ADVERTISEMENTREMOVE AD
मेंबर्स के लिए
lock close icon

मुंबई में सदी का पहला चक्रवात है ‘निसर्ग’, इसके पीछे के कारण समझिए

एक सदी बाद मुंबई शहर से कोई चक्रवात टकराने वाला है.

Published
कुंजी
5 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female
स्नैपशॉट

एक सदी बाद मुंबई शहर से कोई चक्रवात टकराने वाला है. अनुमान है कि चक्रवात ‘निसर्ग’ बुधवार 3 जून को मुंबई के समुद्री तटों से टकराएगा और इसका सीधा असर महाराष्ट्र और गुजरात पर होगा. महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में हवाओं की गति 100-120 किमी प्रति घंटे तर रह सकती है, वहीं खुले इलाकों में भारी से भी भारी बारिश होने का अनुमान है. राज्य सरकार की आपदा प्रबंधन टीमें इस चक्रवात से बचाव की तैयारियों में लगी हैं.

बंगाल की खाड़ी में चक्रवात का बनना और पूर्वी तटीय क्षेत्रों जैसे पश्चिम बंगाल और उड़ीसा से टकराना काफी आम बात है. लेकिन महाराष्ट्र और गुजरात के पास तटीय क्षेत्रों में ऐसा क्या बदलाव हुआ है कि अब यहां भी चक्रवातीय तूफान आ रहा है. चलिए आपको समझाते हैं-

ADVERTISEMENTREMOVE AD

चक्रवात बनते कैसे हैं?

चलिए आपको एकदम बेसिक से समझाते हैं. समुद्र की सतह का तापमान चक्रवात बनने का अहम कारण हैं. जब तापमान 27 डिग्री सेल्सियस के पार जाता है तो चक्रवात बनने की प्रक्रिया शुरू होती है. गर्म और नमीयुक्त हवाएं समुद्री सतह से उपर की तरफ उठना शुरू होती हैं. चूंकि सारी हवा ऊपर उठने लगती है तो समुद्री सतह पर कम हवा बचती है. इससे उस क्षेत्र में निम्न दबाव वाला क्षेत्र बन जाता है.

जैसे ही गर्म और नमीयुक्त हवा ऊपर जाती है, बादल बनने की प्रक्रिया शुरू होती है. बादल जैसे ही बड़े होते हैं हवा का घूमना शुरू होता है. जैसी ही तेज घुमावदार हवाएं चलती हैं तो बीच में एक 'आई' बनती है, यही आई चक्रवात का केंद्र होता है. ये चक्रवात कितनी ऊंचाई पर बनता है उस पर निर्भर करता है कि इसका असर कम होगा या भयानक होगा.

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ रॉक्सी मैथ्यू बताते हैं कि गर्म समुद्री तापमान और हवाओं की रफ्तार से वायुमंडल में ऐसी स्थिति बनती है जिससे चक्रवातीय स्थितियां बनती हैं. ये बंगाल की खाड़ी में आमतौर पर होता रहता है. अभी पिछले दिनों ही पूर्वी तटों से अम्फन नाम का चक्रवातीय तूफान टकाराया था. इसमें कई लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग इससे बेघर हो गए थे.

अगर हम अरेबियन सागर की ही बात करें तो ये सागर बंगाल की खाड़ी के मुकाबले ज्यादातर ठंडा ही रहता है. यहां के वातावरण में उल्टी हवाएं चलती हैं. खासतौर पर मॉनसून के शुरुआती दिनों में. वायुमंडल के निचले स्तरों में हवाएं एक दिशा में चल सकती हैं और ऊपरी स्तरों पर हवाएं दूसरी दिशा में चल सकती हैं. ये चक्रवात को वर्टिकल तरीके से बनने से रोकता है. 
डॉ रॉक्सी मैथ्यू, वैज्ञानिक, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी

यही कारण है कि महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों के तटीय इलाकों में चक्रवात कम बनते हैं. लेकिन अब इस प्रक्रिया में बदलाव हो रहा है. इसके पीछे की वजह है ग्लोबल वॉर्मिंग.

0

क्या निसर्ग चक्रवात के पीछे जलवायु परिवर्तन है?

काफी रिसर्च के बाद वैज्ञानिक एकमत हुए हैं कि चक्रवातों के मजबूत होने के पीछे जलवायु परिवर्तन बड़ा कारण है. जलवायु परिवर्तन ने समुद्री सतह पर तापमान को बढ़ाया है. चूंकि चक्रवात के बनने के पीछे सबसे बड़ा कारण समुद्री सतह का तापमान ही होता है. तापमान ज्यादा मतलब ज्यादा गर्म और नमीदार हवाएं ऊपर की दिशा में उठेंगी. इससे हवाओं की गति बढ़ेगी और तूफान आने की परिस्थितियां बनेंगी.

डॉ मैथ्यू बताते हैं कि वॉर्मिंग बढ़ने की वजह से वायुमंडल की बाकी स्थितियों पर भी असर पड़ा है. मॉनसून का शुरुआती दौर चक्रवात बनने के लिए बिल्कुल भी सही परिस्थिति नहीं है लेकिन हम देख रहे हैं कि जिस तरह की समुद्री स्थितियां मतलब कम दबाव वाले क्षेत्र बनने से लेकर डिप्रेशन के बनने तक बनी हैं, इससे चक्रवात और मजबूत हो सकता है.

चक्रवात बनने से पहले ही अरब सागर का तापमान ज्यादा था. वहां समुद्री सतह का तापमान 30-32 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. 
डॉ रॉक्सी मैथ्यू, वैज्ञानिक, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी

डॉ मैथ्यू बताते हैं कि जब बंगाल की खाड़ी में अम्फन चक्रवात बना था, तो वहां पर समुद्री सतह का तापमान 30-33 डिग्री सेल्सियस था.

कार्बन एमीशन की वजह से ग्लोबल वॉर्मिंग की प्रक्रिया ने इसमें बड़ी भूमिका अदा की है. तापमान बढ़ने से वायु में नमी बढ़ती है. इससे भारी बारिश की संभावना बनती है और जब ये चक्रवात के साथ होती है तो शहरों में बाढ़ आने की संभावना बनने लगती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

निसर्ग तूफान का मुंबई पर कैसा असर होगा?

भारी बारिश और फिर जलभराव होना मुंबई के लिए कोई नई बात नहीं है. शहर के निचले इलाकों हिंदमाता, दादर, सायन, कुर्ला, सेंटाक्रूज में जलभराव की समस्या तकरीबन हर साल होती है. इसके साथ जब हाई टाइड भी आता है तो ये समस्या भयानक हो जाती है.

भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी के रिसर्च डायरेक्टर डॉ अंजल प्रकाश बताते हैं कि 'चक्रवातीय घटनाओं का अंदाजा लगा पाना मुश्किल होता है. तो जब ये आगे बढ़ता है तो इसकी तीव्रता कितनी होगी ये कहा नहीं जा सकता है. तो इसके लिए हमें अभी इंतजार ही करना होगा.’

जलभराव की समस्या को लेकर 2005 में माधव चितले कमेटी ने सुझाव दिए थे. कमेटी के चार सुझाव अहम थे-

पहला, उनका मानना था कि मुंबई में नालियां जरूरत से कम हैं. दूसरा, अभी भी जितनी नालियां हैं उनमें ब्लॉकेज हैं या उनको किसी वजह से बंद कर दिया गया है. तीसरा, शहर की पानी को ग्रहण करने की क्षमता में भी कमी आई है. पहले जो छोटे तालाब और बाकी रिजर्व थे वो बाढ़ को रोकने का काम करते थे. लेकिन अब ऐसी चीजों को एक-एक करके खत्म कर दिया गया और उन पर नई बिल्डिंग्स बनती गईं.
डॉ अंजल प्रकाश, रिसर्च डायरेक्टर, भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी 

अतिक्रमण के अलावा, पिछले दशकों में मुंबई के कई सारे मैंग्रोव की कटाई होती गई है. यही मैंग्रोव चक्रवात और बाढ़ जैसी आपदओं से बचने के लिए आगे हुआ करते थे. साथ ही चक्रवात निसर्ग के आने का वक्त भी मुसीबत खड़ी कर सकता है. महाराष्ट्र में 2 जून तक 42,200 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव केस आ चुके हैं. शहर के अस्पताल में इसकी वजह से मांग बढ़ी है और स्वास्थ्य सुविधाएं सभी को मिल पाना कठिन होता जा रहा है. ऐसे तूफान की हालत में सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना और कठिन होगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

राज्य सरकार ने अभी तक क्या-क्या तैयारियां की हैं?

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने निसर्ग तूफान से लड़ने के लिए की गई तैयारियों का जायजा लेने के लिए 2 जून को बैठकें की हैं. सीएम ने नागरिकों से अपील की है कि अगले दो दिनों तक घरों के अंदर रहें. कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे ने ट्विटर पर बड़े अधिकारियों के साथ हुई बैठक की जानकारी दी है.

नागरिकों की सुरक्षा के लिए महाराष्ट्र, गुजरात, दमन एंड दीव और दादर नगर हवेली में नेशनल डिजास्टर रिलीफ फोर्स की 34 टीमें तैनात की गईं हैं. महाराष्ट्र के मुंबई, पालघर, ठाणे, रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग में भी इनकी तैनाती हुई है.

वहीं भारतीय नौसेना के वेस्टर्न नेवल कमांड को भी अलर्ट पर रखा गया है. नेवी ने अपने बयान में कहा है-

मुंबई में महाराष्ट्र का नेवल एरिया मुस्तैदी के साथ बाढ़ नियंत्रण और बचाव के लिए तैयार रहेगा. इन टीमों को कई नेवल इलाकों में तैनात किया गया है. टीम के पास सारे संसाधन हैं और उनको रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए ट्रेनिंग दी गई है. 

मुंबई पुलिस ने समुद्री इलाकों में जैसे बीच, पार्क या ऐसी जगहों पर न जाने के लिए मनाही की है. मुंबई का फायर ब्रिगेड विभाग भी अलर्ट पर है. ब्रिगेड की 12 टीमें और रेस्क्यू बोट को स्टैंडबाइ पर रखा गया है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×