बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन ने लीलावती अस्पताल से लौटने के बाद अपने प्रशंसकों के लिए कविता लिखकर भावनाएं जाहिर कीं. अमिताभ शुक्रवार शाम रुटीन चेकअप के लिए लीलावती अस्पताल पहुंचे थे. अस्पताल से लौटने के दौरान वह मीडिया के कैमरों से बचने के लिए कैप पहने दिखे.
अमिताभ ने अस्पताल से लौटने के बाद अपना अनुभव ‘हां जनाब मैं अस्पताल जाता हूं' कविता के जरिए बयां किया. इसमें उन्होंने बताया कि अस्पताल जाना उनकी नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसे वह उम्र के इस पड़ाव तक जारी रखे हुए हैं.
ब्लॉग में अमिताभ ने लिखा कि वह बचपन से ही अस्पताल जाते रहे हैं और वह इस पवित्र स्थल का अभिनंदन करते हैं.
यहां पढ़ें अमिताभ बच्चन का पूरा ब्लॉग-
जी हां जनाब मैं अस्पताल जाता हूं
बचपन से ही इस प्रतिकिया को जीवित रखता हूं,
वहीं तो हुई थी मेरी प्रथम पैदाइश चीत्कार
वहीं तो हुआ था अविरल जीवन का मेरा स्वीकार
इस पवित्र स्थल का अभिनंदन करता हूं मैं
जहां ईश्वर की बनाई प्रतिमा की जांच होती है तय
धन्य हैं वे
धन्य हैं वे
जिन्हें आत्मा को जीवित रखने का सौभाग्य मिला
भाग्यशाली हैं वे जिन्हें, उन्हें सौभाग्य देने का सौभाग्य ना मिला
बनी रहे ये प्रतिक्रिया अनंत जन जात को
ना देखें ये कभी अस्वस्थता के चंडाल को
पहुंच गया आज रात्रि को Lilavati के प्रांगण में
देव समान दिव्यों के दर्शन करने के लिए मैं
विस्तार से देवी देवों से परिचय हुआ
उनकी वचन वाणी से आश्रय मिला
निकला जब चौ पहियों के वाहन में बाहर,
‘रास्ता रोको’ का ऐलान किया पत्र मंडली ने जर्जर
चकाचौंध कर देने वाले हथियार बरसाते हैं ये
मानो सीमा पार कर देने का दंड देना चाहते हैं वे
समझ आता है मुझे इनका व्यवहार;
समझ आता है मुझे, इनका व्यवहार
प्रत्येक छवि वार है ये उनका व्यवसाय आधार,
बाधा ना डालूंगा उनकी नित्य क्रिया पर कभी
प्रार्थना है बस इतनी उनसे मगर, सभी
नेत्र हीन कर डालोगे तुम हमारी दिशा दृष्टि को
यदि यूं अकिंचन चलाते रहोगे अपने अवजार को
हमारी रक्षा का है बस भैया, एक ही उपाय ,
इस बुनी हुई प्रमस्तिष्क साया रूपी कवच के सिवाय
– अमिताभ बच्चन
अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में बताया कि लीलावती अस्पताल से उनका रिश्ता कितना पुराना है. उनके मुताबिक, लीलावती अस्पताल को वह मंदिर जैसा मानते हैं.
अस्पताल से निकलते वक्त अमिताभ अपने सिरे को कैप से ढंके हुए थे. इसका कारण भी उन्होंने बताया. उन्होंने कहा कि शुरुआत में वह इतनी भीड़ को देखकर घबरा से गए थे, लेकिन बाद में उन्हें अहसास हुआ कि मीडिया और फोटोग्राफर भी अपना काम कर रहे हैं. इन सब बातों को अमिताभ ने कविता के जरिए शब्दों में पिरोया है.
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