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'दोस्तों मेरी जिंदगी गीतों की अमानत', डिस्को डांसर के सॉन्ग सा बप्पी दा का जीवन

बप्पी दा की जिंदगी भी गीतों की अमानत थी, उनका जन्म भी सिर्फ गीतों के लिए हुआ था, अलविदा बप्पी दा.

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करीब पांच साल पहले की यह बात है. नई दिल्ली (New Delhi ) हवाई अड्डे के कन्वेयर बेल्ट पर एक शख्स अपने लुईस व्यूटॅन सूटकेस के आने इंतजार कर रहे थे. उन्होंने चटक पीले रंग की पोशाक पहन रखी थी और किलो की तोल से सोने के आभूषण लाद रखे थे. उनका पहनावा और शख्सियत हमेशा की तरह लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे थे. वहां मौजूद अन्य लोग बिना पलक झपकाए उन्हें देखे जा रहे थे.

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कुलियों का एक झुंड तो उनका ऑटोग्राफ लेने के लिए उनकी तरफ उमड़ा चला आ रहा था. उनमें से एक कुली तो इतना ज्यादा उत्साहित था, कि अपना मनपसंद गाना सुनाने के लिए उनके पीछे ही पड़ गया. वह शख्स थे बॉलीवुड के जाने माने गीतकार-संगीतकार बप्पी लाहिड़ी (Bappi Lahiri).

अपने प्रशंसकों की इस मांग को पूरा करने वह बिना एक पल रुके 1976 में आई 'चलते-चलते' फिल्म का अपना सबसे चर्चित गीत 'चलते-चलते, मेरे ये गीत याद रखना… कभी अलविदा ना कहना' गाने लगे. वह इस बीच केवल एक क्षण के लिए रुके, जब उन्होंने तेज आवाज में एक अन्य गाने की मस्ती भरी तान छेड़ी. यह गाना था उनके दिल के सबसे करीब के गानों में एक, "जिंदगी मेरा गाना..मैं इसी का दीवाना.. आय एम ए डिस्को डांसर."

उनके इस चार्ट-स्मैशर सॉन्ग की डिमांड हर जगह उनका पीछा करती थी. चाहे वह अपने देश में हों या फि रूस में. जहां-जहां उनकी इस फेमस डांस मूवी ने प्रशंसा हासिल की, वहां इस गाने की फरमाइश उनसे की ही जाती थी. हवाईअड्डे पर मिले उस प्यार से वे न तो अभिभूत हुए और न ही कुलियों के उग्र रवैए से निराश हुए. वह अपनी चिरपरिचित फैली हुई मुस्कान के साथ वहां से निकले और कुली उनका बैग उनकी एसयूवी तक ले गए, जो उनका बाहर इंतजार कर रही थी.

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तीन साल की उम्र में ही तबला बजाना सीख गए थे-बप्पी लाहिड़ी 

शास्त्रीय संगीतकार माता-पिता की इकलौती संतान अलोकेश लाहिड़ी उर्फ ​​बप्पी का जन्म जलपाईगुड़ी (पश्चिम बंगाल) में हुआ. उनके बारे में एक बात प्रचलित है कि वह तीन साल की उम्र में ही कुशलता से तबला बजाना सीख गए थे. अशोक कुमार और किशोर कुमार उनके मामा थे. उस समय यह कौन सोच सकता था कि आगे 25 साल की उम्र में ही बप्पी डिस्को सॉन्ग धुनों के सम्राट बन जाएंगे और मिथुन चक्रवर्ती के साथ 'डिस्को डांसर' फिल्म से हर ओर धूम मचा देंगे. इस फिल्म के संगीत को सेमी क्लासिकल संगीत से उतना ही दूर माना जा सकता है जितना चंद्रमा पृथ्वी से दूर है.

डिस्को और सिंथेसाइज़र की बीट से सजे बॉलीवुड संगीत की जब जब बात होती है तो हमेशा ही बप्पी लाहिड़ी का नाम उससे घनिष्ठता से जोड़ा जाता है. इसका कारण यह भी रहा क्योंकि उन्होंने बिना किसी झिझक के इस शैली को आपने हाथों में लिया. उनसे पहले केवल आरडी बर्मन के संगीत वाले गाने 'आजा आजा मैं हूं प्यार तेरा' (तीसरी मंजिल, 1966) में बीटल्स के फेमस सॉन्ग 'आय वाना होल्ड योर हैंड' जैसी पैरों को थिरकाने वाली बात झलकती थी.

1977 का वह साल जब जॉन ट्रैवोल्टा के 'जिंजर सैटरडे नाइट फीवर' की वजह से दुनिया भर में डिस्को धुनों की दीवानगी अपने चरम पर थी, तब फ़िरोज़ खान ने गायक-संगीतकारों के रूप में पाकिस्तान से भाई-बहन की एक टैलेंटेड जोड़ी नाजिया और ज़ोहेब को ढ़ूढ़ निकाला. नाज़िया हसन ने उस दौर का अनुसरण करते हुए 'आप जैसा कोई मेरी जिंदगी में आए', कुर्बानी (1980) के रूप में हिंदी फिल्मों के इतिहास का सदाबहार गाना गा दिया, जिसे जीनत अमान पर फिल्माया गया.

इसके बाद इन दोनों भाई-बहनों ने बेस्ट सेलर एल्बम डिस्को दीवाने (1981) निकालकर इस थिरकती बीट्स का माहौल बना दिया. यही वह समय था जब पॉप डिस्को बीट्स बॉलीवुड गीत-संगीत पर कब्जा करने के बिल्कुल करीब थी. बप्पी दा ने इस मौके को पहचाना और जमकर लपक लिया. निर्देशक बी. सुभाष के साथ आगामी तीन फिल्मों 'डिस्को डांसर' (1982), 'कसम पैदा करने वाले की' (1984) और 'डांस-डांस' (1987) में उन्होंने अपने संगीत और आवाज के दम पर इस मौके को जमकर भुनाया.

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जब बप्पी लाहिड़ी पर धुन चुराने के आरोप लगें

अपने पूरे करियर में उन पर धुनों की चोरी के कई आरोप लगे. ओटोवन, पिंक फ़्लॉइड, यूबी 40, मोरी कांते, ओसिबिसा, चेब खालेद, द बगल्स, द 3 डिग्री, इरप्शन और नुसरत फ़तेह अली खान आदि की 22 धुनों को कॉपी करने के आरोप उन पर लगाए जाते रहे, पर वह इस आलोचना से अविचलित बने रहे. आखिरकार बॉलीवुड में एक ही मंत्र चलता है, 'जो हिट है, वो फिट है'. इस उद्योग की के कहानीकारों, संगीतकारों, कोरियोग्राफर्स सभी पर यह बात सटीक बैठती है.

वह अपनी क्रिएटिविटी के इस पक्ष को छुपाते भी नहीं थे, बल्कि बड़ी दृढ़ता से स्वीकार करते थे. अपने एक टीवी साक्षात्कार में कहा भी कि, यह तो एक परंपरा है. हर कोई किसी न किसी से तो प्रेरित होता ही है. सलिल चौधरी मोजार्ट से प्रेरित थे. एसडी बर्मन और आर.डी.बर्मन भी किसी न किसी ने प्रेरित होंगे, तो क्या यह आरोप हम उन पर भी मढ़ दें.

बात यह है कि किसी क्रिएशन का एक छोटा सा हिस्सा लिया जाता है और फिर उसे पूरी तरह से रीकंपोज किया जाता है. अब डिस्को डांसर के म्यूजिक का मामला ही लीजिए. उसमें मिथुन ने जॉन ट्रैवोल्टा और माइकल जैक्सन की तरह डांस किया था, तो ऐसे में उस पर सूट करने के लिए मुझे वो बीट्स लेने पड़े.

जैसे ही डिस्को की लहर थोड़ी कम हुई, बप्पी दा ने बाउंस वाली देसी लय का विकल्प चुना. विशेष रूप से हिम्मतवाला (1983), तोहफा (1984) और मकसद (1984) जैसी साउथ के स्टूडियोज में शूट हुई हिंदी फिल्मों के लिए, जिनमें जीतेंद्र, श्रीदेवी और जया प्रदा ने अभिनय किया. उनकी सफलता की गारंटी उन टॉपलाइन प्रोजेक्ट्स से भी सुनिश्चित हुई जिनमें अमिताभ बच्चन ने काम किया था.

तब तक बप्पी ने यह रुख भी अपना लिया था कि यदि उनके आजमाए गए हिट फॉमूर्ले वाला संगीत काम नहीं करता तो वह जरूरत पड़ने पर मधुर संगीत के पारंपरिक तरीके पर भी जा सकते हैं. इसका उदाहरण उन्होंने ज़ख्मी (1975), टूटे खिलौने (1978) और साहेब (1985) के संगीत के जरिए दिया भी.

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जैसे जैसे लोगों का म्यूजिक का टेस्ट बदला बप्पी दा का मार्केट भी कम हो गया. फिर भी उसे पूरी तरह खत्म नहीं कहा जा सकता. उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने लेडी गागा के साथ दो ट्रैक रिकॉर्ड किए थे और एकॉन के एक सॉन्ग में कोलेबोरेशन किया था. इसके अलावा 2003 में उन्होंने डॉ ड्रे के खिलाफ एक कॉपीराइट केस भी जीत लिया था, जिसमें उन पर कलियों का चमन (ज्योति, 1981) गीत के लिए धुनें चुराने का आरोप था.

अपने मुस्कुराते चेहरे और तड़क भड़क वाले कपड़ों के लिए विख्यात बप्पीदा ने आखिर तक बड़े सपने देखना नहीं छोड़ा. वह अपने बेटे बप्पा के लिए हॉलीवुड में एक्टिंग करियर सेट करने की ख्वाहिश रखते थे. उन्होंने 'स्लमस्टार्स' नामक एक डॉक्युमेंटरी का निर्देशन किया था और घोषणा की थी कि जल्द ही वह 'एक अधूरा संगीत' नामक एक फीचर फिल्म का निर्देशन करेंगे.

इसके अलावा, उन्होंने एक समय अपनी पत्नी चित्रानी को बुद्धदेव दास गुप्ता द्वारा निर्देशित बंगाली फिल्म 'लाल दर्जा' का निर्माण करने के लिए प्रोत्साहित किया था, जिसने 1997 में सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय फिल्म का पुरस्कार जीता था.

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उन्होंने 'द डर्टी पिक्चर' (2011) के लिए चार्टबस्टिंग सॉन्ग 'उह ला ला' के साथ कम बैक किया. उनकीआखिरी फिल्म 2020 में आई टाइगर श्रॉफ की एक्शन फिल्म 'बागी 3' थी. आज उनके अचानक चले जाने के बाद जब हमारा निराश मन सवाल करेगा कि उनकी रुखसती पर हम किस गीत को तुरंत सुनना चाहेंगे? तो कुछ कहेंगे कि 'कभी अलविदा ना कहना', लेकिन नई दिल्ली के हवाई अड्डे पर खड़े उनके वे प्रशंसक कुली निश्चित रूप से, "आय एम ए डिस्को डांसर" को सुनने का ही अनुरोध करेंगे.

इस गाने की कुछ पंक्तियां हैं, "दोस्तों मेरी ये ज़िंदगी गीतों की अमानत है ... मैं इसी लिए पैदा हुआ हूं.'' ये पंक्तियां भी बप्पी दा पर पूरी तरह सटीक बैठती हैं. बप्पी दा की जिंदगी भी गीतों की अमानत थी, उनका जन्म भी सिर्फ गीतों के लिए हुआ था, अलविदा बप्पी दा.

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