ADVERTISEMENTREMOVE AD

पाकिस्तान में जब एक चापलूस जनरल ने ताज पहनाने वाले PM को पहनाया था 'मौत का हार'

Imran मुसीबत में: पढ़िए वो कहानी जिसमें जिया-उल-हक ने उसी भुट्टो को मरवा डाला जिससे वफादारी के लिए कुरान की कसम खाई

Updated
कुंजी
8 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की कुर्सी को खतरा है. उनके खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया गया है. कहा जा रहा है कि भले ही राजनीति सेटअप ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया है लेकिन इसके पीछे सेना ही है. पाकिस्तान (Pakistan)और वहां की राजनीति में सेना (Military) का दखल आजादी के बाद से ही देखने को मिला है. आप पाकिस्तानी सेना प्रमुख की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि वहां तीन बड़े सैन्य तख्तापलट (Military Intervention) देखने को मिले. पांच जनरलों ने देश की सत्ता चलाई. 1947 से अब तक यानी लगभग 75 वर्षों में से 35 साल तो सीधे तौर पर पाकिस्तान सेना के नियंत्रण में रहा. इसके अलावा जब भी वहां चुनी हुई सरकार बनी उसमें सेना की दखलंदाजी देखने को मिली. आइए विस्तार से जानते हैं पाकिस्तान में हुए अब तक के सबसे भयावह अंजाम वाले सैन्य तख्तापलट के बारे में जब सेना प्रमुख जनरल जिया उल हक ने ताज पहनाने वाले प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्‌टो को बदले में सजा-ए-मौत दी गई. उसके बाद जनरल जिया उल हक ने पाकिस्तान पर सबसे लंबे समय तक राज किया...

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जिया ही क्यों थे पसंद? क्या चापलूसी के आगे पिघल गए थे सख्त भुट्‌टो?

1973 में जुल्फिकार अली भुट्‌टो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने. एक बार जब वो मुल्तान की यात्रा पर थे तब जिया उल हक ने अपने नीचे काम करने वाले पूरे डिविजन को भुट्‌टो का स्वागत करने और उनकी कार पर फूल फेंकने के लिए सड़कों पर उतार दिया था. वहीं मुल्तान में देर रात भुट्‌टो जब अपने कमरे में कुछ काम कर रहे थे. तब उन्होंने देखा कि शीशे के बाहर एक परछाई सी दिखाई दे रही है. भुट्‌टो ने अपने एडीसी को ये देखने के लिए बाहर भेजा कि देखो वहां कौन खड़ा है? एडीसी देखकर आया और भुट्‌टो को बताया कि बाहर डिवीजनल कमांडर मोहम्मद जिया उल हक खड़े हुए हैं.

भुट्‌टो ने जिया उल को अंदर बुला कर उनके आने का कारण पूछा. तब जिया ने जवाब देते हुए कहा कि "मैंने यह तो सुन रखा है कि किस तरह हमारे राष्ट्रपति देश सेवा में लगे हुए हैं. लेकिन अब देख भी लिया. आज जब मैं इस भवन के सामने से गुजर रहा था तब मैंने इस कमरे में इतनी रात रोशनी देखी. ये देखकर मैं दंग रह गया कि हमारा राष्ट्रपति इतनी देर रात तक काम कर रहा है." जिया का यह तीर निशाने पर सटीक बैठ गया और भुट्‌टो जैसा व्यक्तित्व भी उनके जाल में फंस गया.

मासूमियत और चालाकी से सबको मुरीद बनाना थी जिया की खूबी

जिया के घर अगर कोई मेहमान आता था तो वो उसे बाहर तक उन्हें छोड़ने जाते थे और उसकी कार का दरवाजा तक खोलते थे. वो झुककर मेहमानों को विदा करते थे. लोग इसी से खुश और मुग्ध हो जाते थे, लेकिन जिया के दिमाग में क्या चल रहा होता था, इस बात का पता किसी को नहीं होता था. वे बड़ी ही चालाकी से अपनी भावनाओं को छिपा जाते थे. भुट्‌टो तक उनको पहचान नहीं पाए थे."

पाकिस्तान की सत्ता चलाने वालों पर बहुचर्चित किताब 'पाकिस्तान एट द हेल्म' लिखने वाले तिलक देवेशर ने अपने एक इंटरव्यू में कहा है कि "जिया उल हक बहुत ही चालाक किस्म के आदमी थे और सबसे इस तरह पेश आते थे जैसे उनसे शरीफ कोई आदमी ही न हो. वो किसी को ना नहीं कहते थे. जो कोई भी उनके सामने सुझाव ले कर आता था, उससे वो यही कहते थे कि ये बहुत अच्छा 'आइडिया' है. लेकिन जिया वही करते थे जो वो करना चाहते थे."
0

भुट्‌टो को चेताया गया लेकिन कर बैठे सबसे बड़ी भूल

कभी भुट्‌टो के काफी खास व नजदीकी रहे गुलाम मुस्तफा खार ने बीबीसी के रेहान फजल को बताया था कि "मैंने भुट्‌टो को इस बारे में आगाह किया था कि जिया इस पद के लायक नहीं हैं. आप जिया को सेनाध्यक्ष बना कर अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल कर रहे हैं. तब भुट्‌टो ने मुझसे कहा था मैं तुमसे तीन सवाल पूछता हूं. उनका जवाब दो. क्या जिया बहुत प्रभावशाली शख्स है? मैंने कहा नहीं. फिर उन्होंने पूछा, क्या वो जमीन से जुड़ा शख्स है? फिर मैंने कहा बिल्कुल नहीं. फिर वो बोले, क्या वो अच्छी अंग्रेजी बोलता है? एक बार फिर मैंने कहा नहीं."

उसके बाद भुट्‌टो ने कहा था ''मुस्तफा एक बात याद रखना. पाकिस्तानी सेना उसी को स्वीकार करती है जो अच्छी अंग्रेजी बोलने वाला हो या जो सैंडहर्स्ट में पढ़ा हो या उसकी शख्सियत प्रभावी हो या वो जमीन से जुड़ा हो. जिया तो बाहर से आया हुआ आदमी है और बहुत ही बदरोब है. इससे ज्यादा मुझे और कौन सूट करेगा?

तब मुस्तफा ने कहा था अगर आपकी यही सोच है तो खुदा आपको सही साबित करे और मुझे गलत ठहराए. हालांकि मैं समझता हूं कि आप अपनी जिंदगी का सबसे गलत निर्णय ले रहे हैं."

जनरल बनने के बाद जिया उल हक ने भुट्‌टो को आर्म्ड कोर का कर्नल इन चीफ घोषित कर दिया था. जिया तो यह भी चाहते थे कि भुट्‌टो आर्म्ड कोर की वर्दी पहनें. लेकिन भुट्‌टो ने वर्दी नहीं पहनी. जब भुट्‌टो को इस पद से नवाजा गया था तब जिया ने एक बहुत बड़ा समारोह आयोजित किया था. भुट्‌टो की छाती चौड़ी करने के लिए जिया ने उनसे एक लक्ष्य पर निशाने लगाने का इंतजाम किया था. यहां भी जिया ने चापलूसी की कोई कसर नहीं छोड़ी थी. जिस टारगेट को भुट्‌टो को भेदना था उस पर निशाना जिया ने पहले से ही लगावा कर रख दिया था. भुट्टो को सिर्फ ट्रिगर दबाना था. इसके अलावा यदि भुट्टो का निशाना इसके बावजूद भी चूक भी जाता तो उन्होंने चारों तरफ सैनिक बैठाए हुए थे. ताकि वे टारगेट पर एक धमाका करें और भुट्टो को ऐसा लगे कि उन्होंने ही सही निशाना लगाया है.

भुट्‌टो ने कई जनरलों को 'सुपरसीड' करते हुए एक जूनियर सैनिक अफसर जिया उल हक को इस उम्मीद से सेना का अध्यक्ष यानी जनरल बनाया था कि वो उनकी हर बात मानेंगे. लेकिन परिणाम इसके ठीक विपरीत रहा. जिया को जनरल बनाने के बाद भुट्‌टो कई बार उन्हें सबके सामने 'बंदर जनरल' कह कर पुकारते थे. तब जिया कुछ भी नहीं कहते थे. लेकिन भुट्‌टो ने उनकी जो तौहीन की, उसे उन्होंने अपने दिल में दबा कर रखा और बाद में जब मौका आया तो उन्होंने उसका बदला ले लिया." जैसे ही जिया को मौका मिला, उन्होंने भुट्‌टो के पैरों के नीचे से जमीन खींच ली और सेना प्रमुख का ताज पहनाने वाले भुट्‌टो को फांसी का 'हार' यानी की फंदा पहनवाया.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

कुरान पर हाथ रख किया था वफादारी का वादा, बाद में आती है एक काली रात और जिया दिखते हैं गिरफ्तारी का इरादा

एक बार जिया उल हक भुट्‌टो से मिलने गए. तब भुट्‌टो के पास जिया से मिलने के लिए समय नहीं था. लेकिन जिया वहीं बैठे रहे. लगभग तीन-चार घंटे के बाद भुट्‌टो ने उन्हें बुला कर पूछा कि आखिर बात क्या है? तब जिया ने कहा कि मैं आपको कुरान शरीफ भेंट करने आया हूं और इस क़ुरान पर हाथ रख कर मैं कहना चाहता हूं कि मैं आपके लिए हमेशा वफादार रहूंगा. तब भुट्‌टो को लगा कि अगर जिया मेरे सामने इस तरह गिरगिड़ा रहा है, तो भला मुझे इससे किसी तरह का कोई खतरा कैसे हो सकता है. भुट्‌टो ने जिया के पूरे परिवार को उनकी मानसिक रूप से चुनौती झेल रही लड़की का इलाज करवाने अमेरिका भेजा था. जिस दिन भुट्‌टो को नजरबंद किया गया था, उस दिन जिया का पूरा परिवार अमेरिका में ही था.

चार जुलाई 1977 की रात पाकिस्तान के लिए वह काली रात थी, जब जनरल जिया 'ऑपरेशन फेयरप्ले' की शुरुआत करते हुए भुट्‌टो समेत पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार करवा लेते हैं. जिया उल हक ने न सिर्फ भुट्‌टो का तख्तापलट किया बल्कि एक विवादास्पद मुकदमे के बाद उन्हें फांसी पर भी चढ़वा दिया.

भुट्‌टो को गिरफ्तार किए जाने के बाद उन पर राजनीतिक प्रतिद्वंदी मोहम्मद अहमद खां कसूरी की हत्या करवाने का आरोप लगाया गया. सरकारी गवाह महमूद मसूद ने गवाही देते हुए कहा कि ज़ुल्फिकार अली भुट्‌टो नें उन्हें कसूरी की हत्या करने का आदेश दिया था. इस मामले में मौलवी मुश्ताक हुसैन ने मौत की सजा सुनाई थी. फरवरी 1979 में सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगा दी थी.

'द भुट्‌टो डायनेस्टी स्ट्रगल फॉर पावर इन पाकिस्तान' नामक किताब के लेखक ओवेन बैनेट जोंस अपनी पुस्तक में लिखते हैं कि "इससे पहले कभी भी हत्या के षडयंत्र के मामले में मौत की सजा नहीं सुनाई गई थी और न ही सुप्रीम कोर्ट के जज सजा और आरोपी के अपराध के बारे में एकमत थे. इस सजा पर ये भी सवाल उठे थे कि आरोपी को तब भी हत्या का दोषी माना गया था जबकि वो घटनास्थल पर मौजूद नहीं था.

भुट्‌टो को माफी देने की अपील दुनिया भर के कई नेताओं ने की थी, जिनमें रूस के राष्ट्रपति ब्रेझनेव, चीन के हुआ ग्योफेंग और सऊदी अरब के शाह खालेद भी शामिल थे. भुट्‌टो ने इस फैसले के खिलाफ एक रिव्यू पीटीशन भी दायर की थी लेकिन उसे अस्वीकार कर दिया गया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

खुद को फांसी से बचाने के लिए भुट्‌टो की दया याचिका को किया खारिज

पूरी दुनिया ने भुट्टो की जान बख्शने ने की अपील कर रही थी, लेकिन जिया ने सबको अनसुना कर दिया था. क्योंकि उन्हें भुट्‌टो से अपनी जान का खतरा था. जिया को मालूम था कि अगर भुट्‌टो सत्ता में आते हैं तो वो उन्हें छोड़ेंगे नहीं. पाकिस्तान के संविधान में धारा-6 भुट्‌टो ने ही डलवाई थी जिसके अनुसार जो भी सत्ता को गैरकानूनी ढंग से बदलेगा उसके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाएगा और उसकी सजा होगी मौत. जिया इस बारे में निश्चित थे कि भुट्‌टो इसका इस्तेमाल उनके खिलाफ करेंगे."

पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने भुट्‌टो की पुनर्विचार याचिका को पांच मिनट से भी कम समय में खारिज कर दी गई थी और अदालत की कार्यवाही संपन्न हो गई थी. 1 अप्रैल 1979 की शाम जनरल जिया ने उस अपील पर लाल कलम से तीन शब्द लिखे 'पीटीशन इज रिजेक्टेड.' कहा जाता है कि जिया ने भुट्‌टो की दया याचिका को बिना पढ़े ही खारिज कर दिया था. 4 अप्रैल 1979 को ज़ुल्फिकार अली भुट्‌टो को फांसी दे दी गई.

'पाकिस्तान एट द हेल्म' के लेखक तिलक देवेशर ने अपने इंटरव्यू में कहा था कि "जब भुट्‌टो को हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पाया तो खान अब्दल वली खां ने जिया से कहा था कि कब्र एक है और आदमी दो. अगर भुट्‌टो उसमें पहले नहीं जाएगा तो तुम उस कब्र में जाओगे. जिया सोच रहे थे कि अगर मैंने भुट्‌टो को छोड़ दिया तो ये मुझे नहीं छोड़ेगा. जब भुट्‌टो की दया याचिका उनके पास आई तो उन्होंने उसे एक मिनट में ही उसे 'रिजेक्ट' कर दिया."

जनरल जिया उल हक को लेकर कहा जाता है कि वे बेहद ही कट्टर विचारों वाले व्यक्ति थे. सेना में मिल रही सफलता के साथ-साथ उनकी कट्टरता में इजाफा होता चला गया. सैन्य तख्तापलट कर शासन संभालने वाले जिया उल हक ने संविधान की जगह पाकिस्तान में शरिया कानून लागू कर दिया. इस वजह से पाकिस्तान में धार्मिक कट्टरता बढ़ गई.

आखिरी समय में अपने साये से भी डरने लगे थे जिया उल हक 

पाकिस्तान में लंबे समय तक राज करने वाले जनरल जिया उल हक को एक समय जब इस बात का अंदेशा हो गया था कि उनके जीवन को खतरा है. तब वे अपने साये से भी डरने लगे थे राष्ट्रपति और सेना प्रमुख के रूप में जो भी जिम्मेदारियां थीं वो घर से ही पूरी करते थे. इस बारे में एक घटना का जिक्र पीटीवी के पूर्व प्रबंध निदेशक अख्तर वकार अजीम ने अपनी किताब 'हम भी वहीं मौजूद थे' में किया है. जिया की मौत के कुछ दिन पहले की घटना के बारे में वे अपनी किताब में लिखते हैं कि जिया की मौत से तीन दिन पहले पाकिस्तान की आजादी का दिन यानी 14 अगस्त था. चूंकि जिया को अनहोनी की आशंकी थी इसलिए वे 14 अगस्त के दिन होने वाले कार्यक्रमों को आर्मी हाउस के परिसर में करना चाहते थे.

पीटीवी की एक टीम रिहर्सल के लिए 14 अगस्त से एक दिन पहले आर्मी हाउस पहुंची और जब कैमरामैन जांच कर रहे थे कि समारोह को किस एंगल से फिल्माया जाए तो जिया खुद चले आए और घूम-फिर कर अपने आप को कैमरे की नजर से देखने लगे. जिया आर्मी हाउस में लगे पेड़ों के पीछे खड़े होते और जिस स्थान से उन्हें झंडा फहराना था, उस पर वे पेड़ों के पीछे से घात लगाकर देख रहे थे.

जनरल जिया ने जांचने-परखने के बाद कहा कि ये पेड़ सुरक्षा के लिहाज से जोखिम भरे हैं. इनके पीछे खड़े होकर उनका कोई दुश्मन उन पर फायर कर सकता है. तब उन्होंने लगभग 30 से 40 पेड़ काटने के आदेश दे दिए. जिस पर तत्काल प्रभाव से अमल हुआ था. इसके चार दिन बाद उनका विमान हवा में फट गया और जनरल जिया की मौत हो गई.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×