मैं फिल्म समीक्षक (Film Critic) नहीं हूं और ना ही फिल्मों की रिव्यू करता हूं, लेकिन सुधीर मिश्रा (Sudhir Mishra) की 5 मई को रिलीज हुई फिल्म 'अफवाह' (Afwaah) ने मुझ पर बहुत बड़ा प्रभाव छोड़ा है. खासकर इस दौर में जब कोई ऐसी फिल्में देखने को नहीं मिलती, जो सवालिया उठाए और हमें आईना दिखाए. इसलिए मुझे इसके बारे में बात करनी पड़ी.
नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी (Nawazuddin Siddiqui) और भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar) अभिनीत फिल्म 'अफवाह' इस मुद्दें पर बात करती है कि, कैसे एक अफवाह लोगों के जीवन को बदल देता है. एक ऐसा समाज जिसने अपना शोध करना बंद कर दिया है और एक ऑनलाइन फॉरवर्ड आपको पीट-पीट कर मार सकता है.
अफवाह राक्षस जाति और धर्म अनीश्वरवादी है. यह किसी को भी मिल सकता है. यहां तक कि जो लोग इसे फैलाते हैं. दरअसल, ये फिल्म बताती है कि एक गलत अफवाह कितना नुकसान कर सकती है और कैसे खुद फैलाने वाले पर ही भारी पड़ सकती है. मेरे विचार सुनने के लिए इस एपिसोड को देखें.
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