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‘द स्काई इज पिंक’ बेहतरीन कहानी, लेकिन पर्दे पर नहीं उतरी सच्चाई

फिल्म का नरेशन छोड़ दें तो ‘द स्काई इज पिंक’ एक बेहतरीन फिल्म है.

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‘द स्काई इज पिंक’ बेहतरीन कहानी, लेकिन पर्दे पर नहीं उतरी सच्चाई

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टोरंटो फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर के एक महीने बाद प्रियंका चोपड़ा और फरहान अख्तर की फिल्म ‘द स्काई इज पिंक’ 11 अक्टूबर 2019 यानी आज वर्ल्ड वाइड रिलीज हो गई है. ये फिल्म रियल स्टोरी पर बेस्ड है, जिसमें अदिति (प्रियंका चोपड़ा ) , नरेन चौधरी फरहान अख्तर माता-पिता के रोल में हैं और आयशा (जायरा वसीम) उनकी बेटी का किरदार निभा रही हैं. ये फिल्म एक मोटिवेशनल स्पीकर आयशा चौधरी के जीवन पर आधारित फिल्म है. आयशा बचपन से इम्यून डेफिसिएंसी डिसऑर्डर से जूझ रही हैं और बाद में उसे पल्मोनरी फाइब्रोसिस से सही किया जाता है.

डायरेक्टर शोनाली बोस, जिन्होंने सेरेब्रल पाल्सी बीमारी से लड़ रही एक लड़की पर आधारित फिल्म ‘मार्गरीटा विद ए स्ट्रॉ‘ जैसी बेहतरीन फिल्म बनाई थी, अब वो आयशा पर फिल्म लेकर आई हैं, जिसमें उन्होंने दिखाया है कि कैसे आयशा की बीमारी की वजह से उसके माता पिता की शादी और उनकी जिंदगी प्रभावित हो रही है.

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‘द स्काई इज पिंक’ की शुरुआत आयशा के वॉइस ओवर से होती है. जिसमें वो खुद को मरा हुआ घोषित करती है. वो कहती है कि ‘’इससे छुटकारा मिलना, वास्तव में ये काफी अच्छा है. ” आयशा फिर अपने पैरेंट्स की सेक्स लाइफ के बारे में दर्शकों बताती हैं. जिन्हें वो पांडा और मूस कहती है. स्टोरी अचानक वहां पहुंच जाती है, जब आयशा का जन्म होता है और कैसे उसके माता-पिता अदिति और नरेन इंटरकास्ट शादी करते हैं.

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शोनाली बोस और नीलेश मनियार के जबरदस्त स्क्रीनप्ले ने दर्शकों के लिए मसाला मेलोड्रामा तो बनाया, लेकिन कुछ जगह पर फिल्म असली कहानी कहने और उसकी भावनाओं को समझाने में असफल नजर आई.  

फिल्म में बताया गया है कि इस कपल ने अपने पहले बच्चे को (Severe Combined Immune Deficiency) नाम की बीमारी से खो दिया था. और फिर दूसरे बच्ची आयशा की गंभीर बीमारी ने परिवार को तोड़कर रखा दिया था. पल-पल बेटी की मौत से लड़ते परिवार को देखना दर्शकों के लिए मुश्किल होगा और शायद यही पार्ट स्टोरी का दर्शकों को फिल्म से बांधकर भी रखे.

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प्रियंका चोपड़ा ने एक मां का किरदार बहुत ईमानदारी से निभाया है. फिल्म में दिखाया है कि बतौर मां अदिति अपने बेटी को ठीक रखने के लिए हर मुमकिन कोशिश करती है. फरहान अख्तर की बात करें तो फिल्म का वो सीन सबसे बेहतरीन है,जब वो लंदन के रेडियो में मदद की गुहार लगाते हैं और उनकी आवाज लड़खड़ाती है. फिल्म के कुछ सीन देखकर आप ये सोचने पर मजबूर जरूर हो जाएंगे कि इस कहानी में इन सितारों को क्यों रखा.

‘द स्काई इज पिंक’ एक शक्तिशाली और खूबसूरत कहानी है, लेकिन कही न कही असली कहानी पर्दे पर रखने में चूकती नजर आती है.  

कुछ लोग यह तर्क देंगे कि लोगों के पास दुःख या दर्द का सामना करने के अलग-अलग तरीके हैं, और अदिति अपने तरीकों से अपनी तकलीफों से लड़ती नजर आती. लेकिन इन स्टार्स का स्टार पॉवर स्क्रीन पर नहीं दिखाई देता. आयशा के किरदार में जायरा वसीम बेहतरीन हैं. जो मौत के उन पलों में भी अपना ह्यूमर नहीं खोती हैं. रोहित सराफ ने जायरा के भाई का किरदार निभाया है. स्क्रीन पर जायरा और रोहित के सीन देखने लायक हैं. फिल्म का नरेशन छोड़ दें तो ‘द स्काई इज पिंक’ एक बेहतरीन फिल्म है.

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