वीडियो एडिटर: पुर्णेन्दु प्रीतम
ये जो इंडिया है ना... इसने कंगना रनौत को नफरत के लिए इनाम नहीं दिया है. उनका पद्मश्री उनकी एक्टिंग के लिए है, न कि 'आदर्श नागरिक' होने के लिए, जैसा कि उनका मानना है.
कंगना का पद्मश्री उस नफरत के लिए नहीं है, जिसने उन्हें ट्विटर से बैन करवा दिया - जब उन्होंने पीएम मोदी से बंगाल चुनावों में हिंसा का इस्तेमाल करने के लिए कहा - '2000 के दशक की शुरुआत वाला अपना विराट रूप दिखाइए' - उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों की तरफ इशारा करते हुए कहा, जिसमें हजार से ज्यादा देश वासी, जिनमें से 800 मुसलमान थे, मारे गए थे, जब मोदी वहां के मुख्यमंत्री थे.
कंगना का पद्मश्री एक विज्ञापन के खिलाफ उनकी नफरत के लिए नहीं है, जिसमें एक इंटरफेथ, हिंदू-मुस्लिम शादी दिखायी गई थी, जिसके बारे में उन्होंने कहा था कि ये "लव जिहाद" को बढ़ावा देता है.
कंगना रनौत का पद्मश्री किसान आंदोलन के खिलाफ उनकी नफरत के लिए नहीं है, जिन्हें उन्होंने 'आतंकवादी' और 'खालिस्तानी' कहा. बिना किसी सबूत के...
अल्पसंख्यक अधिकारों, यानी अल्पसंख्यकों के हक में जब कोई बॉलीवुड की हस्ती बोलती है, कंगना उन पर 'जिहादी एजेंडा' रखने का आरोप लगाती है. ये पद्मश्री उसके लिए भी नहीं है.
कंगना का कहना है कि उनका पद्मश्री उनके खिलाफ बोलने वाले कई 'लोगों का मुंह बंद कर देगा' - लेकिन ये जो इंडिया है ना... ये नफरत फैलाने वालों की आलोचना करना बंद नहीं करेगा. और साथ ही साथ हमें उम्मीद है कि ये पद्मश्री उन्हें सच में एक धर्मनिरपेक्ष, सेक्युलर, एक असली 'आदर्श नागरिक' बनाएगा.
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