Parliament Winter Session 2023: संसद से एक बार फिर 78 विपक्षी सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया है. शीतकालीन सत्र के 11वें दिन यानी 18 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में चूक के मामले पर विपक्षी नेता विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे और सदन में चर्चा की मांग कर रहे थे. जिसके बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने संसद की कार्यवाही में बाधा डालने के आरोप में विपक्षी पार्टियों के 33 सांसदों को निलंबित (Opposition MPs Suspended) कर दिया. वहीं राज्यसभा स्पीकर जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा से 45 सांसदों को निलंबित किया गया है. इससे 4 दिन पहले 14 दिसंबर को भी लोकसभा में 13 और राज्यसभा में 1 विपक्षी सांसद को निलंबित किया गया था.
दरअसल विपक्षी सांसद संसद सुरक्षा चूक मामले पर सदन में पीएम मोदी की मौजूदगी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बयान की मांग कर रहे हैं. साथ ही वे इस मामले पर सदन में चर्चा और आरोपियों के लिए पास की सुविधा प्रदान करने वाले बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
यह पहली बार नहीं है जब एक साथ इतने विपक्षी सांसदों को निलंबित किया गया हो. नरेंद्र मोदी सरकार में अलग-अलग समय पर लोकसभा और राज्यसभा स्पीकर ने कुल मिलाकर 25 बार निलंबन की कार्रवाई की है. जिसमें कुल 233 सांसदों को निलंबित किया गया.
20 सालों का आंकड़ा क्या बता रहा?
सूरत के एक आरटीआई कार्यकर्ता संजय इजावा के आरटीआई के जबाव में लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय ने 26 सितंबर 2023 को पिछले 20 सालों में निलंबित सांसदों और उनकी पार्टी की जानकारी साझा की.
लोकसभा सचिवालय के अनुसार पीएम मोदी के कार्यकाल में पहली बार 3 अगस्त 2015 को लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस के 25 सांसदों को एक साथ पांच दिन के लिए निलंबित किया था.
पिछले बीस सालों में यह पहली बार था, जब एक साथ लोकसभा के इतने सदस्यों को सदन से निलंबित किया गया था. इसे तब कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने लोकतंत्र के लिए काला दिन करार दिया था. यह वो समय था, जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार को सत्ता में आए महज एक साल ही हुआ था.
इसके बाद 2019 के आम चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर बड़ी संख्या में विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया. जनवरी 2019 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने हंगामा करने के आरोप में दो दिनों के अंदर टीडीपी और एआईएडीएमके के 45 सांसदों को निलंबित कर दिया था. पहले दिन 24 सदस्य 5 दिन के लिए निलंबित किए गए थे और अगले दिन 21 सांसद चार दिन के लिए निलंबित किए गए. 2015 से 2019 के बीच 2 बार और कार्रवाई हुई जिसमें क्रमशः कांग्रेस के 6 और एआईएडीएमके के 3 सांसद समेत कुल 10 सांसदों को निलंबित कर दिया गया.
राज्यसभा सचिवालय के अनुसार बीजेपी के पहले कार्यकाल में राज्यसभा से एक भी सांसद को निलंबित नहीं किया गया.
लोकसभा सचिवालय के आंकड़ों के अनुसार मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में लोकसभा में छोटे-बड़े 7 बार निलंबन की कार्रवाई हुई है, जिसमें 55 सांसद निलंबित हुए:
18 दिसंबर को 33 विपक्षी सांसद निलंबित
14 दिसंबर को पहले 5 विपक्षी सांसद निलंबित
14 दिसंबर को बाद में फिर 8 विपक्षी सांसद निलंबित
10 अगस्त को एक कांग्रेसी सांसद निलंबित
3 अगस्त 2023 को एक आप सांसद निलंबित
25 जुलाई 2022 को 4 कांग्रेसी सांसद निलंबित
5 मार्च 2020 को कांग्रेस के 7 सांसद निलंबित
राज्यसभा में निलंबन का आंकड़ा क्या कहता है?
साल 2019 के आम चुनाव के बाद से अब तक राज्यसभा में कुल 12 बार निलंबन की कार्रवाई हुई है, जिसमें 94 सांसदों को निलंबित किया गया.
21 अगस्त 2020: विपक्ष के 8 सांसद निलंबित
23 जुलाई 2021: विपक्ष का एक सांसद निलंबित
29 नवंबर 2021: विपक्ष के 12 सांसद निलंबित
21 दिसंबर 2021: विपक्ष का एक सांसद निलंबित
26 जुलाई 2022: विपक्ष के 19 सांसद निलंबित
27 जुलाई 2022: विपक्ष का एक सांसद निलंबित
28 जुलाई 2022: विपक्ष के 3 सांसद निलंबित
10 फरवरी 2023: विपक्ष का एक सांसद निलंबित
24 जुलाई 2023: विपक्ष का एक सांसद निलंबित
11 अगस्त 2023: विपक्ष का एक सांसद निलंबित
14 दिसंबर 2023: विपक्ष का एक सांसद निलंबित
18 दिसंबर 2023: विपक्ष के 45 सांसद निलंबित
कांग्रेस कार्यकाल बनाम बीजेपी कार्यकाल
यूपीए के कार्यकाल और एनडीए के कार्यकाल के दौरान किए गए निलंबन की संख्या में बड़ा अंतर है. साल 2004 और 2009 में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में यूपीए ने केंद्र में सरकार बनाई. जबकि साल 2014 और 2019 में पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने सत्ता संभाली.
साल 2004 से लेकर 2023 तक यानी करीब बीस सालों में कुल 276 सांसदों पर निलंबन की कार्रवाई हुई, जिसमें से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय में 43 सांसदों और पीएम मोदी के समय में अब तक 233 सांसदों पर निलंबन की कार्रवाई की गई है. यानि कांग्रेस नेतृत्व यूपीए सरकार में कुल निलंबन का लगभग 16 प्रतिशत और बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में लगभग 84 प्रतिशत निलंबन हुआ.
खास बात है कि यूपीए-1 के समय में एक भी सांसद को लोकसभा और राज्यसभा से निलंबित नहीं किया गया. जबकि एनडीए की पहले कार्यकाल के दौरान लोकसभा से 80 सांसद और राज्यसभा से शून्य सांसद निलंबित हुए थे. वहीं यूपीए-2 में लोकसभा से 36 सांसद और राज्यसभा से 7 सांसद निलंबित हुए, जबकि एनडीए के दूसरे कार्यकाल में अबतक लोकसभा से 59 सांसद और राज्यसभा से 94 संसद निलंबित हुए हैं.
यहां एक बात गौर करने वाली है कि मनमोहन सरकार के दस साल के कार्यकाल में बीजेपी के एक भी सांसद को लोकसभा या राज्यसभा से निलंबित नहीं किया, जबकि खुद कांग्रेस के 25 सांसद ऐसे थे, जिन्हें लोकसभा से निलंबन झेलना पड़ा था. इसके अलावा तेलुगू देशम पार्टी के 9 और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के 2 सांसद निलंबित हुए थे. वहीं मोदी सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल में भी लोकसभा या राज्यसभा से एक भी बीजेपी सांसद निलंबित नहीं हुए हैं . यानी 2004 से आजतक बीजेपी का कोई सांसद ही सस्पेंड नहीं हुआ है.
लोकसभा स्पीकर ने ज्यादातर सांसदों को लोकसभा रूल बुक के नियम 374 के तहत निलंबित किया है. यह नियम स्पीकर तब लागू करता है, जब कोई सांसद संसद की कार्यवाही में बाधा डालता है.
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