अन्य सांसद और नेता भी बीजेपी के इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं. ऐसे में आइए समझते हैं कि बीजेपी ने बिधूड़ी को ये जिम्मेदारी क्यों दी और इसका क्या प्रभाव हो सकता है?
टोंक में बिधूड़ी की नियुक्ति के क्या मायने?
टोंक के जातीय समीकण को देखें तो ऐसा लगता है कि बिधूड़ी की नियुक्ति को राजस्थान में कांग्रेस नेता सचिन पायलट का तोड़ माना जा रहा है. सचिन पायलट टोंक से ही विधायक हैं और इसी जिले में बिधुड़ी को प्रभारी नियुक्त किया गया है. सचिन पायलट और रमेश बिधूड़ी दोनों गुर्जर समाज से आते हैं.
टोंक जिले में विधानसभा की चार सीटें आती हैं. 2011 की जनसंख्या के अनुसार, टोंक जिले में हिंदू आबादी 87.49 % और मुस्लिम 10.77% है. हालांकि जिस टोंक सीट से पायलट खुद मैदान में हैं, वहां हिंदू आबादी लगभग 50% और मुस्लिम आबादी 47% के लगभग है.
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो, बिधूड़ी को जिम्मेदारी देने के पीछे एक वजह वोटों का ध्रुवीकरण है. दरअसल, बीजेपी रमेश बिधूड़ी के जरिए हिंदू वोटों को एकजुट करना चाहती है, जिससे उसे चुनाव में लाभ मिल सके.
बिधूड़ी की पहचान दिल्ली में बीजेपी के जमीनी स्तर के नेताओं के रूप में है और उनका अपने निर्वाचन क्षेत्र में काफी प्रभाव है. पिछले दिनों उनकी बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात हुई थी, जिसमें माना जा रहा है कि उनके बयान को लेकर भी चर्चा हुई थी. और उसी के बाद, ये सब फैसला हुआ है.
एक वरिष्ठ टिप्पीणकार ने कहा, "पार्टी ने बिधूड़ी को एक तरह से चलैंज दिया है, वो देखना चाहती है कि बिधूड़ी अपने ग्राउंड लेवल के अनुभव का टोंक में कितना लाभ उठा सकते हैं. अगर वो सफल रहे तो उन्हें इनाम भी मिल सकता है."
सचिन पायलट के प्रभाव को कम कर पाएंगे बिधूड़ी?
सचिन पायलट गुर्जर समुदाय से आते हैं. राजस्थान में गुर्जर–5%, मीणा-7% और जाट–10% हैं. तीनों ही समुदाय में पायलट की पकड़ मजबूत है और 2018 के चुनाव में कांग्रेस को इसका फायदा मिला था.
राजस्थान के 12 जिलों में गुर्जर समाज का प्रभाव है. भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, जयपुर, टोंक, दौसा, कोटा, भीलवाड़ा, बूंदी, अजमेर और झुंझुनू जिलों को गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है. प्रदेश में गुर्जर समाज 200 में से करीब 40 सीटों को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं.
ऐसे में सचिन पायलट के इलाके में एक ऐसे गुर्जर नेता को भेजना जो खुद विवादों में चल रहा हो बीजेपी के लिए रिस्की फैसला हो सकता है. जानकारों का मानना है कि मुस्लिमों के खिलाफ संसद में बयान देने के चलते वे चर्चा में हैं और हो सकता है कि इसी के चलते वे हिंदू वोटों को अपनी पार्टी के पक्ष में जुटाने में कामयाब भी हो जाएं, लेकिन
इसका दूसरा पहलू ये है कि मुस्लिम वोट पूरी तरह से बीजेपी से दूर हो सकते हैं और इसके साथ ही वे हिंदू भी बिधूड़ी का समर्थन नहीं करते जो समाज में भाईचारे को बढ़ावा देना चाहते हैं. इसीलिए बिधूड़ी को दी गई नई जिम्मेदारी बीजेपी के लिए दोधारी तलवार साबित हो सकती है.
नतीजा जो भी हो लेकिन बिधूड़ी जिम्मेदारी मिलते ही एक्शन में आ गए हैं. उन्होंने बुधवार, 27 सितंबर को जयपुर के बीजेपी कार्यालय में एक महत्वपूर्ण मीटिंग की है.
क्यों चर्चा में आए बिधूड़ी?
रमेश बिधूड़ी पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी के लोकसभा सांसद हैं. संसद के विशेष सत्र के दौरान 21 सितंबर की देर शाम लोकसभा में चंद्रयान की सफलता पर चर्चा हो रही थी. बिधूड़ी ने अपने भाषण के बीच में बीएसपी सांसद दानिश अली के खिलाफ आतंकवादी, उग्रवादी समेत कई आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया. इतना ही नहीं, 'संसद के बाहर देख लेने' की धमकी भी दी.
इसके बाद उनके भाषण के इस हिस्से को लोकसभा की कार्यवाही से हटा दिया गया और पार्टी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया. विपक्षी नेताओं और आम लोगों ने भी बिधूड़ी के इस बयान की खूब आचोलना की. तभी से बिधूड़ी चर्चा में हैं.
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