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आर्यन खान कसूरवार है या नहीं, अब इसके कोई मायने नहीं है- वो एक भड़कीली खबर है

आर्यन खान को सामूहिक तौर पर शर्मसार करके हम देश की पूरी नौजवान पीढ़ी के लिए क्या संदेश दे रहे हैं?

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दो हफ्ते पहले ही आर्यन खान को कुछ दूसरे नौजवानों के साथ नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने कस्टडी में लिया है. उस पर कथित रूप से ड्रग्स लेने का आरोप है. ये सभी लोग एक क्रूज शिप पर पार्टी कर रहे थे, जब उन्हें पकड़ा गया था. लेकिन पिछले कुछ दिनों से मैं सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान के बारे में नहीं सोच रहा. मैं 23 साल के युवा लड़के आर्यन के बारे में सोच रहा हूं. मैं उसकी मेंटल हेल्थ के बारे में सोच रहा हूं.

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मैं उसकी मेंटल हेल्थ के बारे में सोच रहा हूं क्योंकि यह मामला भी, एक साल पहले के रिया चक्रवर्ती मामले जैसा ही है. इसे भी अदालतों से ज्यादा मीडिया में लड़ा जा रहा है, और ठीक उसी तरह- संगदिली से, बेकद्री से और उतनी ही बेदर्दी से. अब तक कोई आरोप साबित नहीं हुए हैं, और जैसे कि आम राय है, आरोप आखिर में साबित होने भी वाले नहीं.

आर्यन कसूरवार है या नहीं, अब इसका कोई मायने ही नहीं है. वह एक चमकीली, भड़कीली खबर में तब्दील हो चुका है, जो चटखारेदार गपशप का मसाला है, जिस पर चाय की चुस्कियों के साथ लच्छेदार जुगाली की जा सकती है.

मैं उसकी मेंटल हेल्थ के बारे में खास तौर से सोच रहा हूं क्योंकि मैं कल्पना नहीं कर पा रहा है कि 23 साल की उम्र में उसके मन पर क्या गुजर रही होगी: जब उसका तमाशा बनाया जा रहा हो, जब उसकी एक चूक को भयावह अपराध और धोखाधड़ी से ज्यादा बढ़-चढ़कर बताया जा रहा हो, जब उसे सार्वजनिक तौर पर शर्मिन्दा किया जा रहा हो, जब उसे सरकारी पदों पर बैठे लोगों से ज्यादा जवाबदेह ठहराया जा रहा हो, जब उसे बेरहम मीम्स और कड़वे व्हॉट्सएप फॉरवर्ड्स का निशाना बनाया जा रहा हो, जब नेशनल न्यूज में रोजाना उस पर बातचीत की जाती हो. ऐसे में उसके दिमाग में क्या चल रहा होगा?

नहीं, आर्यन खान की मेंटल हेल्थ किसी भी, या सभी भारतीय नौजवानों की मेंटल हेल्थ से ज्यादा अहम नहीं है. उन नौजवानों की मेंटल हेल्थ से, जो ज़ुल्म का शिकार हैं या हाशिए पर पड़े हुए हैं. वे आर्यन की तरह हाई प्रोफाइल नहीं हैं. न ही खबरों या हमारी सोच में उन्हें कहीं जगह मिलती है. हां, आर्यन खान की मेंटल हेल्थ भी खास है, क्योंकि वह भी उसी नौजवान भारत का हिस्सा है. पैदाइश की मजबूरी ने उसे बॉलिवुड की दुनिया जरूर नसीब की है, लेकिन इसका यह मायने नहीं कि वह हम लोगों से कमतर इंसान है और उसे हम लोगों से कम सहानुभूति मिलनी चाहिए. क्योंकि उसके साथ जो रहा हो, और उसके साथ जो किया जा रहा है, उसकी वजह निश्चित रूप से उसका हाई प्रोफाइल होना है. न कि हाई प्रोफाइल होने के बावजूद उसके साथ ऐसा किया जा रहा है.

ऐसी सैकड़ों चीजें हैं, जोकि उसकी कथित चूक से ज्यादा महत्वपूर्ण और जरूरी हैं- डीजल, पेट्रोल और एलपीजी के चढ़ते भाव, यूपी में किसानों की मौत, जम्मू कश्मीर में नागरिकों की हत्याएं, देश में महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा. और फिर भी, प्राइम टाइम डिबेट्स में उन्हें रोजाना, जुनून से भरी न्यूज कवरेज नहीं मिलती.

तो ऐसे में हम 23 साल के एक लड़के की मिसाल क्यों दे रहे हैं, जो अपने हमउम्र दूसरे नौजवानों की तरह ‘पार्टी’ करने की वजह से, जैसा कि अब हम जानते हैं, धरा गया है (कृपया नैतिकता के पैमानों को किनारे रखिए)?

यहां एक बात साफ कर देता हूं. मैं किसी भी तरह ड्रग्स के इस्तेमाल वाली बात की अनदेखी नहीं कर रहा, न ही इसे हल्के से ले रहा हूं. ड्रग्स एक सामाजिक बुराई है और उसकी लत एक वास्तविक मुद्दा है जोकि इस तथ्य से परे है कि मनोरंजन के लिए ड्रग्स का इस्तेमाल भारत में गैरकानूनी है. बेशक, उसे इसके कानूनी नतीजे भुगतने चाहिए लेकिन यह उसके अपराध के स्तर के हिसाब से होना चाहिए. क्योंकि इस समय सबसे तकलीफदेह बात यह है कि हमारा मीडिया एक नौजवान को सिर्फ एक ‘गलती’ (अगर साबित होती है) के लिए सार्वजनिक स्तर पर शर्मसार कर रहा है.

और जब हम भी उस कलंक यात्रा का हिस्सा बनते हैं तो समाज को यही संदेश देते हैं कि अगर जिंदगी के शुरुआती दौर में आपसे कोई चूक, कोई गलती होती है और अगर आप पकड़े जाते हैं तो कानून आपको जो सजा देगा, सो देगा, लेकिन दुनिया वाले आपको जीने नहीं देंगे. जिंदगी भर आप बेइज्जत किए जाएंगे. जिंदगी भर आपको इसकी कीमत चुकानी होगी.

यह एक खौफनाक मिसाल है: कि हम जिन दकियानूसी शहरों की पैदाइश हैं, वहां माता-पिता बालिग होने के बाद भी अपने बच्चों के हर कदम पर पैनी नजर रखते हैं, मंजूरी-नामंजूरी का सर्टिफिकेट देते हैं, और जहां नौजवानों को अपनी हर गलती के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है, उस गलती को अक्सर उनके खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है, जहां छोटी सी भूल के नतीजे भी बहुत बड़े हो सकते हैं. शायद बहुत से माता-पिता अपने बच्चों पर और कठोर और निर्मम हो जाएंगे, ताकि वे आगे चलकर ‘आर्यन’ न बन जाएं. क्या कोई सोच रहा है कि मेंटल हेल्थ पर इसका क्या असर हो सकता है?

तिस पर, एक सच्चाई यह भी है कि वह एक मुस्लिम नौजवान है (जोकि इस बात की वजह हो सकता है). यह वह दौर है जब मुसलमानों के साथ अपराध रोजमर्रा की बात हो गई है. यह इतना सामान्य है कि अब देश में किसी को इससे कोई फर्क भी नहीं पड़ता. तो आने वाले दिनों, हफ्तों और महीनों में हम उसके और उसकी बिरादरी के खिलाफ किस किस्म के नफरत भरे, आधे-अधूरे किस्से बुनेंगे?

वैसे पिछले कुछ दिनों से मैं शाहरुख खान के बारे में भी सोच रहा हूं. सुपरस्टार शाहरुख खान के बारे में नहीं, बल्कि 23 साल के बेटे के एक भारतीय पिता शाहरुख के बारे में. इस पिता की मेंटल हेल्थ का क्या, जिसके बेटे के चाल-चलन पर कीचड़ उछाला जा रहा है, उसे परेशान किया जा रहा है, उसे सूली पर चढ़ाया जा रहा है. उस पर जिस चूक का आरोप है, उससे भी बड़े अपराध के लिए- उसका अपराध यह है कि वह आर्यन खान है. उसका अपराध यह है कि वह शाहरुख खान का बेटा है.


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