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आनंद बख्शी:गहरे जज्बातों को सरल शब्दों में बदलने वाला जादुई गीतकार

आनंद बख्शी वो नाम है जिसके बिना म्यूजिकल फिल्मों को शायद वो सफलता नहीं मिलती जिनको बनाने वाले गर्व करते हैं.

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आनंद बख्शी एक ऐसा नाम, जिसने न जाने कितने अफसानों को नगमों की माला में पिरोया, न जाने कितने जज्बातों को लफ्जों की शक्ल दी. न सिर्फ शक्ल दी, बल्कि इतनी खूबसूरती से निखारा कि तकरीबन हर नगमा अपने आपमें शाहकार बन गया.

स्कूल की किताबी पढ़ाई महज सातवीं तक करने वाले आनंद बख्शी, 21 जुलाई 1930 को रावलपिंडी में जन्मे. वो गीतकार के साथ-साथ गायक भी बनना चाहते थे. अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए वो 14 साल की उम्र में घर से भागकर मुंबई आ गए.

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आनंद बख्शी वो नाम है जिसके बिना म्यूजिकल फिल्मों को शायद वो सफलता नहीं मिलती जिनको बनाने वाले गर्व करते हैं. इनका नाम उन गीतकारों में शुमार हैं जिन्होंने साल दर साल एक से बढ़कर एक गीत फिल्म इंडस्ट्री को दिए हैं. 1958 में आनंद बख्शी को पहला ब्रेक मिला.

भगवान दादा की फिल्म ‘भला आदमी’ के लिए उन्होंने चार गीत लिखे. फिल्म तो नहीं चली, लेकिन गीतकार के रूप में उनकी पहचान बन गई.

आनंद बख्शी को फेफड़ों और दिल की तकलीफ हुई और 30 मार्च 2002 को 72 साल की उम्र में वो इस दुनियां को अलविदा कह गए.

आनंद बख्‍शी के लिखे कुछ अनमोल नगमे

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