एक्ट्रेस कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने एक मीडिया कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत को 2014 में 'सच्ची आजादी' मिली थी, जिस साल नरेंद्र मोदी ने प्रधान मंत्री के रूप में शपथ ली थी.
उन्होंने ये भी कहा था कि 1947 में भारत की आजादी को 'भीख' के रूप में दिया गया था. कंगना की टिप्पणियों की आलोचना करने वाले केरल के सांसद शशि थरूर ने उनके बयानों को ‘हास्यास्पद’ करार दिया है.
थरूर ने बताया हास्यास्पद
शशि थरूर ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि मुझे लगता है कि उन्हें थोड़ा इतिहास पढ़ने की जरूरत है. मुझे नहीं लगता कि उनके पास कोई तथ्य है. दुर्भाग्य की बात है अगर वह वास्तव में सोचती है कि महात्मा गांधी भीख मांगने के लक्ष्य के साथ बाहर जा रहे थे. जबकि वह बहुत विशिष्ट व्यक्ति थे जिन्होंने अंग्रेजों को बताया कि आपका कानून अन्यायपूर्ण है, मैं आपका कानून तोड़ रहा हूं. जैसा तुम चाहो मुझे सजा दो...मैं तुम्हारी सजा स्वीकार करूंगा. क्या यह भिखारी का काम है?
कंगना के बयानों को 'हास्यास्पद' बताते हुए थरूर ने कहा कि भारत का स्वतंत्रता आंदोलन ‘जबरदस्त साहस, नैतिक सत्यनिष्ठा और महान दृढ़ता का एक कार्य था.
शशि थरूर ने आगे कहा कल्पना कीजिए कि आप बेपरवाह होकर जा रहे हैं और वो लाठियों की बारिश आप पर कर रहे हैं. लाठी चार्ज से लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई...एक अहिंसक प्रदर्शन में उनके सिर पर मारकर. किसी को गोली मारने और फिर वापस गोली मारने के लिए बंदूक लेकर जाने से कहीं अधिक साहस की आवश्यकता होती है.
टाइम्स नाउ समिट 2021 में, कंगना रनौत ने सावरकर, लक्ष्मीबाई या नेताजी बोस पर बात करते हुए कहा कि…ये लोग जानते थे कि खून बहेगा लेकिन यह हिंदुस्तानी खून नहीं होना चाहिए. वे इसे जानते थे. बेशक, उन्हें एक प्राइज दिया गया लेकिन वो आजादी नहीं थी, वो भीख थी. जो आजादी मिली है वो 2014 में मिली है.
कंगना के बयान पर महाराष्ट्र बीजेपी चीफ और डीसीडब्ल्यू चीफ की प्रतिक्रिया
मीडिया इवेंट की क्लिप वायरल होने के बाद, महाराष्ट्र बीजेपी प्रमुख चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि देश की आजादी की लड़ाई पर कंगना रनौत की टिप्पणी पूरी तरह से गलत है. किसी को भी स्वतंत्रता आंदोलन पर नकारात्मक टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है.
दिल्ली महिला आयोग (DCW) की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने भी राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखकर कंगना रनौत की पद्मश्री को वापस लेने का आग्रह किया.
वीर दास के 'दो भारत' विवाद पर क्या बोले थरूर?
थरूर ने संयुक्त राज्य अमेरिका में कैनेडी सेंटर में वीर दास के प्रदर्शन के विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आइए इस बात को समझें कि विदेशी देश हमारे बारे में क्या कह रहे हैं, जो अतीत में बहुत अधिक सकारात्मक कहानी हुआ करती थी और अब नहीं है.
वीर दास ने 'टू इंडियाज' नाम की एक कविता का प्रदर्शन किया, जिसकी कई लोगों ने भारत के खिलाफ अपमानजनक बयानों के लिए आलोचना की. कुछ लोगों ने इस तथ्य पर भी आपत्ति जताई है कि वीर ने दूसरे देश में भारत का अपमान किया है.
वीर की कविता पर बात करते हुए थरूर ने कहा कि चलो कोशिश करते हैं और घर पर समस्याओं से निपटते हैं, अगर हम समस्याओं को हल करते हैं तो कहानी बेहतर होगी. सच कहूं तो, यह प्रोपेगैंडा के लिए कहानियों की का प्रयोग करने का यह व्यवसाय, जिसे सरकार और उसके विशेषज्ञ इस मुद्दे के वास्तविक सार को हल नहीं करेंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि जहां तक मेरा सवाल है, यह सबसे देशभक्तिपूर्ण बात है कि आप अपनी सरकार की आलोचना कर सकते हैं, जब वह गलत हो.
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