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Exit Poll में योगी की वापसी, लेकिन 5 वजहों से गलत भी साबित हो सकते हैं अनुमान

Exit Poll में मायावती को लेकर लगाए गए अनुमान सही साबित हुए तो ऐसा यूपी में पहली बार होगा.

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यूपी चुनाव के एग्जिट पोल (UP Election Exit Poll) में बीजेपी फिर से सरकार बनाती दिख रही है. 5 एग्जिट पोल में अखिलेश यादव बहुमत से बहुत दूर हैं. बीजेपी को 257-273, एसपी को 114-130 और बीएसपी को 8-15 सीटें मिल सकती हैं. एग्जिट पोल सही और गलत हो सकते हैं. इसका फैसला 10 मार्च को होगा, लेकिन उससे पहले एग्जिट पोल को लेकर 5 सवाल खड़े हो रहे हैं.

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साल 2012 के यूपी चुनाव में एसपी को 29.2% वोट के साथ 224 सीटें मिलीं. बीजेपी ने 15% वोट के साथ 47 सीटों पर कब्जा किया. लेकिन 2017 में बीजेपी को 40% वोट के साथ 312 सीटें मिलीं. यानी 15% वोट बढ़ने पर 265 सीटों का फायदा. यानी 1% वोटिंग बढ़ने पर 10 सीटों का इजाफा. वहीं एसपी को 2017 में 22% वोट मिले, लेकिन सीटों की संख्या सिर्फ 47 थी. यानी 2012 की तुलना में 7.2% वोट कम हुए, लेकिन 177 सीट कम हो गई.

एग्जिट पोल के नतीजों को लेकर 5 बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं

1- एग्जिट पोल में बीजेपी की 100 से ज्यादा सीटों का अंतर क्यों?

यूपी चुनाव 2022 के लिए 5 एग्जिट पोल को देखें तो उनमें बीजेपी की सीट को लेकर सवाल उठ रहे हैं. मसलन, न्यूज एक्स-सीएनएक्स (NewsX-CNX Exit Poll) के एग्जिट पोल में बीजेपी को कम से कम 211 सीटें मिलती दिख रही हैं, लेकिन इंडिया टुडे ( India Today-Axis My India Exit Poll) में बीजेपी को कम से कम 288 सीटें मिल रही हैं. अधिकतम सीट की बात करें तो न्यूज एक्स-सीएनएक्स ने बीजेपी को 225 सीटें दी हैं, लेकिन इंडिया टुडे ने 326.

न्यूज एक्स और इंडिया टुडे के एग्जिट पोल को ही देखें तो दोनों में 115 सीटों का फर्क नजर आता है. एग्जिट पोल की सीटों में आखिर इतना ज्यादा गैप क्यों दिख रहा है? एसपी की सीटों को लेकर भी कुछ ऐसी ही है. इंडिया टुडे के एग्जिट पोल में एसपी को 71-101 सीटें मिलती दिख रही हैं. वहीं न्यूज एक्स-सीएनएक्स के एग्जिट पोल में 146-160 और सी वोटर 132-148 सीटें दे रहे हैं. यहां भी 89 सीटों का फर्क नजर आ रहा है.
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2- 2017 में मोदी की लहर थी, लेकिन अबकी बार कौन सा जादू चला?

साल 2017 में मोदी लहर थी. तब बीजेपी को यूपी में 40% वोट मिले, लेकिन अबकी बार जब कोरोना, बेरोजगारी, अवारा पशु, किसान आंदोलन जैसे बड़े मुद्दे थे. अखिलेश यादव अच्छी फाइट में दिख रहे थे. ऐसे में बीजेपी का वोट प्रतिशत साल 2017 से भी बढ़ जाना कई सवाल खड़े करता है. आखिर अबकी बार के चुनाव में कौन सा जादू चला? इसका सबसे बड़ा जवाब दिया जा रहा है लाभार्थी वोटर. यानी वे लोग जिन्हें कोरोना के दौरान फ्री में अनाज मिला. हालांकि इसका सच 10 मार्च को ही पता चल सकेगा.

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3- एसपी ने 30% वोट के साथ सरकार बना ली, अबकी बार 36% पर भी नहीं?

साल 2012 में अखिलेश यादव ने 29.2% वोट के साथ सरकार बना ली थी, लेकिन अबकी बार उन्हें 36% वोट मिल रहे हैं, लेकिन 100 सीट ही मिल रही है. आखिर वोटों के प्रतिशत और सीटों की संख्या ऐसा गैप क्यों? हालांकि इसका एक तर्क ये हो सकता है कि मायावती या फिर ओवैसी ने कई जगहों पर एसपी को नुकसान पहुंचाया हो. ऐसे में वोटों की संख्या तो बढ़ गई, लेकिन वह सीटों में तब्दील नहीं हो पाई.

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4- जैसे ओपिनियन पोल्स-वैसे एग्जिट पोल, दोनों में कोई फर्क नहीं

यूपी चुनाव को लेकर मतदान से पहले जो ओपिनियन पोल आए, मतदान के बाद वैसे ही एग्जिट रहे. बहुत ज्यादा फर्क नहीं दिखा. इसे कुछ उदाहरणों से समझते हैं.

  • एबीपी सी वोटर ने ओपिनियन पोल में बीजेपी को 223-225 सीटें दी थीं. एग्जिट पोल में भी 228-244 सीटें मिलती दिख रही है. एसपी को ओपिनियन पोल में 145-157 सीटें मिल थी रही थीं. एग्जिट पोल में 132-148 सीटें मिल सकती है.

  • रिपब्लिक भारत के ओपिनियन पोल में बीजेपी को 223-225 सीटें मिल रही थीं. एग्जिट पोल में 240 सीटें. एसपी को ओपिनियन पोल मे 111-131 सीटें मिल रही थी. एग्जिट पोल में 140.

  • टाइम्स नाऊ ने ओपिनियन पोल में बीजेपी को 227-254 सीटें दी थीं. एग्जिट पोल में 225. एसपी को ओपिनियन पोल में 136-151 सीटें दी गई. एग्जिट पोल में 151.

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5- यूपी में जो आजतक नहीं हुआ, एग्जिट पोल में बीएसपी के वैसे नतीजे

इंडिया टुडे (India Today-Axis My India) एग्जिट पोल में बीजेपी प्लस को 46% वोट के साथ 228-326, एसपी प्लस को 36% वोट के साथ 71-101, बीएसपी को 12% वोट के साथ 3-9 और कांग्रेस को 3% वोट के साथ 1-3 सीटें मिल सकती है. वहीं साल 2007 में बीएसपी को 30.4%, 2012 में 25%,2017 में 22% और 2019 में 19% वोट मिले. ऐसे में अबकी बार बीएसपी का वोट 12% रह गया? ये एक ही स्थिति में हो सकता है, जो यूपी में आजतक नहीं हुआ कि मायावती को उनके जाटव वोटर छोड़ दे.

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पश्चिम बंगाल, बिहार और दिल्ली सहित कई चुनावों में एग्जिट पोल गलत साबित हो चुके हैं. ये भी याद रखना होगा कि बीजेपी के खिलाफ वोट करने वाला वोटर साइलेंट है. वो गुप्त मतदान करता है. वहीं बीजेपी का सपोर्टर मुखर है. तो हो सकता है कि आकलन में गलतियां हो जाएं. ऐसे में 10 मार्च का इंतजार करना चाहिए. नतीजों के दिन ही पता चल सकेगा कि अबकी बार एग्जिट पोल सही साबित होते हैं या नहीं.

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