ADVERTISEMENTREMOVE AD

UP: BJP की पहली लिस्ट जारी , सेफ सीट से उतरे योगी, 20 से ज्यादा MLA के टिकट कटे

साल 1967 के बाद से जनसंघ, फिर बाद में बीजेपी 2002 के चुनाव को छोड़कर गोरखपुर सीट से अजेय रही है.

छोटा
मध्यम
बड़ा

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (Uttar Pradesh Elections 2022) के लिए बीजेपी (BJP) ने 107 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है. सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को लेकर मथुरा और अयोध्या से चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे थे. लेकिन लिस्ट जारी होने के बाद साफ हो गया है कि योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से चुनाव लड़ेंगे. वहीं केशव प्रसाद मौर्या (Keshav Prasad Maurya) सिराथू से चुनाव लड़ेंगे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पार्टी ने पहले चरण के लिए 57, दूसरे चरण के लिए 48, पांचवें और छठवें चरण के लिए एक-एक उम्मीदवार की घोषणा की है. 20 से ज्यादा मौजूदा बीजेपी विधायकों के टिकट काटे गए हैं.

जहां बीजेपी का 55% वोट, वहां से योगी उम्मीदवार

गोरखपुर शहर सीट की बात करें तो साल 2017 में यहां से कुल 23 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. बीजेपी की तरफ से राधा मोहन दास अग्रवाल उम्मीदवार थे. उन्हें सबसे ज्यादा 55.9% वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर कांग्रेस के उम्मीदवार राणा राहुल सिंह थे. उन्हें 28.1% वोट मिले. तीसरे नंबर पर बीएसपी के जनार्दन चौधरी थे, जिन्हें 11.1% वोट मिले थे.

सिराथू विधानसभा सीट से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या को टिकट दिया गया है. साल 2017 में सिराथू से कुल 16 उम्मीदवार थे. बीजेपी के उम्मीदवार शीतला प्रसाद को 40% वोट मिला था. वहीं दूसरे नंबर पर एसपी उम्मीदवार वाचस्पति को 26% वोट मिले थे.

योगी आदित्यनाथ के लिए सबसे सुरक्षित सीट क्यों?

गोरखपुर शहर सीट योगी आदित्यनाथ के लिए सबसे सेफ इसलिए मानी जा रही है क्योंकि साल 1967 के बाद से बीजेपी और जनसंघ यहां से नहीं हारी. सिर्फ 2002 में एक बार हारी थी. हार अखिल भारतीय हिंदू महासभा के हाथों हुई थी. तब महासभा के उम्मीदवार डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल थे, जिन्हें 39% वोट और बीजेपी उम्मीदवार शिव प्रताप शुक्ला को 14% वोट मिले थे. ये तीसरे नंबर पर थे.

योगी आदित्यनाथ तब गोरखपुर से सांसद थे. योगी आदित्यनाथ को मथुरा या अयोध्या की बजाय गोरखपुर से टिकट देने के पीछे एक बड़ी वजह हो सकती है कि पार्टी को लगता है कि इससे पूर्वी यूपी में फायदा मिल सकता है.

यहां बीजेपी को एसपी से कड़ी चुनौती मिल रही है. यह एक ऐसा क्षेत्र भी है जहां पश्चिम यूपी की तुलना में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कम है और जाति विभाजन ज्यादा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×