कुछ ना होने का दुख जरा सा लगे, तेरे होने से घर भरा सा लगे...इन्हीं लाइनों से शुरू होता है शिकारा का ट्रेलर. विधु विनोद चोपड़ा की इस फिल्म में कश्मीरी पंडितों के विस्थापन की कहानी दिखाई गई है.
ट्रेलर में दिखाया गया है, कैसे कश्मीरी पंडितों के घर को एक रात में जलाकर खाक कर दिया गया था. ये कहानी एक जोड़े की है, जिन्हें अपना घर, अपना शहर सबकुछ छोड़कर जाना पड़ता है. 19 जनवरी 1990 की उस कहानी को पर्दे पर उतारने की कोशिश की गई है, जब लाखों लोग बेघर हो गए थे.
यहां देखें ट्रेलर
शिकारा एक ऐतिहासिक रोमांटिक ड्रामा फिल्म है. जिसमें साल 1990 में हुई एक समुदाय के साथ बर्बरता की कहानी को दिखाया गया है. विधु कश्मीर में हुए ऐसे जख्म को पर्दे पर उतारने जा रहे हैं जिसका दर्द कश्मीरियों के दिल में आज भी जिंदा है. विधु विनोद चोपड़ा ने फिल्म का पोस्टर शेयर करते हुए लिखा था कि,
1990 कश्मीर- एक पूरे समुदाय को बेघर कर दिया गया. 30 साल बाद भी वो अपने घर लौट नहीं सके हैं. देखिए कश्मीरी पंडितों की कहानी.
फिल्म के एक मोशन पोस्टर के जरिए दिखाया गया है, कि कैसे साल ‘1990 में स्वतंत्र भारत में एक समुदाय का जबरन पलायन हुआ, जिससे 4,00,000 से ज्यादा कश्मीरी पंडितों को कश्मीर घाटी छोड़कर रातों-रात जाना पड़ा. पलायन के दर्द को विधु ने बखूबी स्क्रीन पर उतारने की कोशिश की है और लगभग ढाई मिनट के इस ट्रेलर में जिस तरह से इमोशन्स को पिरोया गया है, फैंस उम्मीद करेंगे कि राहुल पंडिता द्वारा लिखी गई उनकी पूरी फिल्म में भी वही इमोशन नजर आएगा. ये फिल्म एक प्रेमी जोड़े की कहानी को बयान करती है.
फिल्म में स्टारकास्ट की बात करें जो इंडस्ट्री का कोई भी बड़ा चेहरा इसमें नजर नहीं आता, बल्कि लोकल कश्मीरी एक्टर्स ने अपनी प्रतिभा दिखाने की कोशिश की है. आदिल खान इस फिल्म में लीड रोल निभा रहे हैं और उनके साथ कश्मीर की सादिया हिंदू लड़की का किरदार निभा रहीं हैं.
विधु ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें उन्होंने अपनी दादी के उस अनुभव को शेयर किया है, जिसमें वो करीब 10 साल बाद कश्मीर लौटीं थी. उनके लिए ये एक्सपीरियंस किसी सपने के सच होने जैसा था.
विधु विनोद चोपड़ा इस फिल्म को प्रोड्यूस और डायरेक्ट कर रहे हैं. एआर रहमान ने इस फिल्म में म्युजिक दिया है. ये फिल्म 7 फरवरी, 2020 में रिलीज होगी.
यह भी पढ़ें: घर लौटना चाहते हैं 26 साल पहले विस्थापित हुए कश्मीरी पंडित
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)