संसद के बचे हुए शीतकालीन सत्र (Parliament) के लिए अकेले लोकसभा से कुल 47 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया है. 18 दिसंबर को 33 सांसदों को निलंबित किया गया और इससे पहले 14 दिसंबर को 14 सांसदों को निलंबित किया गया था.
अगर आपको लग रहा हो कि आज से पहले लोकसभा में एक दिन में इतने सांसदों को निलंबित नहीं किया गया है तो रुक जाइये. इससे पहले 1989 में इससे भी ज्यादा 63 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है. यहां आपको बताएंगे कि तब 63 सांसदों को क्यों निलंबित किया गया? इस बार के निलंबन में क्या अलग बात है? और किस कानून के तहत सांसदों को निलंबित किया जाता है?
1989 में क्यों हुए थे 63 सांसद निलंबित?
वो दौर तब का था जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे. तब 63 सांसदों को निलंबित किया गया था. उस समय राजीव गांधी सरकार के पास 400 से भी ज्यादा सांसद थे, उनके पास भी शानदार बहुमत था बिलकुल आज की मोदी सरकार की तरह.
क्यों हुआ था निलंबन? 15 मार्च, 1989 को लोकसभा में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की जांच के लिए जस्टिस ठक्कर आयोग [जस्टिस एमपी ठक्कर के तहत एक जांच आयोग, 1984 में स्थापित] की रिपोर्ट को पेश करने पर जमकर हंगामा हुआ.
इसी के चलते एक बार में 63 सांसदों को निलंबित कर दिया गया, जो अब तक का लोकसभा में सांसदों के निलंबन में रिकॉर्ड है. पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, निलंबन के बाद, “जनता समूह के एक सांसद (सैयद शहाबुद्दीन) को निलंबित नहीं किया गया था, तब उन्होंने कहा कि उन्हें भी निलंबित ही माना जाए और वह सदन से बाहर चले गए थे. तीन अन्य सदस्य (जीएम बनतवाला, एमएस गिल और शमिंदर सिंह) भी विरोध में बाहर चले गए थे."
2023 और 1989 के निलंबन में क्या अंतर है?
हालांकि, आज और उस समय के निलंबन में मुख्य अंतर यह है कि इन सांसदों को हफ्ते के बाकी बचे दिनों के लिए निलंबित किया गया था, जो कि तीन दिन था. जबकि इस बार, सासंदों को सदन के बाकी सत्र के लिए ही निलंबित कर दिया गया है. साथ ही, उस समय सांसदों द्वारा अध्यक्ष से माफी मांगने के एक दिन बाद निलंबन रद्द कर दिया गया था.
2015 में जब कांग्रेस अपने सदस्यों को निलंबित करने का विरोध कर रही थी, तब तत्कालीन संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने पार्टी को 1989 की घटना की याद दिलाई थी.
नायडू ने पूछा था कि:
“अगर कांग्रेस का दावा है कि उसके 25 सांसदों का निलंबन लोकतंत्र के लिए काला दिन है, तो इस मामले में रिकॉर्ड किसने बनाया था?”
किस नियम के तहत सांसदों को किया जाता है निलंबित?
नियम संख्या 373. इसी के तहत लोकसभा अध्यक्ष किसी सदस्य के आचरण में गड़बड़ी पाए जाने पर उसे तुरंत सदन से हटने का निर्देश दे सकता है.
और जिसे भी हटने का आदेश दिया गया है उन्हें तुरंत सदन से बाहर जाना होता है और बाकी दिन की बैठक के दौरान भी अनुपस्थित रहना होता है.
इसके अलावा नियम 374 भी जहां अध्यक्ष उस सदस्य का नाम ले सकता है जो अध्यक्ष के अधिकार की अवहेलना करता है या सदन के नियमों का लगातार और जान-बूझकर उल्लंघन कर कार्यवाही में बाधा डालता है.
फिर नियम 374A भी है इसे दिसंबर 2001 में नियम पुस्तिका में शामिल किया गया था.
घोर उल्लंघन या गंभीर आरोपों के मामले में अध्यक्ष सांसद को लगातार पांच बैठकों या सत्र के बाकी दिनों के लिए निलंबित कर सकता है.
निलंबन की शर्तें भी हैं:
निलंबन की अधिकतम अवधि बचे हुए सत्र के लिये हो सकती है. ऐसा नहीं की अगले सत्रों के लिए भी निलंबति किया जा सके, ऐसा नहीं हो सकता.
निलंबित सदस्य कक्ष में प्रवेश नहीं कर सकते या समितियों की बैठकों में शामिल नहीं हो सकते
वे चर्चा के लिए भी नोटिस नहीं दे सकते
और वे अपने प्रश्नों का उत्तर पाने का अधिकार भी खो देते हैं.
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