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‘पति पत्नी और वो’ रिव्यू: फिल्म नई, ‘कहानी’ पुरानी

मुदस्सर अजीज की फिल्म ‘पति-पत्नी और वो’ 1978 में रिलीज हुई बीआर चोपड़ा की फिल्म की रीमेक है,

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Pati Patni Aur Woh

‘पति पत्नी और वो’ रिव्यू:

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पति अभिनव त्यागी, पत्नी वेदिका त्रिपाठी और वो तपस्या सिंह 128 मिनट के लिए यही हमारी दुनिया है. अभिनव त्यागी (कार्तिक आर्यन) और वेदिका त्रिपाठी (भूमि पेडनेकर) की अरेंज मैरिज होती है. पहली ही मुलाकात में वेदिका अभिनव यानी चिंटू से कहती है उसे सेक्स पसंद है. जल्द ही दोनों सात फेरे लेकर शादी के बंधन में बंध जाते हैं. तीन सालों की खुशहाल शादीशुदा जिंदगी के बाद इनकी जिंदगी में एंट्री होती है तपस्या सिंह यानी अन्नया पांडे की और उनकी जिंदगी बदल जाती है.

मुदस्सर अजीज की फिल्म ‘पति-पत्नी और वो’ 1978 में रिलीज हुई बीआर चोपड़ा की फिल्म की रीमेक है, जो इसी नाम से थी. बदलते वक्त के साथ इसमें कुछ बदलाव भी किए गए हैं. पति जी अपने काम से खुश हैं, लेकिन पत्नी जी उन्हें बार-बार दिल्ली जाने के लिए कहती हैं और ये समझाती हैं कि उन्हें कुएं का मेढ़क नहीं बनना चाहिए.   

चिंटू की जिंदगी में वो तपस्या सिंह की एंट्री होती है, जो उसकी बोरिंग जिंदगी में बहार लाती है. फिल्म में शादी की पवित्रता को भी बरकार रखने की पूरी कोशिश की गई है. ऐसा लगता है कि महिलाओं ने मान लिया है कि मर्द, मर्द ही होते हैं. आखिर में उन्हें अपने किये पर पछतावा होगा और वो वापस घर लौट ही आएंगे.

फिल्म ईमानदारी से तब रफ्तार पकड़ती है, जब कार्तिक का झूठ उजागर होने वाला होता है. अपारशक्ति खुराना एक बार फिर हीरो के दोस्त के रोल में अपने डायलॉग और कॉमिक टाइमिंग के साथ बेहद शानदार हैं.

फिल्म में घरेलू पति की बदहाली को बयां करता कार्तिक आर्यन फेम मशहूर मोनोलॉग भी है. लेकिन ये छोटे-छोटे मजेदार टुकड़े फिल्म को कितना बचा सकते हैं, जब स्क्रिप्ट कमजोर हो.

फिल्म में दूसरी औरत और कानूनन शादीशुदा पत्नी पति को सबक सिखाने के लिए जिस तरह दोनों फैसला करती हैं, ये समझ नहीं आता कि आखिर आज के मॉडर्न दौर में इसे संवेदनहीन तरीके से कैसे मिस कर दिया गया. पति को सबक सिखाने का ये साधारण सा फॉर्मूला फिल्म को ज्यादा ही औसत फिल्म बनाता है.

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