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राजपूत वोटर्स की नाराजगी बीजेपी को पड़ी भारी, पश्चिमी UP से लेकर राजस्थान में दिखा असर

चुनाव से पहले कई जगहों पर राजपूत समाज के लोगों ने बीजेपी को वोट न देने को लेकर अपील भी की थी.

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लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को बहुमत से दूर करने के लिए कई फैक्टर्स ने काम किया. उसमें से एक राजपूत फैक्टर (Rajput Factor) भी है जो बीजेपी के लिए भारी साबित हुआ. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि बीजेपी में टिकट बंटवारे से लेकर मतदान के दौरान कई जगहों पर राजपूतों ने बीजेपी को वोट न देने की कसम खाई थी. ऐसा खासकर राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और गुजरात में हुआ है.

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में टिकट बंटवारे से नाखुश राजपूत वोटर्स

पश्चिमी यूपी में राजपूतों समेत अन्य समुदायों ने अपनी नाराजगी खुल कर व्यक्त की है. मतदान से पहले 7 अप्रैल को राजपूतों ने सहारनपुर में एक विशाल महापंचायत की, राजपूत कम लोकसभा टिकटों के मिलने से नाखुश थे. पश्चिमी यूपी में राजपूतों का हिस्सा लगभग 10% है. गाजियाबाद में जब रिटायर जनरल वीके सिंह का टिकट काट कर अतुल कुमार गर्ग को टिकट दिया तब राजपूतों में नाराजगी फैल गई. हालांकि बीजेपी ये सीट 3,36,965 वोट के मार्जिन से जीत गई.

सहारनपुर: यहां भी राजपूतों ने बीजेपी पर उन्हें हाशिए पर धकेलने का आरोप लगाया. कांग्रेस के प्रत्याशी इमरान मसूद ने नाराज राजपूतों के साथ बैठकें भी और वह बीजेपी उम्मीदवार राघव लखनपाल से 64,542 वोट मार्जिन से जीत गए और बीजेपी सहारनपुर हार गई.

मुजफ्फरनगर: में भी बीजेपी के टिकट बंटवारे से राजपूत समेत त्यागी, सैनी नाराज रहे. इस सीट को एसपी उम्मीदवार हरेंद्र सिंह मालिक ने जीता और बीजेपी उम्मीदवार संजीव कुमार बाल्यान 24,672 वोटों के मार्जिन से हार गए.

कैराना: यहां भी राजपूतों का पर्सेंट लगभग 6 है. एसपी उम्मीदवार इकरा मजबूत दावेदार थी ही, उधर बीजेपी ने दोबारा गुर्जर उम्मीदवार क टिकट दिया जिससे बीजेपी को राजपूत वोटर्स की नाराजगी का सामना करना पड़ा. मिहिर भोज विवाद के दौरान बीजेपी उम्मीदवार प्रदीप चौधरी और नकुड़ विधायक मुकेश चौधरी की कथित विवादास्पद और 'पक्षपाती' भूमिका से राजपूत समाज नाराज हो गया है. बीजेपी ये सीट 69,116 वोट मार्जिन से हार गई.

मेरठ: यहां राजपूतों का प्रतिशत लगभग 6% है. बीजेपी ने यहां से स्टार अरुण गोविल को टिकट दिया. हालांकि बीजेपी ये सीट निकालने में कामयाब रही. गोविल शुरुआती रुझानों में पीछे चल रहे थे लेकिन फिर 10,585 वोटों के मार्जिन से जीत गए.

बिजनौर: यहां राजपूतों का हिस्सा लगभग 5% है. बीजेपी की सहयोगी दल आरएलडी ने यहां से चंदन चौहान (राजपूत) को उम्मीदवार बनाया और आरएलडी ने 37,508 वोटों के मार्जिन से जीत दर्ज की.

अमरोहा: यहां से कांग्रेस ने कुंवर दानिश अली को मैदान में उतारा जिनका राजपूत वंश से जुड़ा इतिहास है. वहीं बीजेपी ने दोबारा हारे हुए गुर्जर उम्मीदवार को टिकट दिया लेकिन बीजेपी ये सीट 28,670 वोटों के मार्जिन से जीतने में कामयाब रही.

राजस्थान में भी राजपूत फैक्टर

राजस्थान में राजपूत वोटर परंपरागत रूप से बीजेपी का वोट बैंक माना जाता है लेकिन यहां भी राजपूतों ने बीजेपी को वोट न देने की कसम खाई है.

बाड़मेर सीट पर राजपूत वोटरों को साधने के लिए पार्टी में शामिल किए गए पूर्व सांसद मानवेंद्र सिंह ने भी एक इंटरव्यू में कहा कि राजपूत वोटर्स में गुजरात के पूर्व सीएम और बीजेपी नेता पुरुषोत्तम रूपाला के बयान को लेकर नाराजगी है. राजपूतों को मनाने के लिए मेरे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है.

बाड़मेर-जैसलमेर, जोधपुर, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, चुरू और कोटा समेत कई सीटों पर राजपूत वोटरों की तादाद काफी ज्यादा है.

चुरू में बीजेपी के देवेंद्र झाजरियां को 72,737 वोट के मार्जिन के साथ हार का सामना करना पड़ा. बाड़मेर में कैलाश चैधरी तीसरे स्थान पर रहे. वे 4,17,943 वोट मार्जिन से हार गए. जोधपुर में गजेंद्र शेखावत ने जीत दर्ज की. यहां से कांग्रेस के राजपूत उम्मीदवार ने जीत दर्ज की.

चित्तौड़गढ़ में केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला की टिप्पणी को लेकर राजपूत समुदाय नाराज है. हालांकि ये सीट बीजेपी के सीपी जोशी ने भारी मतों के साथ जीती है. वहीं राजसमंद सीट और कोटो भी बीजेपी ने जीती.

गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के बाद हरियाणा में भी राजपूत समुदाय ने बीजेपी को वोट न देने का ऐलान किया. महाराणा प्रताप सिंह की जयंती पर अंबाला जिले में क्षत्रिय स्वाभिमान महापंचायत का आयोजन किया गया, जिसमें क्षत्रिय राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज शेखावत ने बीजेपी को हराने वाले प्रत्याशी को समर्थन देने का ऐलान किया था.

बता दें कि अंबाला में भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था, यहां से कांग्रेस उम्मीदवार वरुण चौधरी ने जीत दर्ज की है.

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