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परेश रावल होंगे NSD के नए चेयरमैन, राष्ट्रपति ने किया नियुक्त

परेश रावल एनसडी के मौजूदा चेयरमैन डॉक्टर अर्जुन देव चरण की जगह लेंगे

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बॉलीवुड के सीनियर एक्टर परेश रावल (Paresh Rawal) को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) का नया चेयरमैन नियुक्त किया गया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें इस पद पर नियुक्त किया है. जिसके बाद टूरिज्म एंड कल्चर मिनिस्टर प्रह्लाद सिंह पटेल ने ट्विटर पर इस बात का ऐलान किया. उनके अलावा खुद नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के ट्विटर हैंडल से भी ये जानकारी दी गई है. परेश रावल एनसडी के मौजूदा चेयरमैन डॉक्टर अर्जुन देव चरण की जगह लेंगे.

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परेश रावल को एनएसडी का चेयरमैन नियुक्त करने को लेकर कल्चर मिनिस्टर प्रह्लाद सिंह पटेल ने ट्विटर पर कहा,

“प्रख्यात कलाकार परेश रावल जी को महामहिम राष्ट्रपति द्वारा NSD का अध्यक्ष नियुक्त किया है. उनकी प्रतिभा का लाभ देश के कलाकारों एवं छात्रों को मिलेगा. हार्दिक शुभकामनाएं.”

बता दें कि परेश रावल पिछले करीब तीन दशकों से फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं. उन्हें नेशनल फिल्म अवॉर्ड से लेकर बॉलीवुड के तमाम बड़े अवॉर्ड मिल चुके हैं. इसके अलावा साल 2014 में परेश रावल को पद्मश्री से भी नवाजा गया था.

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परेश रावल पहले बीजेपी के सांसद भी रह चुके हैं. वो ट्विटर पर काफी एक्टिव हैं और सरकार के समर्थन में लगातार लगभग हर मुद्दे पर बोलते हैं. फिर चाहे वो चीन का मुद्दा हो या फिर बॉलीवुड एक्टर्स की सेना के जवानों से तुलना करना, परेश रावल के ट्वीट कई बार चर्चा में रहे हैं.

एनएसडी ने दिए कई सितारे

बता दें कि नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा ने फिल्म इंडस्ट्री को कई बड़े और शानदार एक्टर दिए हैं. जिनमें नसीरुद्दीन शाह, अनुपम खेर, ओम पुरी, पीयूष मिश्रा, इरफान खान, कुमुद मिश्रा, पंकज त्रिपाठी, संजय मिश्रा, सतीश कौशिक, स्वानन्द किरकिरे और तिग्मांशु धूलिया जैसे नाम शामिल हैं.

एनएसडी के चेयरमैन के पद पर कई बड़ी हस्तियां काम कर चुकी हैं. 1965 से लेकर 1972 तक पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी एनएसडी की चेयरमैन रहीं थीं. इंदिरा के अलावा- पीसी जोशी, डॉ केपीएस मेनन, डॉ सुरेश अवस्थी, शांता गांधी, अनुपम खेर और रतन थियाम जैसे लोग भी इस पद पर रह चुके हैं.

क्या है NSD?

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) को भारत का सबसे बेहतरीन थिएटर स्कूल माना जाता है. इसकी स्‍थापना संगीत नाटक द्वारा उसकी एक इकाई के रूप में वर्ष 1959 में की गई. वर्ष 1975 यह एक स्‍वतंत्र संस्‍था बनी व इसका पंजीकरण वर्ष 1860 के सोसायटी पंजीकरण धारा XXI के अंतर्गत एक स्‍वायत्त संस्‍था के रूप में किया गया. इस संस्‍था की संस्‍कृति मंत्रालय, भारत सरकार से पूर्ण रूप से फंडिंग होती है. विद्यालय में दिया जाने वाला प्रशिक्षण गहन, संपूर्ण एवं व्‍यापक होता है जिसमें सुनियोजित पाठ्यक्रम होता है जो कि रंगमंच के हर पहलू को समाहित करता है और जिसमें सिद्धांत व्‍यवहार से संबंधित होते हैं.

ट्रेनिंग के एक अंश के रूप में छात्रों को नाटक तैयार करने होते हैं, जिन्हें बाद में लोगों के सामने पेश किया जाता है. उनके पाठ्यक्रम में उन महान रंगकर्मियों के कार्यों को दर्शाया जाता है जिन्‍होंने समकालीन रंगमंच के विभिन्‍न पहलुओं को साकार रूप देने में सहयोग किया.

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