‘’अगर एयरफोर्स ज्वाइन करना है तो फौजी बनकर दिखाओ, वर्ना घर जाकर बेलन चलाओ’’
फिल्म ‘गुंजन सक्सेना’ का ट्रेलर इसी डायलॉग से शुरू होता है. इस फिल्म में जाहन्वी फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना का किरदार निभा रही हैं, जिसने कारगिल वॉर में बहादुरी दिखाई और युद्ध के मैदान में जाकर सैकड़ों सैनिकों की मदद की. बिना हथियार के गुंजन पाकिस्तानी फौज का मुकाबला करती रहीं और कई जवानों को सुरक्षित निकालने में कामयाब भी हुईं.
फिल्म के ट्रेलर में दिखाया गया है कि किस तरह से गुंजन सक्सेना को महिला होने की वजह से मुश्किलों को सामना करना पड़ता है. गुंजन को बार-बार इस बात का एहसास दिलाया जाता है कि वो महिला है इसलिए कमजोर है, लेकिन गुंजन खुद को साबित करती हैं और जंग के मैदान में दुश्मनों को धुल चटाती है.
कौन थी गुंजन सक्सेना?
गुंजन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंजराज कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद एयरफोर्स ज्वाइन किया था. गुंजन सक्सेना और श्री विद्या राजन उन 25 ट्रेनी पायलटों में शामिल थीं, जिन्हें 1994 में भारतीय वायुसेना के पहले बैच में शामिल होने का मौका मिला था. 1999 में जब कारगिल जंग छिड़ी तो दोनों को देश के लिए कुछ करने का मौका मिला, गुंजन ने इससे पहले कभी फाइटर जेट नहीं उड़ाया था. युद्ध के दौरान जब भारतीय सेना को पायलट को जरूरत पड़ी, तब गुंजन और श्री विद्या युद्ध क्षेत्र में भेजने का फैसला किया गया.
अपने मिशन को अंजाम देने के लिए गुंजन को कई बार लाइन ऑफ कंट्रोल के बिल्कुल नजदीक से भी उड़ान भी पड़नी पड़ी, जिससे पाकिस्तानी सैनिकों की पोजिशंस का पता लगाया जा सके, गुंजन और उनकी साथी ने अपनी जान पर खेलकर इस पूरे मिशन को अंजाम दिया था. गुंजन सक्सेना को कारगिल युद्ध के दौरान उनकी बहादुरी के लिए शौर्य वीर पुरस्कार से सम्मानित किया गया, इस पुरस्कार को पाने वाली वह पहली महिला बनीं.
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