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Raksha Bandhan: मेरा भाई बहुत टेंशन देता है लेकिन फिल्म देखकर मैंने उसके पैर छुए

राखी के दिन आई फिल्म Raksha Bandhan में बहनों के लिए 'डबल डेकर', 'अमावस की रात' जैसे शब्द सुन मैं दांत पीसने लगी

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रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) एक भाई, लाला केदारनाथ (अक्षय कुमार) की कहानी है जो चांदनी चौक में चाट बेचता है और उसकी जिंदगी का इको ही मकसद है. उसकी मां ने दुनिया से जाते वक्त उससे वचन लिया था कि वो अपनी चारों बहनों की शादी करेगा. लाला केदारनाथ (Akshay Kumar) ने कसम खाई है कि जबतक उसकी बहनों की शादी नहीं हो जाती वो खुद शादी नहीं करेगा.

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1. लाला जब अपनी बहनों के लिए दूल्हा तलाशने निकलता है तो सबकुछ बदल जाता है. उसकी एक बहन 'काली' है. दूसरी 'मोटी' है और एक में लड़कियों वाले 'गुण' नहीं हैं. लाला फिल्म में लगातार अपनी बहनों पर कमेंट कसता रहता है. जब वो या कोई और फिल्म में लड़कियों पर कमेंट करते हैं तो आप एक घूंट लीजिए और यकीन मानिए फिल्म खत्म होते होते आप नशे में धुत हो जाएंगे.

2. मेरा भाई मेरी जिंदगी का चरस है लेकिन जब मैंने रक्षा बंधन फिल्म देखी तो जाकर उसे गले लगा लिया. उसे राखी बांधने के बाद उसके पैर छुए और उससे गिफ्ट लेने के बजाय उसे तोहफा दिया.

3-पहली नजर में देखने पर लगता है कि रक्षा बंधन एक ड्रामा कॉमेडी फिल्म है लेकिन ये एक साइंस फिक्शन भी है. कैसे? इसमें टाइम ट्रेवेल भी है. फिल्म में जो गुजरे जमाने की बातें हैं, भाई के प्यार और उसकी रक्षा करने की जिद का जो पुराना कॉन्सेप्ट है वो 1992 का लगता है. आप फिल्म देखकर पिछले दशकों में पहुंच जाएंगे.

4. अक्षय कुमार अपनी तीन बहनों की शादी के लिए एक एजेंट को लगाते हैं. वो उसकी 'मोटी' बहन को ''डबल डेकर'' बुलाता है, 'काली' बहन को ''अमावस की रात'' और 'लड़कियों की तरह' न दिखने वाली बहन को ''छोटा शकील'' बुलाता है. फिल्म देखते वक्त मैं अपने दांत इतनी जोर से पीस रही थी कि लगा कि कहीं वो टूट न जाएं.

5. अक्षय कुमार की गर्लफ्रेंड का किरदार निभा रही भूमि पेडनेकर खफा हैं क्योंकि अक्षय कहते हैं कि वो अपनी बहनों की शादी के बिना शादी नहीं करेंगे. वो उसे किसी और से शादी करने के लिए मनाते हैं लेकिन वादा करते हैं कि शादी में चाट वही बनाएंगे क्योंकि पूरे चांदनी चौक में उनसे बेहतर चाट कोई और नहीं बना सकता. इजहार-ए-मोहब्बत का भारतीय अंदाज अलग ही लेवल का है!

6. पता नहीं क्यों शादी में अक्षय कुमार बहुत उदास नजर आते हैं. भाई, तुम चाट बना रहे हो. तुम शादी में आए हर शख्स से ज्यादा जरूरी हो. दूल्हा-दुल्हन से भी जरूरी. सबको तुम्हारी ही परवाह है. सब तुमपर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. खुश रहो.

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7. क्या कोई चेक करेगा कि आनंद एल राय की तबियत कैसी है? मुझे यकीन नहीं हो रहा कि इसी शख्स ने 'तनु वेड्स मनु' बनाई थी जिसमें मनु शर्मा जैसा संवेदनशील किरदार है, जिसे आर माधवन निभा रहे हैं. दूसरी तरफ लाला है जो सड़कों पर गुंडों से लड़ रहा है. अपनी बहनों को किसी से भी शादी करने के लिए मनाने के लिए तिकड़मे भिड़ा रहा है. कुल मिलाकर बकवास कैरेक्टर है.

8. शादी के बाद लाला की एक बहन की खुदकुशी से मौत हो जाती है. क्योंकि उसके ससुराली उसे दहेज के लिए तंग करते हैं. इससे लाला अंदर तक हिल जाता है. उसका हृदय परिवर्तन हो जाता है और वो दहेज प्रथा की बुराइयों को समझ जाता है. अच्छी बात है. लेकिन ये अच्छी बात फिल्म में इतनी देर से आती है कि लाला के पाप भुलाए नहीं भूलते. वो बदल जाता है लेकिन मुझे वही पहले वाला भाई ही याद रह जाता है.

9. फिल्म के आखिरी दस मिनट में दिखाया गया है कि लाला अपनी बहनों को अपने तरीके से जिंदगी जीने के लिए बढ़ावा देता है. वो बताता है कि शादी का सर्टिफिकेट लेना जरूरी नहीं है. उसकी एक बहन वकील, दूसरी पुलिस अफसर बनती है. सबकी लाइफ पटरी पर आ जाती है. ये सारा कुछ एक गाने में दिखा दिया जाता है. तो फिर फिल्म में इतना बकवास क्यों? क्यों बार-बार 'मोटी, मोटी' कहा गया. बाद में ये गैर जरूरी बात भी पता चलती है कि अक्षय उनके अपने भाई नहीं है, बल्कि गोद लिए हुए हैं. लेकिन इस अच्छी बात पर पहले क्यों नहीं फोकस किया गया. शर्मनाक! मैं बहनों की कामयाबी, ये सुखद अंत देखना ज्यादा पसंद करती, न कि दकियानूसी बातें. ऐसा लगता है कि सारी अच्छी बातों को फिल्म अनदेखा करती गई.

10. कुल मिलाकर दहेज आज भी एक संवेदनशील मुद्दा है. आज भी शहरों में महिलाओं की मौत इस वजह से हो रही है. रक्षा बंधन एक परेशान भाई की तरफ से इस पर एक नया नजरिया पेश कर सकती थी, लेकिन सारी ऊर्जा बासी कॉमेडी और ड्रामा से भरपूर प्लॉट पर खर्च की गई.

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