इंडिया टुडे- माय एक्सिस ने अपने एग्जिट पोल में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने लिए 288-326 सीटों पर जीत के साथ शानदार बहुमत की भविष्यवाणी की है. संकेत मिल रहा है कि एंटी-इनकंबेंसी और बेरोजगारी, खुले मवेशी और किसानों की दुर्दशा जैसे मुद्दे बीजेपी को कोई बड़ा डेंट देने में असफल रहे हैं. न्यूज 24- चाणक्य ने बीजेपी के लिए 294 सीटों पर जीत का अनुमान लगाया है. टाइम्स नाउ-वीटो ने 225 जबकि ABP- सी वोटर्स ने 228-244 सीटों पर जीत के साथ बीजेपी के लिए स्पष्ट बहुमत की भविष्यवाणी की है.
हालांकि अगर इन एग्जिट पोल्स में बीजेपी के लिए अनुमानित जीत के आंकड़ों को देखें तो, सबसे कम (225) और सबसे अधिक(326) के बीच लगभग 100 सीटों का अंतर नजर आता है. वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के लिए 71 से लेकर 151 सीटों पर जीत का अनुमान लगाया गया है, यानी बहुमत के आंकड़े से बहुत दूर.
अनुमानों में यह अंतर क्या कहता है?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अनुमानों में इस अंतर का एक कारण कारण है अलग-अलग एग्जिट पोल्स में पार्टियों के लिए अलग-अलग वोट शेयर का होना. दूसरा कारण है कि इस बार मुकाबला मुख्य रूप से दो पार्टियों के बीच है जबकि पिछली बार त्रिकोणीय मुकाबला था.
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बनेगी किसकी सरकार? सवाल बड़ा है और अगर एग्जिट पोल (Exit Polls) की माने तो समाजवादी पार्टी (SP) का गठबंधन सूबे में बीजेपी (BJP) के विजय रथ को रोकने में नाकामयाब नजर आ रहा है. अधिकतर एग्जिट पोल्स में बीजेपी स्पष्ट बहुमत पाती नजर आ रही है. अगर एग्जिट पोल्स का यह अनुमान 10 मार्च को आ रहे नतीजों में सही साबित होता है तो पिछले लगभग 3 दशकों में पहली बार होगा जब सूबे में किसी पार्टी ने लगातार 2 चुनाव में सरकार बनाई हो.
UC बर्कले में रिसर्च स्कॉलर प्रणव गुप्ता का कहना है कि “सभी एग्जिट पोल्स में अलग-अलग वोट शेयर मिलने का अनुमान हैं जिसके कारण दोनों पार्टियों के लिए सीटों के अनुमानों में अंतर आएगा. कुछ का कहना है कि बीजेपी अपने 2017 के वोट शेयर को बनाए रखेगी, लेकिन चूंकि इस बार मुकाबला मुख्यतः दो पार्टियों के बीच है इसलिए जरूरी नहीं कि बीजेपी के लिए यह वोट शेयर 300 प्लस सीट में तब्दील हो जाए”
एक्सपर्ट्स के अनुसार इन एग्जिट पोल्स का दूसरा पहलु सर्वे में शामिल लोगों के सैंपल से जुड़ा है. एक्सपर्ट्स का दावा है कि जबतक सर्वे में शामिल हो रहे लोगों का मूल डेटा उपलब्ध न हो तबतक कौन जीतेगा यह अनुमान लगाना मुश्किल है.
राजनीतिक विश्लेषक और ‘बैटलग्राउंड यूपी’ के को-ऑथर रंजन पांडे का कहना है कि “ किसी भी सर्वे की विश्वसनीयता सैंपल साइज, सैंपलिंग के आधार के साथ-साथ इस बात पर निर्भर करती है कि सर्वे में शामिल हो रहे लोगों का सैंपल हर तबके का प्रतिनिधित्व करता है या नहीं. उदाहरण के लिए अगर किसी विधानसभा क्षेत्र में 90% हिंदू और 10% मुस्लिम हैं तो सर्वे में 9 हिंदू और 1 मुस्लिम शामिल होना चाहिए”.
रंजन पांडे के अनुसार यह जरूरी है कि सर्वे में जिससे उनकी राय पूछें वो जनता के मूड का प्रतिनिधित्व करता हो न कि वह बायस्ड हो या किसी भी तरह से किसी पार्टी का पक्षधर. जबतक किसी के पास रॉ डेटा न हो तबतक किसी भी एग्जिट पोल की सटीकता पर कुछ भी कहना मुश्किल है.
एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि बीजेपी के वोटर मुखर होते हैं जबकि एसपी के साइलेंट. अगर सर्वे में बीजेपी को प्रचंड बहुमत दिखने का एक कारण यह है तो 10 मार्च को नतीजे थोड़े बदले रूप में भी दिख सकते हैं.
बीजेपी उत्साहित, विपक्ष कह रहा 10 मार्च का करें इन्तजार
एग्जिट पोल्स में स्पष्ट बहुमत की भविष्यवाणी आने के बाद तमाम टीवी चैनलों पर शुरू डिबेट में बीजेपी प्रवक्ताओं की खुशी देखते बनती थी जबकि विपक्ष उसे नकारता नजर आया.
राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि “एग्जिट पोल क्या करेगा जब वोटों को कोको ले उड़ी. गठबंधन के कार्यकर्ताओं ने बहुत संघर्ष किया है. अब उन्हें शांतिपूर्वक मतगणना में सहयोग करना चाहिए”.
एसपी की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने एग्जिट पोल के नतीजों को खारिज कर दिया. पार्टी सुप्रीमो ओम प्रकाश राजभर ने दावा किया कि गठबंधन सरकार बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है.
उन्होंने कहा कि "हम एग्जिट पोल से सहमत नहीं हैं. यह फर्जी है. हमने जनता के लिए काम किया है और वे हमारे साथ हैं. 10 मार्च को, पहले दौर की मतगणना में हम 403 में से 400 सीटों पर आगे चलेंगे.”
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)