सीवान में राष्ट्रीय जनता दल की उम्मीदवार हीना शहाब हों या उनकी प्रतिद्वंद्वी जेडीयू की कविता सिंह या फिर मुंगेर में कांग्रेस प्रत्याशी नीलम सिंह, पार्टिंया अलग-अलग लेकिन बाहुबली पतियों की आपराधिक पृष्ठभूमि के कारण ‘हालात के मारे मिली उम्मीदवारी’ तीनों को सौगात में मिली और अब वे चुनावी अखाड़े में पूरे दम खम से ताल ठोक रही हैं. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि इन बाहुबलियों की बीवियां चुनावी अखाड़े में कितनी 'बाहुबली' साबित होंगी?
चुनावी मैदान में चुनौती
पिछले दो लोकसभा चुनाव हार चुकी हीना चार बार सीवान के सांसद रहे बाहुबली शहाबुद्दीन की पत्नी हैं, जो अपहरण और हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. जेडीयू उम्मीदवार और दरौंधा से दो बार की विधायक कविता बाहुबली अजय सिंह की पत्नी है जिन्हें कई आपराधिक मामलों की वजह से टिकट नहीं दिया गया.
मुंगेर में मोकामा विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम पहली बार चुनाव लड़ रही हैं, जिनका सामना प्रदेश के जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह से है. कभी नीतीश कुमार के करीबी रहे अनंत दो बार जेडीयू के टिकट पर चुनाव जीते, लेकिन मुख्यमंत्री से मतभेद होने पर अब निर्दलीय विधायक हैं. उनके खिलाफ हत्या, अपहरण, फिरौती और शस्त्र कानून के तहत करीब डेढ़ दर्जन मामले दर्ज हैं.
हीना के लिये सफर नहीं आसान
शहाबुद्दीन जेल में है लेकिन हीना को उनके पिछले काम के आधार पर जीत का यकीन है. उन्होंने इंटरव्यू में कहा, ‘‘साहब तो 15 साल से नहीं हैं. मुझे घर में हर वक्त उनकी कमी खलती है लेकिन जनता के प्यार को देखकर मुझे गर्व होता है कि मैं सीवान की बेटी और बहू हूं." पर्दे में रहने वाली घरेलू महिला हीना के लिये यह सफर आसान नहीं था.
‘‘मैं 2009 में पर्दे से निकलकर राजनीति में आई लेकिन खुलकर अपने विचार नहीं रख सकी. फिर 2014 में ठान कर आई कि हार से घबराना नहीं है और हारकर जीतने वाला ही सिकंदर होता है. मैं पिछले पांच साल में सीवान के लोगों के सुख दुख में साथ रही.’’-हीना शहाब
सीवान में 1996 से 2004 तक लालू के करीबी शहाबुद्दीन ने चुनाव जीता लेकिन 2009 और 2014 में ओमप्रकाश यादव ने पहले निर्दलीय और फिर भाजपा उम्मीदवार के तौर पर उनकी पत्नी हीना को हराया.
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कविता सिंह को जीत पर यकीन
वहीं दो बार दरौंधा से विधायक रहीं कविता का मानना है कि हर सफल महिला के पीछे पुरूष होता है और उनके पीछे अजय सिंह हैं. उन्होंने कहा, ‘‘यहां लड़ाई दो महिलाओं की नहीं, बल्कि यूपीए और एनडीए की है. मुझे मोदी लहर, नीतीश जी के काम और अपने पति की साख के दम पर जीत का यकीन है. देश चाहता है कि मोदीजी फिर प्रधानमंत्री बनें और सीवान के लिये भी राष्ट्रीय मुद्दे सर्वोपरि हैं.’’
अजय सिंह की मां जगमातो देवी भी दरौंधा और रघुनाथपुर से विधायक रह चुकी हैं. उनके निधन के बाद कविता विधायक बनी.
कविता ने अपने चुनाव लड़ने को महिला सशक्तिकरण की प्रक्रिया का हिस्सा बताया. उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार में विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और लोकसभा स्पीकर महिलायें रहीं. उन्होंने आधी आबादी को आगे बढ़ाया और मैं उसी परंपरा का निर्वाह करके सीवान से पहली महिला सांसद बनूंगी.’’
खुद को डमी उम्मीदवार नहीं मानतीं नीलम सिंह
मुंगेर की कांग्रेस प्रत्याशी नीलम सिंह का भले ही यह पहला चुनाव हो लेकिन वह खुद को डमी उम्मीदवार नहीं मानती. उन्होंने कहा, ‘‘विरोधियों को कोई और मुद्दा नहीं मिल रहा इसलिये मुझे डमी कह रहे हैं. मैं अपने पति से अलग नहीं हूं, लेकिन हम काम के आधार पर वोट मांग रहे हैं. मुंगेर में कोई मोदी लहर नहीं है बल्कि यहां महागठबंधन की लहर है और जनता बदलाव चाहती है.’’
डमी प्रत्याशी के सवाल पर हीना ने कहा,‘‘हम जनता की मांग पर राजनीति में आये. मेरे परिवार में कोई नेता नहीं था और ना ही आने वाला था. बीस साल में कोई कह दे कि साहब के घर से कोई मुखिया भी बना हो. जाति, धर्म से उठकर जिले के लिये काम करने मैं राजनीति में आई हूं.’’
कविता ने सीवान में कानून व्यवस्था कायम रखने का वादा किया तो नीलम मुंगेर को उसका हक दिलाने के दावे कर रही हैं.
नीलम ने कहा, ‘‘मुंगेर से दो मंत्री राज्य सरकार में है लेकिन उसके साथ सौतेला बर्ताव हुआ. सारे उद्योग यहां से चले गए और प्रशासन की गुंडागर्दी चरम पर है. मैं और मोकामा विधायक (अनंत सिंह) मिलकर मुंगेर को उसका हक दिलायेंगे.’’
बता दें कि सीवान में 12 मई को मतदान होना है, जबकि मुंगेर में 29 अप्रैल को मतदान हुआ है.
(इनपुट: भाषा)
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