आज से ठीक 26 साल पहले 19 जनवरी 1990 को मुस्लिम कट्टरपंथियों की ओर से बार-बार धमकी मिलने के बाद हजारों कश्मीरी पंडितों को कश्मीर घाटी से पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा था.
ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है #KPExodusDay
इस काले दिन की याद में सोशल मीडिया पर #KPExodusDay ट्रेंड कर रहा है. इस दिन न सिर्फ हजारों कश्मीरी पंडितों को कश्मीर घाटी छोड़नी पड़ी थी बल्कि सैकड़ों कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट भी उतार दिया गया था.
कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के दौरान जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे फारुक अब्दुल्ला के बेटे और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी इस घटना को लेकर ट्वीट किया है.
सामाजिक कार्यकर्ता और अशोक पंडित ने भी उमर अब्दुल्ला के ट्वीट पर प्रतिक्रिया दी है.
देश भर में सोशल मीडिया पर आंकड़े दिए जा रहे हैं जिनके मुताबिक उस दौरान अनगिनत परिवारों को कश्मीरी घाटी से पलायन करना पड़ा था.
पलायन की इस घटना के बाद देश के बाकी हिस्सों शरणार्थियों की तरह रह रहे कश्मीरी पंडित घाटी में लौटने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं. कश्मीरी पंडितों के कुछ परिवार अभी भी घाटी में रह रहे हैं और पुर्नवास में नाकाम साबित हो रही राज्य सरकार और केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
इसके अलावा कई कश्मीरी पंडित दिल्ली के जंतर मंतर पर भी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
पलायन के 26 साल बीतने के बाद भी अपने ही देश में शरणार्थियों की तरह रह रहे कश्मीरी पंडितों की अलग कश्मीर की मांग के बाद भी हड़कंप मचा हुआ है. लगभग सभी राजनीतिक दल कश्मीरी पंडितों के पुर्नवास को लेकर मौखिक तौर पर समर्थन करते हैं लेकिन अभी तक राजनीतिक दलों की ओर से कोई भी ठोस प्रयास नहीं किया गया है.
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