देश में इस साल के अंत तक मोबाइल फोन कंपनियों के लिए 5 जी यानी फिफ्थ जेनरेशन स्पेक्ट्रम की नीलामी पूरी हो जाएगी. यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि 100 दिनों में 5जी नेटवर्क ट्रायल शुरू हो जाएंगे.
5 जी स्पेक्ट्रम से जुड़ी एक हाई-लेवल मीटिंग डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी की अध्यक्षता में 17 जून को होगी.
भारत में 5 जी टेक्नोलॉजी डेवलेप करने में चीन की कंपनी हुवावे भी रेस में है. दुनिया के कई देशों में हुवावे 5 जी टेक्नोलॉजी डेवलप कर रही है.लेकिन अमेरिका ने खुद तो अपने यहां हुवावे पर बैन लगाया ही है दूसरे देशों पर भी दबाव डाल रहा है कि वह इस चीनी कंपनी को अपने यहां टेक्नोलॉजी डेवलप न करने दें.
अमेरिका का कहना है कि चीन की इस कंपनी से उसकी सुरक्षा जानकारी लीक हो सकती है. भारत में भी ऐसी ही शंका जताई जा रही है कि हुवावे को मौका देने से उसकी सुरक्षा संबंधी जानकारियांचीन को मिल सकती है. उधर, हुवावे ने ऐसी किसी से आशंका से इनकार किया है और कहा है कि भारत उसे काम करने का मौका देने पर तुरंत फैसला करे. इस मामले में पेच कहां फंस रहा है, आइए समझते हैं.
हुवावे क्यों है बेचैन?
चीनी टेलीकॉम कंपनी हुवावे ने भारत सरकार से अपील की है. यहां 5जी टेक्नोलॉजी डेवलप करने में वह कंपनी को हिस्सा लेने देंगे या नहीं. उसने भारत सरकार की ओर से मांगी गई सभी जानकारियां दे दी लेकिन अभी भी उसे हरी झंडी नहीं मिली है. यह हालात उसे परेशान कर रही है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अमेरिका उस पर बैन लगा चुका है. कनाडा ऐसा करने की सोच रहा है. इन देशों को लगता है कि चीन के 5जी गियर्स और इक्विपमेंट से उनकी सुरक्षा जानकारियां चीन के हाथ में पहुंच सकती हैं.
हुवावे की एंट्री पर सरकार के अंदर मतभेद?
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन (DOT) के कुछ अफसरों का मानना है सरकार 5जी नेटवर्क इक्विपमेंट के लिए सिर्फ नोकिया और एरिक्सन जैसी कंपनियों के भरोसे नहीं रह सकती. हुवावे को एंट्री के समर्थकों का कहना है कि कंपनी की सिक्यूरिटी जांच हो सकती है. लेकिन चीनी कंपनी का विरोध करने वालों का कहना है कि 5जी नेटवर्क इक्विपमेंट के चीनी वेंडर भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं. क्योंकि चीन के कानून के मुताबिक ऐसी कंपनियों को वहां की सरकार से जानकारी साझा करना जरूरी है.
हुवावे का क्या कहना है?
हुवावे का कहना है भारत की आशंका निराधार है. देश की सुरक्षा के लिए लिहाज से इसकी टेक्नोलॉजी पूरी तरह सेफ है. भारत सरकार इस मामले में अमेरिका के दबाव में न आए और स्वतंत्र रूप से फैसला ले. इस बीच वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल ने सरकार से यह साफ करने के लिए कहा है कि वे 5जी के फील्ड ट्रायल में हुवावे के साथ पार्टनरशिप करें या नहीं.
सरकार का ताजा रुख क्या है?
सोमवार को दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हुवावे का मामला सिर्फ टेक्नोलॉजी का नहीं है. इसे सिक्योरिटी एंगल से भी देखना है. भारत और चीन के बीच जिस तरह के रिश्ते हैं उससे इस मामले को जियो-पॉलिटिकल एंगल से भी देखना होगा. अगर हुवावे के इक्विपमेंट से सुरक्षा जानकारियां लीक हो सकती हैं तो भारत 5जी टेस्टिंग और डेवलपिंग के लिए इजाजत नहीं दे सकता.
5जी नेटवर्क का क्या है फायदा?
5 जी यानी 5th जेनरेशन नेटवर्क से डेटा स्पीड कई गुना बढ़ जाती है. 5जी नेटवर्क के जरिये डेटा 4 जी की तुलना में 100 से 250 गुना अधिक स्पीड से ट्रैवल कर सकता है. इससे 8k फॉरमेट में एक साथ सैकड़ों फिल्मों को देखा जा सकता है. फैक्टरी रोबोटिक्स, सेल्फ ड्राइविंग कार टेक्नोलॉजी, मशीन लर्निंग नेटवर्क, क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी और एडवांस मेडिकल इक्विपमेंट और स्मार्ट सिटी से जुड़ी टेक्नोलॉजी में यह 5जी टेक्नोलॉजी क्रांति ला सकती है.
5जी ट्रायल की क्या है ताजा स्थिति?
सरकार ने देश में 5जी ट्रायल के लिए आईआईटी चेन्नई में टेस्ट बेड बनाया है. हुवावे की कंपीटिटर एरिक्सन ने भी आईआईटी दिल्ली में टेस्ट बेड बनाया है. हुवावे ने कहा है कि अगर सरकार ने उसे जल्द इजाजत दे दी तो वह भी 5जी ट्रायल के लिए अपना लैब बनाएगा.
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